उमरिया, मध्यप्रदेश। सूबे के मुखिया पंचायतों के सर्वांगीण विकास के लिये एक ओर कर्ज लेकर सारी ताकत झोंकने में लगे हैं, लेकिन दूसरी ओर पंचायत के शासकीय नुमांइदे और जनप्रतिनिधि आपसी गठजोड़ कर मुखिया के सपने को चकनाचूर करने में जरा भी कोताही नहीं बरत रहे हैं। जिले के पंचायतों में फैले भ्रष्टाचार के मकड़जाल से विकास पानी में बह रहा है और पद पर आसीन जिम्मेदार कार्यवाही की बजाय मुंह मोड रहे हैं। ऐसे में ग्राणीमों को न ही शासकीय योजनाओं का लाभ मिल रहा है और न ही पंचायत का संर्वांगीण विकास हो पा रहा है। ऐसा ही एक मामला भ्रष्टाचार का मानपुर जनपद के गोवर्दें का है, जहां सचिव और सरपंच के मिलीभगत ने पंचायत के पैसों से जमकर होली खेली जा रही है, जिस पर वरिष्ठ अधिकारियों का संरक्षण भी माना जा रहा है।
क्या है मामला :
वर्ष 2019-20 का समय कोरोना महामारी की चपेट में रहा है, जिसके बाद रोजगार मुहैया कराने के लिए शासन स्तर से कर्ज लेकर पंचायतों को राशि का आवंटन किया गया ताकि दिहाड़ियों को कार्य मिल सके और वे अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें, सूत्रों की मानें तो गोवर्दे पंचायत में वर्ष 2020 में कार्य के नाम पर ट्रेक्टर्स मालिकों के बिल में सीमेन्ट खरीदने का मूल्य 59000 अंकित कर भुगतान कर दी गई, जिसमें कई प्रकार के ओवर राइटिंग से सुधार भी किया गया। इस तरह के कई बिल ग्राम पंचायत गोवर्दे के अंर्तगत भुगतान किया गया है।
सचिव पर गबन के आरोप :
जनपद की कई पंचायतें जिले में भ्रष्टाचार की मिसाल बन चुकी है, वहीं गोवर्दे पंचायत के सचिव पर लाखों रूपये के घोटाले के आरोप लग रहे हैं। खबर है कि वर्तमान सचिव के पदस्थापना के दौरान से अभी तक के कार्यों को देखा जाये तो, घोटालों की लंबी फेहरिस्त है, अगर समय रहते जांच हो जाये तो, पर्दा उठ सकता है। यही नहीं गोवर्दे पंचायत के सचिव के गबन को लेकर जिला पंचायत सीईओ द्वारा जांच की कार्यवाही विचाराधीन है।
इनका कहना है :
धोखे से बिल लग गये होंगे, पूंछकर बताउंगा।संगीता मांझी, सरपंच, गोवर्दे पंचायत
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