पीएमएफएमई योजना में 60 आवेदन, 6 किसानों के केस बैंक पहुंचाए सांकेतिक चित्र
मध्य प्रदेश

आत्मनिर्भर भारत : अमरुद इंडस्ट्रीज बनेगी जिले की नई पहचान

सीहोर, मध्यप्रदेश : चमकदार और सुनहरे शरबती गेहूं ने कृषि क्षेत्र में जिले को एक विशेष पहचान दी है। लेकिन अब यहां के बगीचों के खट्टे-मीठे अमरुद और उससे बने उत्पाद बड़े बाजरों में पहुंचेगे।

Author : राज एक्सप्रेस

सीहोर, मध्यप्रदेश। चमकदार और सुनहरे शरबती गेहूं ने कृषि क्षेत्र में जिले को एक विशेष पहचान दी है। लेकिन अब यहां के बगीचों के खट्टे-मीठे अमरुद और उससे बने उत्पाद बड़े बाजरों में पहुंचेगे। निवेश के साथ ही युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। फूड प्रोसेसिंग को बढ़ाना देने के लिए प्रधानमंत्री सूक्ष्म खादय प्रसंस्करण योजना शुरु की गई थी लेकिन कोरोना महामारी के चलते बीते साल जिले को लक्ष्य नहीं मिले। कोरोना की रफ्तार थमने के बाद कृषि उद्यमियों के लिए विभाग ने पोर्टल ओपन कर दिया है और जिले के किसान इसमें रुचि दिखला रहे हैं, जिले में बड़ी मात्रा में अमरुद का उत्पादन होता है इसलिए योजना के तहत अमरुद का चयन हुआ है। अमरुद उद्योग लगाने के लिए अभी तक उद्यानिकी विभाग में करीब 50 आवेदन आ चुके हैं जिनमें से 6 किसानों के प्रकरण बैंकों को पहुंचाए जा चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि फूड प्रोसेसिंग और कृषि इंडस्ट्रीज को बढ़ाने देने के लिए भारत सरकार द्वारा पीएमएफएमई योजना शुरु की गई है जिसके जिले में अमरुद का बगीचा रखने वाले किसानों को 30 लाख से 2 करोड़ तक ऋण उपलब्ध होगा। कच्चे की प्रोसेसिंग, मशीनरी, पैकेजिंग और बड़े बाजारों तक माल पहुंचाने के लिए किसानों को लोन दिया जाएगा। उद्यानिकी अधिकारी राजकुमार सगर ने बताया कि योजना में बैंक लोन के लिए गारंटर की आवश्यकता नहीं हैं। भारत सरकार द्वारा 10 लाख तक का अनुदान और बैंक ऋण पर 3 प्रतिशत तक की छूट दी जा रही है।

अमरूद का रकबा 1876, उत्पादन 6032 मीट्रिक टन :

जिला उद्यानिकी अधिकारी राजकुमार सगर ने बताया कि जिले में अच्छी और उन्नत किस्म का अमरुद बड़ी मात्रा में पैदा होता है। सीहोर, नसरुल्लागंज और बुधनी क्षेत्र से अमरूद बाहर की मंडियों में जाता है। इंदौर, भोपाल, देवास, होशंगाबाद की मंडियों में सीहोर के अमरुद को पसंद किया जा रहा है। इलाहबादी सफेदा, लखनबी 27, धारीवाला, चिट्ठीदार जैसे किस्मों के अच्छे दाम मिलते हैं। जिले में वर्तमान में अमरुद का कुल रकबा 1876, उत्पादन 6032 मीट्रिक टन है। सगर ने बताया कि अब किसान का उत्पाद बड़े बाजारों तक पहुंचेगा और जिले में युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।

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