हाइलाइट्स :
जबलपुर उच्च न्यायालय में 61 न्यायकक्ष होंगे।
460 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होगा न्यायालय का नया भवन।
कार्यक्रम में सीएम चौहान, राज्यपाल और जबलपुर उच्च न्यायालय के न्यायधीश भी उपस्थित।
जबलपुर, मध्यप्रदेश। महिलाओं में न्याय करने का नैसर्गिक भाव होता है। इसलिए कहा जाता है कि, एक माँ अपने बच्चों के बीच कभी भेदभाव नहीं करती है। न्याय देने की प्रक्रिया एक गणितीय सूत्र पर आधारित नहीं है। इसमें पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ व्यवहार, बुद्धि का प्रयोग भी आपेक्षित होता है। इस प्रक्रिया में भावनाएं, परिस्थितियां जैसे आयाम भी महत्वपूर्ण होते हैं, इसलिए महिलाओं की अधिक से अधिक भागीदारी न्यायपालिका के ही हित में है। यह बात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बुधवार को जबलपुर उच्च न्यायालय के नवीन भवन के शिलान्यास कार्यक्रम में कही। इस कार्यक्रम में जबलपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश, सीएम चौहान और मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल भी मौजूद थे।
महिला सशक्तिकरण समावेशी भारत के लिए अत्यंत आवश्यक- राष्ट्रपति मुर्मु
राष्ट्रपति ने कहा, आज मां नर्मदा की पावन भूमि जबलपुर में उच्च न्यायालय के नवीन भवन के शिलान्यास कार्यक्रम में आकर मुझे खूब प्रसन्नता हो रही है। 134 वर्ष पुराने भवन में न्यायधीशों की संख्या में वृद्धि हुई है। तकनीकी रूप से नए स्टेट ऑफ़ दी आर्ट की आवश्यकता है। नए भवन में महिला अधिवक्ताओं के लिए अलग रूम प्रस्तावित है। महिला सशक्तिकरण समावेशी भारत के लिए अत्यंत आवश्यक है। पिछले सप्ताह महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण का बिल पास हुआ है। उच्चतम न्यायलय में लगभग 9 प्रतिशत और उच्च न्यायालय में लगभग 14 प्रतिशत महिला न्यायधीश हैं। न्यायपालिका में भी महिलाओं की समुचित भागीदारी होनी चाहिए।
न्यायपालिका का लक्ष्य त्वरित न्याय:
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा, न्यायपालिका का लक्ष्य त्वरित न्याय होना चाहिए। बड़ी संख्या में लंबित मामले, अंडर ट्रायल जैसी चुनौतियां भी न्यायपालिका के समक्ष हैं। एक अनुमान के अनुसार निचली अदालतों में साढ़े 4 करोड़ केस लंबित हैं। इनमें से कई तो 20-30 साल से लंबित है। मध्यप्रदश उच्च न्यायालय ने जिला न्यायालय में दशकों से लंबित केस के लिए विशेष पहल की है। इसके तहत प्रत्येक न्यायधीश को अपने जिले में 25 सबसे पुराने मामले निपटाने के निर्देश दिए गए हैं इस अभियान से 2022 तक 97 हजार मामलों को निपटा दिया गया है। इसके लिए उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों की सराहना करती हूँ।
विचाराधीन कैदियों की अधिकतम संख्या जेलों में रहने की मजबूरी :
राष्ट्रपति ने कहा, विचाराधीन कैदियों की अधिकतम संख्या जेलों में रहने की मजबूरी है। ऐसे छोटे-कैदियों के लिए सरकार, पुलिस प्रशासन और न्यायपालिका के लोगों को सोचना चाहिए है। विवादों के वैकल्पिक समाधान की व्यवस्था भी होनी चाहिए। न्याय देने की प्रक्रिया में इंफ्रास्ट्रक्चर का भी महत्वपूर्ण योगदान है। इस हाई कोर्ट के उच्च न्यायाधीश के नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण पहल की गई है जिसके अंतर्गत प्रत्येक माह सभी जज एक निश्चित राशि गरीब और जरूरतमंद व्यक्तियों की सहायता के लिए देंगे। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि, न्यायपालिका का न्याय इतना महंगा न हो जाए की आम आदमी से ही दूर हो जाए। इसके लिए संस्थागत प्रयासों को मजबूती देने की आवश्यकता है।
न्यायालय अपने निर्णय हिंदी भाषा में उपलब्ध कराने का प्रयास करे-राज्यपाल
मध्यप्रदेश के राज्यपाल ने कहा, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के नवीन भवन के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होकर मुझे बहुत प्रसन्नता है। न्यायपालिका देश की सबसे सम्मानित संस्था है। देश वासियों को न्यायपालिका पर गर्व है। पीएम मोदी ने पिछले दिनों कानून की भाषा में सरलता पर जोर दिया है। न्यायालय अपने निर्णय हिंदी भाषा में उपलब्ध कराने का प्रयास करे। विचारधीन बंदियों की बड़ी संख्या को देखते हुए इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह नवीन भवन जल्द बनें और सभी को न्याय मिले ऐसा वातावरण मिले। किसी निर्दोष को सजा न हो इसे भी ध्यान रखने की आवश्यकता है।
न्याय सभी को मिले तभी लोकतंत्र बना रहेगा-सीएम शिवराज सिंह चौहान
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा, न्यायधानी में पधारी राष्ट्रपति का स्वागत। सबके लिए यह प्रसंन्नता का विषय है। 134 साल पुरानी हमारी उच्च न्यायालय की बिल्डिंग थी। तब से अब तक जरुरत बदल गई है। पेंडेंसी बहुत अधिक है इसके लिए नए स्ट्रक्चर की जरुरत है। न्याय सभी को मिले तभी लोकतंत्र बना रहेगा। शीघ्र, समावेशी न्याय लोकतंत्र का मूल है। ऐसा भवन जहाँ शीघ्र न्याय मिले इन जरुरतों का आंकलन करते हुए यह भवन बनाया जा रहा है। आने वाले 134 साल में नए भवन की आवश्यकता न हो ऐसा भवन बनना चाहिए। जल्द न्याय दिलाने में टेक्नोलॉजी का उपयोग हो। लोक अदालतों की हमारे यहाँ अच्छी परंपरा है। कई गाँव में लोग शांति और विवाद निवारण समिति से अपने विवाद सुलझा रहे हैं। इन प्रयासों से पेंडेंसी को कम किया जा सकता है।
सीएम ने कहा, कानून है कि, नाबालिग से रेप के मामले में दोषियों को फांसी की सजा का प्रावधान है लेकिन ये प्रोसेस इतनी लम्बी है कि, न्याय मिलने में बहुत समय लग जाता है हमें इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।