इंदौर, मध्यप्रदेश। आज देशभर में गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। इस मौके पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने नेहरू स्टेडियम (Nehru Stadium) इंदौर में आयोजित कार्यक्रम में झंडावंदन किया। गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ध्वजारोहण किया और रस्मी परेड की सलामी ली। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि, हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। यह अमृत महोत्सव और गणतंत्र दिवस का आज अद्भुत और अविस्मरणीय संगम है।
शिवराज सिंह चौहान ने कही यह बात:
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि, "हमने 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन मनाया था और गणतंत्र दिवस का 25 जनवरी से 26 जनवरी तक मनाया जाएगा। इस दौरान सिंह शिवराज ने कहा कि, हमें आजादी चांदी की तश्तरी में नहीं मिली थी, बल्कि इसके लिए हजारों क्रांतिकारियों ने अपना सर्वस्व निछावर किया था। पूज्य बापू जी के नेतृत्व में अहिंसक आंदोलन चला था। दूसरी तरफ क्रांतिकारियों ने अपने रक्त के अंतिम बूंद से भारत माता की पवित्र माटी को भी जीवंत किया था।"
नरेंद्र मोदी को कहा-धन्यवाद:
सीएम शिवराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करते हुए कहा कि, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद, उन्होंने अमर शहीद क्रांतिकारियों की सही गाथा न केवल देश के सामने रखी बल्कि उनकी स्मृति बनी रहे और प्रेरणा देते रहें, इसलिए देश में अनेक स्मारकों का निर्माण हुआ। मुझे प्रसन्नता है कि, इंडिया गेट पर अब नेताजी बोस की भव्य प्रतिमा लगाई जाएगी।"
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, "प्रदेश की बहनों को स्वसहायता समूहों से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने, बेटे बेटियों को मेधावी विद्यार्थी योजना और अन्नदाता को किसान कल्याण योजना, बिजली पर सब्सिडी, कृषि यंत्रों की खरीदी पर सहायता एवं अन्य योजनाओं के माध्यम से सशक्त बनाने का हमारी सरकार प्रयास कर रही है।"
सीएम शिवराज ने कहा कि, "आज का दिन डॉ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के चरणों में शीष नवाने का दिन है, जिन्होंने भारतीय संविधान के एक-एक अनुच्छेद को अपनी प्रखर प्रतिभा से अभिसिंचित किया है। आज का दिन संविधान सभा की प्रारूप समिति के सभी सदस्यों के प्रति कृतज्ञ और नतमस्तक हो जाने का दिन है। संविधान सभा के अध्यक्ष एवं भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद ने कहा था- 'संविधान निर्जीव वस्तु है।' मनुष्य उसमें जान डालता है। इसलिए संविधान बन जाने के बाद आवश्यकता इस बात की है कि, इसके संचालन में सच्चे देश सेवक निकलें व नि:स्वार्थ भाव से देशहित व लोकहित के काम में लाएं।"
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