मध्यप्रदेश। पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग ने पर्यावरण विभाग और प्रदूषण नियंत्रण की समीक्षा की बैठक के दौरान बड़ा निर्णय लिया है। बैठक में मध्यप्रदेश नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव चंद्र मोहन ठाकुर भी मौजूद थे। पर्यावरण मंत्री ने उत्पादक कंपनियों को प्लास्टिक कचरे के निष्पादन की जिम्मेदारी दी है और यह भी कहा है की वह कंपनियों से अनुबंध करेंगे जिससे कंपनियों पर कड़ी निगरानी रखी जा सके।
अनुबंध करने के साथ ही मंत्री कचरे को ठिकाने लगाने की व्यवस्था भी उत्पादकों के साथ में बनाएंगे। यह समीक्षा बैठक पर्यावरण मंत्रालय में हुई थी। इस बैठक में नदियों के मुद्दे पर भी समीक्षा बैठक की गई थी जिस पर मंत्री ने बताया- प्रदेश की 80 से ज्यादा नदियों और उनकी सहायक नदियों का प्रशिक्षण लगातार किया जा रहा है। नदियों को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए पहले से प्रदेश में शून्य निस्त्राव की नीति लागू है। बैठक में दतिया के सीता सागर तालाब, शिवपुरी झील, अमृत सागर तालाब, धर के मुंज, धूप और देवी सागर के संरक्षण कार्यों की भी समीक्षा की।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा-
प्लास्टिक उत्पादन करने वाली कंपनी और कचरा उत्पादन करने वाली कंपनियों का पंजीयन किया जाएगा और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इन कंपनियों की निगरानी भी करेगा। 30 दिन के अंदर एनओसी के प्रकरणों की समीक्षा भी की गई जिसमे अधिकारियों के हवाले से ये बताया जा रहा हैं ऐसा कोई भी प्रकरण पेंडिंग नही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा है की जिन उद्योग या संस्थानों ने बोर्ड से सम्मति प्राप्त नहीं किया है वह ”विवाद से विश्वास” योजना के तहत करते है तो उन पर कोई भी न्यायिक कार्यवाही नहीं की जाएगी।
एक सर्वे के मुताबिक इंदौर में रोजाना 63.40 टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। भोपाल और जबलपुर में भी स्थिति चिंताजनक है। प्रतिदिन 23.76 टन प्लास्टिक कचरे के साथ भोपाल 23.08 टन प्रतिदिन के साथ 25वें तथा जबलपुर 20.70 टन प्रतिदिन के साथ 28वें स्थान पर हैं।पर्यावरणविदों के मुताबिक इंदौर में 60% प्लास्टिक कचरा रिसाइकिल भी नहीं होता है वहीं पूरे देश में 9000 टन से ज्यादा प्लास्टिक कचरा इकट्ठा और रिसाइकिल किया जाता है।
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