हाइलाइट्स :
प्रति टन के हिसाब से शारदा में हो रहा खेल
डीओ के खेल में टोडी का अपना मैनेजमेंट
शहडोल, मध्यप्रदेश। जिले में संचालित एसईसीएल के अंतर्गत शारदा खुली खदान में टेक्निकल इस्पेक्टर प्रति टन के हिसाब से गोलमाल कर रहे हैं। इन दिनों शारदा ओपन कास्ट माइंस में टेक्निकल इंस्पेक्टर रोशन लाल टोडी जमकर खेल-खेल रहे हैं और लगभग शारदा ओपन कास्ट माइंस में जितने भी डीओ धारक हैं, सभी से सांठ-गांठ कर गाड़ियों में लोड कोयले पर प्रति टन के हिसाब से अपना हिसाब किताब बनाते हैं। खदान से प्रतिदिन हजारों टन कोयला को डिस्पैच होता है या कहें कि इस समय की सबसे बड़ी उत्पादन करने वाली खदान शारदा माईंस है और रोशन लाल बाकायदा अपनी पैठ जमा कर अधिकारियों को ऊपर से लेकर नीचे तक मैनेज करते हुए वसूली में लगे हुए हैं।
बाहरी मजदूरों का दखल :
एसईसीएल के अधिकारियों को कंपनी का कितना भी नुकसान हो, उन्हें चिंता नहीं रहती, लेकिन इन्हें सिर्फ अपने दलाली और काले कमाई की चिंता रहती है। एसईसीएल की गाइडलाइनों को दरकिनार करते हुए टोडी द्वारा खुली खदान में बाहर से मजदूर बुलाकर कोयले को छटवाया जाता है और डीओ के मालिकों से इसके बदले भी अलग से कमीशन लिया जा रहा है, जबकि माइंस से निकलने वाले कोयले पर किसी प्रकार से बाहरी मजदूर बुलाकर छंटवाने का काम प्रतिबंधित होता है, इसके बावजूद कोल माइंस को नुकसान पहुंचाते हुए कोयला खरीदने वाले ग्राहकों की संतुष्टि पर ज्यादा ध्यान देते हैं।
65 रुपये टन का टोडी का हिसाब :
शारदा खुली खदान में रोशन लाल टोडी द्वारा लगभग सभी डीओ मालिक से जितने टन कोयला गाड़ी में लोड होता है, उतने टन पर 65 रुपये के हिसाब से वसूली की जाती है। शिकायत तो यह भी मिलती रहती है कि डीओ का कोटा नहीं दिया जाता तो पर्ची का खेल भी बखूबी खेला जाता है। 1 दिन में लगभग 1000 टन कोयला डिस्पैच होता है, तो प्रति टन के हिसाब से 65 रूपये में रोशन लाल टोडी अपने अलावा किन-किन अधिकारियों को मैनेज करते होंगे और किस प्रकार कोयले का काला खेल खेल कर अपनी संपत्ति बनाने में लगे हैं।
इनसे वसूला जा रहा कमीशन :
टेक्निकल इंस्पेक्टर पद का बखूबी फायदा उठाते हुए रोशन लाल द्वारा वसूली किए जाने वाले लिस्ट में दर्जनों नाम है, जिसमें त्रिमूला लगभग 5000 टन, एपीआई लगभग 5000 टन इनके पास भी है, वहीं मोनेट 8000 टन इसके अलावा भोपाल, रायगढ़, चांपा की ओर जाने वाली कोयले की गाड़ी प्रकाश इंडस्ट्रीज के नाम पर है। इसमें लगभग 7000 टन कोयला जाना है। वही बिलासपुर हनुमान कोल एवं अग्रवाल कोल इन सभी डीओ के मालिकों से बखूबी सांठ-गांठ करते हुए स्लैग एवं स्टीम का खेल भी खेला जाता है।
संपत्ति की हो जांच :
काले कारनामे को करते-करते रोशनलाल ने क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना ली है, चर्चा है कि वह खुद आज इस स्थिति पर पहुंच गए हैं कि स्वयं का डीओ लगवा कर चलाने की हैसियत रखते हैं, अगर कथित कर्मचारी की संपत्ति की जांच की जाये तो, विभाग को प्रतिदिन के हिसाब से कितना चूना लग रहा है, यह सामने आ सकता है। कंपनी में लगातार यह काला खेल खेले जा रहे हैं जिसमें बाहर से लेबर बुलवाकर कोयले के छठवाना, वसूली करना, डी ओ कोटा नहीं देते और पर्ची का खेल खेलना, गाड़ियों को ओवरलोड निकलवाना, सलैग व सटीम का भरपूर रूप से लाभ उठाना, कई प्रकार के अवैध कार्य संचालित कर आज करोड़ों की संपत्ति बनाकर काला खेल खेले जा रहे हैं।
कर रहे खुद की जेब गर्म :
निश्चित रूप से इस तरह से कार्य करने वाले कर्मचारी एसईसीएल को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं, लेकिन खुद की जेबें गर्म करने से नहीं चूक रहे हैं, ऐसा नहीं है कि इस काम में अकेला टेक्निकल इंस्पेक्टर ही हर चीज को कर सकता है, सूत्रों की मानें तो ऊपर के अधिकारी को भी रोशनलाल टोडी मैनेज करके चलते हैं, ताकि किसी प्रकार से अवैध दुकान बंद न हो जाए, एक दुकानदार की तरह अपनी दुकान को चलाने के लिए जितने भी हथकंडे अपनाए जाते हैं, उन सभी को प्रयोग करने से बिल्कुल नहीं चूकते हुए जमकर धांधली कर रहे हैं।
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