राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश की सियासत में 15 महीने बाद कमलनाथ सरकार की विदाई के साथ शिवराज सरकार ने प्रदेश की कमान संभाली है, हालांकि अभी कोरोना संकट के चलते मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ है। शिवराज सरकार के आगमन के साथ अब देखना है कि कमलनाथ सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभाने वाले सिंधिया के समर्थक मंत्रियों को क्या कैबिनेट में जगह मिलती है?
मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार की सत्ता से विदाई में अहम भूमिका ज्योतिरादित्य सिंधिया की रही थी, जिसके चलते 6 मंत्रियों समेत 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद मध्य प्रदेश में शिवराज को सरकार बनाने का अवसर मिला। अब सिंधिया चाहते हैं कि जो कमलनाथ सरकार में नहीं हुआ, वह शिवराज सरकार में हो जाए।
ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने चहेते तुलसी सिलावट को कांग्रेस सरकार में उप-मुख्यमंत्री बनवाना चाहते थे, लेकिन सत्ता की कमान कमलनाथ के हाथों में होने के चलते यह नहीं हो सका। अब देखना है, मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह सरकार में सिंधिया अपने करीबी तुलसी सिलावट को डिप्टी सीएम बनाने में कामयाब रहते हैं या नहीं।
बता दें कि कमलनाथ सरकार गिराने में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ नरोत्तम मिश्रा की भी बेहद अहम भूमिका रही है। इसी के चलते नरोत्तम मिश्रा भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे, लेकिन शिवराज सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब कैबिनेट में जगह मिलना तय है।
कोरोना संकट के चलते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ कह दिया है कि, अभी मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं होगा, पर जब भी मंत्रिमंडल का गठन होगा तो कांग्रेस से बगावत कर शिवराज सरकार के गठन में सहयोग करने वाले पूर्व मंत्रियों और पूर्व विधायकों पर जरूर मंथन किया जाएगा।
पिछली सरकार में मंत्री रहे तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रभुराम चौधरी और इमरती देवी को शिवराज कैबिनेट में मौका मिल सकता है।
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