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मध्य प्रदेश

ग्वालियर: निजीकरण की तरफ बढ़ रहीं बिजली कंपनियां

ग्वालियर, मध्य प्रदेश: रेलवे के बाद अब बिजली कंपनियों पर सरकार की निगाह, सभी प्रकार की भर्तियों पर रोक लगा कर समस्त कार्य आउटसोर्स कर्मचारियों से करवाया जा रहा है।

Author : राज एक्सप्रेस

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। प्रदेश की विद्युत वितरण कंपनियां अब निजीकरण की तरफ बढ़ने लगी है। इसका प्रमुख कारण सरकार को इन कंपनियों से निरंतर हो रहा घाटा बताया जा रहा है। हाल ही में सरकार ने प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों में मैन पॉवर के लिए डाले गए टेण्डरों को निरस्त कर दिया है तथा पुराने ठेकेदारों को एक्सटेंशन देने की बात कही बताई जाती है।

प्रदेश भर में 35 हजार से अधिक आउटसोर्स कर्मचारियों को इन वितरण कंपनियों में रखा गया है। अगर सरकार सीधे रुप से इन कर्मचारियों को वेतन देती है तो सरकार का लगभग साढ़े दस करोड़ रुपया बच सकता है। यह रुपया कमीशन के रुप में उन आउटसोर्स ठेकेदारों की जेब में जाता है जो सिर्फ बिचौलिये काम काम कर रहे हैं।

नियमित कर्मचारियों की भर्ती पर रोक :

प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों में नियमित कर्मचारियों की भर्ती पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। जो कर्मचारी रिटायर होते जा रहे हैं उनकी जगह नए आउटसोर्स कर्मचारी भर्ती किए जा रहे हैं। कंपनी की इस नीति से स्पष्ट हो रहा है कि कंपनी प्रबंधन नियमित कर्मचारियों की भर्ती नहीं करना चाह रहा है।

ठेकेदारों की जेब में तीन सौ करोड़ :

प्रदेश में 35 हजार से अधिक आउटसोर्स कर्मचारियों को वेतन बांटने के लिए बिजली कंपनी ठेकेदारों को जो पैसा देती है अगर उसको बचा लिया जाए तो कंपनी का साड़े दस करोड़ रुपया बच जाएगा। कंपनी प्रबंधन जो पैसा आउटसोर्स कर्मचारियों को देता है उसका पांच प्रतिशत कमीशन के रुप में इन ठेकेदारों की जेब में जाता है। इसके अलावा 18 फीसदी जीएसटी का कटता है। इस प्रकार कुल 23 प्रतिशत राशि कंपनी की बर्बाद हो जाती है।

इस प्रकार समझें :

  • एक कर्मचारी का वेतन 13000 रुपए

  • एक कर्मचारी के वेतन से 23 प्रतिशत कमीशन - 2990 रुपए

  • 100 कर्मचारियों का कमीशन - 299000

  • 1000 कर्मचारियों का कमीशन - 2990000

  • 35 हजार कर्मचारियों का कमीशन - 104,650,000

निजीकरण की राह आसान :

प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों की स्थिति को देखकर स्पष्ट हो रहा है कि सरकार तीनों कंपनियों को निजी हाथों में सौंपकर अपने दायित्व से पल्ला झाड़ लेगी। इससे सरकार को उम्मीद है कि एक तरफ लोगों को ईमानदारी से बिजली मिलेगी वहीं उपभोक्ता सुविधाओं में इजाफा होगा। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार को एकमुश्त राशि मिलेगी जो अन्य विकास कार्यों पर खर्च की जा सकेगी।

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