ग्वालियर, मध्य प्रदेश। बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध में यूनाईटेड फोरम फिर से दम भर रहा है। विरोध की तैयारियों को लेकर सोमवार को फोरम के नेतृत्व में ऑनलाइन बैठक आयोजित की जा रही है। बैठक में विरोध करने के लिए आगे की कार्यवाही को लेकर निर्णय लिया जाएगा।
प्रदेश की बिजली कंपनियों के निजीकरण को लेकर यूनाईटेड फोरम फिर से दम भर रहा है। फोरम की बैठक आयोजित की गई है। बैठक में निर्णय लेने के लिए संयोजक व्हीकेएस परिहार प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों के कर्मचारी संगठनों से ऑनलाइन रूबरु होंगे तथा आगे की कार्यवाही की तैयारी करेंगे। बैठक में इस बात पर भी चर्चा की जाएगी कि मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर 15 दिन का जो जवाब मांगा गया था उसका भी अभी तक कोई जवाब नहीं आया है तथा ऐसी स्थिति में अब मोर्चा आन्दोलन करे या फिर पुन: मुख्यमंत्री से इस विषय में बात करे।
वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं चिंता :
एक तरफ प्रदेश की बिजली कंपनियों के निजीकरण की तैयारियां चल रही हैं। दूसरी तरफ कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी इसमें रुचि लेने को तैयार नहीं हैं। यह अधिकारी कंपनी की राजस्व वसूली व अन्य कार्यवाहियों में पूरी तरह से उलझा दिए गए हैं जिससे वह इस तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। चंद अधिकारियों को अगर छोड़ दिया जाए तो बाकी को इसकी चिंता भी नहीं है क्योंकि उनके रिटायरमेंट का समय भी नजदीक आता जा रहा है।
संविदा व ठेकाकर्मियों को अधिक परेशानी :
बिजली कंपनी के संविदा व ठेकाकर्मी निकट भविष्य में नियमित होने की उम्मीद लगा बैठे थे जिसे इस निर्णय से धक्का लगा है। इन कर्मचारियों को लग रहा है कि अगर भविष्य में निजीकरण होता है तो निश्चित रुप से उनकी सेवाएं पूरी तरह से प्रभावित हो जाएंगी तथा आने वाले भविष्य में उनको हमेशा इसी प्रकार शोषण सहना होगा।
इनका कहना :
फोरम की वर्चुअल बैठक सोमवार को आयोजित की गई है जिसमें निजीकरण के विरोध को लेकर आगे की कार्यवाही तय की जाएगी।एलके दुबे, क्षेत्रीय सचिव, विद्युत कर्मचारी संघ फेडरेशन, ग्वालियर
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