महू, मध्य प्रदेश। मप्र मंत्री उषा ठाकुर के खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने और डकैती के आरोप में शिकायत करने वाले वन विभाग के डिप्टी रेंजर का मानपुर में तबादला कर दिया गया हैं। इस दौरान डिप्टी रामसुरेश दुबे ने कहा है कि बड़गौंदा थाना क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वन विभाग की सैकड़ों बीघा जमीनों पर माफियाओं ने कब्जा कर लिया है। यही वजह है कि लोग इस मामले को कैसे भी दबाना चाह रहे है। दुबे का तबादला कर दिया गया है, लेकिन वे इसके खिलाफ हाईकोर्ट चले गए हैं।
जानकारी के मुताबिक, पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर पर पिछले दिनों सरकारी काम में बाधा डालने और डकैती के आरोपों पर पुलिस में आवेदन देने वाले डिप्टी रेंजर रामसुरेश दुबे का तबादला हो गया है। उन्हें महू से मानपुर रेंज भेजा जा रहा है हालांकि वे जाने के तैयार नहीं है। उन्होंने हाईकोर्ट में स्टे के लिए अपील की है। इस पूरे मामले ने मंत्रियों की कार्यप्रणाली पर तो सवाल उठाया ही है साथ ही वन क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण के बारे में भी वे बातें सार्वजनिक कर दीं हैं जो अब तक दबी ज़ुबान में की जाती थीं। रामसुरेश दुबे बताते हैं कि "बड़गौंदा वन्य क्षेत्र में करीब सत्तर बीघा से अधिक जमीन पर एक राजनीतिक वर्चस्व वाले परिवार का कब्जा है। यह कब्जा वर्षों से चला आ रहा है लेकिन न तो वन विभाग के अधिकारी इस पर कुछ कह सके हैं और अगर कभी कहा भी होगा तो नेताओं मंत्रियों ने उन्हें चुप करा दिया होगा। बिल्कुल वैसे ही जैसे उन्हें चुप कराया जा रहा है।" दुबे अपनी बात को और भी स्पष्ट करते हैं भाजपा के मंडल अध्यक्ष मनोज पाटीदार का नाम लेते हैं। मनोज पाटीदार के ही नाम पर अवैध उत्खनन का मामला दर्ज किया गया था। मंत्री के साथ वाहन छुड़ाने वाले लोगों की सूची में भी वे आए थे। दुबे ने अपने आवेदन में उनका नाम भी लिखा था और वन विभाग ने अपने दूसरे आवेदन में भी उन्हें आरोपी बनाया है। मनोज के पिता अशोक पाटीदार भी स्थानीय भाजपा में रुतबेदार थे और उन्हें खेती में उनके प्रयोगों के लिये जाना जाता था। पाटीदार परिवार के पास बड़गौंदा क्षेत्र में काफ़ी जमीनें हैं।
जमीन का सर्वे है अब तक बाकि :
मामला 19 जनवरी का डिप्टी रेंजर के बारे में खबरें सामने आई है कि इनके मुताबिक जिस जमीन पर खनन को लेकर विवाद हुआ था उसका सर्वे किया जाना था लेकिन यह सर्वे अब तक बाकी है। यहां राजस्व और वन विभाग का सर्वे किया जाना है। वन विभाग से मिल रहीं ख़बरों के मुताबिक अगर सर्वे का काम सही तरीके से किया गया तो वन विभाग की बड़ी जमीन पर कब्जे की जानकारी निकलकर सामने आ सकती है। दुबे के तबादले के बारे में मंत्री उषा ठाकुर कहना सोशल मीडिया पर आ रहा है कि "किसी को भगाना हमारा स्वभाव नहीं है। वे नहीं तो कोई और उनके स्थान पर काम करेगा। ग्रामीण कई दिनों से बोल रहे थे कि कच्ची सड़क है, उसका लेवल करा दो। खराब सड़क के कारण गिरते भी थे। इस पर मंडल अध्यक्ष मनोज पाटीदार ने खुद के जेसीबी ट्रैक्टर से अपने ही खेत की मिट्टी निकालकर सड़क लेवल कर दी।"
आवेदन वापस लेने के लिए कई तरह के आए दबाव :
डिप्टी रेंजर के मुताबिक उन पर अपने आवेदन लेने के कई तरह के दबाव आए और अब तक आ रहे हैं। उनसे कहा जा रहा है कि वे अपना बयान वापस ले लें। लेकिन दुबे के मुताबिक वे ऐसा नहीं कर सकते। वे आज भी अपनी बात पर कायम हैं कि मंत्री उषा ठाकुर अपने सर्मथकों के साथ आईं और वन कार्यालय में रखी जेसीबी मशीन और दूसरे वाहन छुड़ाकर ले गईं। दुबे कहते हैं कि "मंत्री महोदया को ऐसा कृत्य नहीं करना चाहिये था वे चाहती तो हमारे विभाग के अधिकारियों से बात कर सकती थीं।" इस दौरान दुबे ने यहां अपने खिलाफ हुई पुरानी शिकायतों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि उनके प्रमोशन के संबंध में जो भी शिकायतें हुईं हैं उनके बारे में लोगों को सोचना चाहिये क्योंकि प्रमोशन उन्होंने अपने हस्ताक्षर से नहीं लिया है बल्कि शासन ने ही दिया है। इससे पहले तमाम दस्तावेजों को देखा परखा गया ही होगा।
इनका कहना है :
तीस साल से ज़मीनें हैं और इन पर खेती कर रहे हैं। ऐसे में अब तक क्यों नहीं वन विभाग ने उनकी जमीनों पर अधिकार जताया। यह सब केवल मंत्री महोदया का नाम खराब करने के लिये किया जा रहा है।मनोज पाटीदार, भाजपा नेता, महू
सर्वे का काम जल्द ही पूरा हो जाएगा। हालांकि अभी तक डिप्टी रेंजर रामसुरेश दुबे के तबादले के आदेश नहीं मिले हैं। इस बारे में फैसला उच्चस्तर से हो रहा है।आरके लहरी, एसडीओ, महू वन विभाग
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