सिंगरौली, मध्य प्रदेश। नगर पालिक निगम सिंगरौली के आयुक्त द्वारा प्रतिबंध के बाद भी नगर निगम के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने का मामला प्रकाश में आया है। मसलन निगम आयुक्त ने पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी चुनौती दे डाली है।
नगर निगम आयुक्त की उक्त कार्रवाई को क्षुब्ध कर्मचारियों ने असंवैधानिक बताते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री, नगरीय प्रशासन मंत्री, मुख्य सचिव, रीवा संभागायुक्त और कलेक्टर से जांच कर कार्रवाई की मांग की है। प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर पालिक निगम के आयुक्त आरपी सिंह द्वारा गत 19 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट के रोक लगाने के बाद भी नगर निगम के 20 कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देते हुए आदेश जारी किया गया हैं। जिससे निगम के ही एक कर्मचारी वर्ग में नाराजगी और आक्रोश का माहौल है।
बताया जाता है कि पदोन्नति पाने वाले कर्मचारी अब कर्मचारी उपस्थित पंजी में अपना पदनाम बदलकर हस्ताक्षर करना भी शुरू कर दिया है। बताया जाता है कि अपनी कार्यप्रणाली से सुर्खियों में रहने वाले निगम आयुक्त श्री सिंह कर्मचारियों की पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने की फाइल में नगर निगम के प्रशासक और कलेक्टर से भी अनुमोदन लेने की जहमत भी नहीं उठाई है। नगर निगम के महापौर का कार्यकाल खत्म होने के बाद प्रदेश सरकार ने कलेक्टर को निगम का प्रशासक नियुक्त किया है। नगर निगम के हर फैसले की फाइल नस्ती प्रशासक के पास भेजनी चाहिए।
2016 से सुप्रीम कोर्ट ने लगाई है रोक
ज्ञात हो कि देश की सबसे अदालत सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मध्यप्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण देने के मामले पर 2016 से ही रोक लगा दिया गया है। साथ ही अभी भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। जिससे मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने के मामले में सीधा बचते हुए गृह विभाग के कर्मचारियों को कार्यवाहक जैसा प्रभार सौंप कर खुश करने का प्रयास कर रही है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में लगभग साढ़े चार साल के दरम्यान 50 हजार से ज्यादा शासकीय सेवक बिना पदोन्नति के सेवा निवृत्त हो चुके हैं। और प्रदेश के लाखों शासकीय सेवक अभी भी पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं।
एक वर्ग जता चुका है आपत्ति
जानकारी के मुताबिक नगर निगम के एक कर्मचारी वर्ग ने आयुक्त से रोक के बाद भी पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने के आदेश पर आपत्ति जताते हुए प्रक्रिया को निरस्त करने की मांग कर चुके है।साथ ही इस पदोन्नति आदेश को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना का मामला भी मानते हुए प्रदेश सरकार से रोक लगाने की मांग कर रहे हैं।
हाई कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी
निगम आयुक्त द्वारा सुप्रीम कोर्ट के रोक लगाने के बाद भी निगम कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने के मामले के आदेश को कुछ कर्मचारी उच्च न्यायालय जबलपुर में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं।
7 साल की सीनियर क्लर्क बनी जूनियर
बताया जाता है कि नगर निगम आयुक्त आरपी सिंह द्वारा पदोन्नति में आरक्षण देने से 7 साल की जूनियर सहायक ग्रेड 3 की कर्मचारी सीनियर बन गई है। जानकारी के अनुसार नगर निगम की विद्या नायर 7 साल की सीनियर सहायक ग्रेड 3 कर्मचारी है, जो उससे 7 साल की जूनियर सहायक ग्रेड 3 कर्मचारी सविता साकेत का पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने से अब जूनियर बन गई है। यानी कमिश्नर की उक्त कार्रवाई से सामान्य वर्ग के कर्मचारियों का भारी नुकसान हुआ है।
दबा दिया गया आदेश
नगर निगम कर्मचारियों और आम लोगों में चर्चा का बाजार गर्म है कि जिन 20 कर्मचारियों की पदोन्नति दी गई है वह अभी तक किसी को आदेश की प्रति नहीं दिखा रहे हैं। शायद इसे सार्वजनिक होने पर कोई बाधा उत्पन्न होने का ख़तरा नही मंडराए। हालांकि क्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट के रोक के बावजूद भी पदोन्नति में आरक्षण देने का मामला सर चढ़कर बोल रहा है।
बात करने से कतरा रहे कमिश्नर
नगर निगम के 20 कर्मचारियों को गत 19 मई 2021 को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने के आदेश पर बात करने से नगर निगम के कमिश्नर आरपी सिंह मीडिया से बात करने से कतरा रहे हैं।
इनका कहना है
इस संबंध में कमिश्नर से जानकारी ली है तो उन्होंने बताया कि नगर निगम कर्मचारियों का पदोन्नति करने की कार्रवाई का मामला उनके क्षेत्राधिकार में आता है।
आरआर मीना, कलेक्टर एवं प्रशासक नगर पालिक निगम सिंगरौली
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