हाइलाइट्स :
सीहोर में 14 जनवरी 1858 को जलियांवाला बाग गोलीकांड जैसा कांड हुआ था।
अंग्रेजों ने 1857 में छावनी सैनिकों को कारतूस में सूअर और गाय की चर्बी लगाकर दी थी।
जनरल ह्यूरोज ने 356 क्रांतिकारियों को गोलियों से भुनवा दिया था।
मध्यप्रदेश। जलियांवाला बाग गोलीकांड जैसा रूह कांप जाने वाला कांड मध्यप्रदेश के सीहोर में 1858 को हुआ था। ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ पहले स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति 1857 में हुई थी। 1857 में मेरठ क्रांति के पहले ही सीहोर में जंग की ज्वाला भड़क रही थी। एक अगस्त 1857 को छावनी में सैनिकों को नए कारतूस दिए गए थे, जिसमें सूअर और गाय की चर्बी लगी हुई थी।14 जनवरी 1858 को 356 क्रांतिकारियों को जेल से निकालकर सीवन नदी किनारे सैकड़ाखेड़ी चांदमारी मैदान में लाया गया जिसके सभी क्रांतिकारियों को एक साथ गोलियों से भून दिया गया था। इस घटना को 166 साल हो गए हैं।
क्या थी कहानी
भोपाल में उस वक़्त नवाबों का शासनकाल हुआ करता था और सीहोर ब्रिटिश सेना की छावनी हुआ करता था। सीहोर में सुलग रही आग को शांत करने जिम्मेदारी जनरल ह्यूरोज को दी गई थी। समय था 10 मई 1857 का उस समय मेरठ में क्रांति की आग भड़क रही थी लेकिन उससे पहले यह आग सीहोर में सुलग गई थी। मेवाड़, उत्तर भारत से होते हुए कई क्रांतिकारी टुकड़ियां 13 जून 1857 को सीहोर पहुंच गई थी। एक अगस्त 1857 को छावनी सैनिकों को नए कारतूस दिए गए थे जिसमें सूअर और गाय की चर्बी लगी हुई थी। जैसी ही इसकी बात सैनिकों को पता लगी उनमें आक्रोश बढ़ गया।
आक्रोशित सैनिकों ने सीहोर छावनी पर लगा हुआ अंग्रेजों का झंडा उतारकर जला दिया। इस घटना की जानकारी लगते ही जनरल ह्यूरोज को इन सैनिकों को कुचलने के आदेश मिले। जनरल ने सभी को जेल में बंद करवा दिया और सीहोर में जनरल ह्यूरोज ने 14 जनवरी को सभी क्रांतिकारियों को जेल से निकालकर सीवन नदी के किनारे सैकड़ाखेड़ी चांदमारी मैदान में लाया गया था। इसके बाद इन सभी क्रांतिकारियों को घेर कर गोलियां से एक साथ भून दिया गया था। जनरल ह्यूरोज ने इन क्रांतिकारियों के शव को पेड़ पर लटकाने का आदेश दिया था और शवों को पेड़ पर ही लटकाकर छोड़ दिया था। जानकर बताते हैं कि क्रांतिकारियों के शव देखकर ह्यूरोज खुश होता था और दो दिनों तक शव पेड़ों पर लटके रहे, जिसके बाद फिर ग्रामीणों ने उतारकर उसी मैदान में दफनाया था।
14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर बड़ी संख्या में लोग सैकड़ाखेड़ी मार्ग पर स्थित शहीदों के समाधि स्थल पहुंचकर पुष्पांजलि अर्पित करते हैं।
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