ग्वालियर,मध्यप्रदेश। ब्राह्मणों पर टिप्पणी करने के बाद भाजपा से निष्काषित हुए प्रीतम लोधी का एक ओर जहां भाजपा में जाने का रास्ता साफ हो गया है, वहीं गुरूवार को नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह से हुई मुलाकात के बाद नई राजनैतिक चर्चाओं को बल मिला है। फिलहाल प्रीतम अपने राजनैतिक भविष्य को लेकर सजग हैं। उनकी नजर एक बार फिर से शिवपुरी पिछोर सीट पर है,जहां पिछली बार वे केपीसिंह से चुनाव हार गए थे, ऐसे मेें कोई भी निर्णय जल्दबाजी में नहीं करना चाहते हैं कि वे किस दल में शामिल होंगे। फिलहाल पिछड़ावर्ग के साथ दलित समाज में उनके बढ़ते जनाधार के चलते दोनों ही दल उन्हें अपने में शामिल करने के लिए लालायित नजर आ रहे हैं।
राजनैतिक गलियारों से जो खबर छनकर आ रही है, उसके मुताबिक 26 मार्च को प्रीतम लोधी के भाजपा में शामिल होने का कार्यक्रम तय हो चुका है, लेकिन गुरूवार को प्रीतम लोधी से नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह की लंबी चर्चा के बाद एक बार फिर से पांसा पलटता नजर आ रहा है। प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह गुरूवार को जब विधायक सतीश सिंह सिकरवार के घर उनके मां के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करने पहुंचे, उसी समय प्रीतम लोधी भी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। दोनों नेताओं का एक ही समय पर पहुंचना महज एक संयोग था, या फिर सोची समझी रणनीति के तहत दोनों नेताओं की चर्चा को अंजाम देने के लिए यह मुलाकात कराई गई। गौरतलब है कि पिछले दिनों प्रीतम लोधी ने जब सीएम शिवराज सिंह के साथ पोधरोपण किया तो उनकी भाजपा में वापसी सुनिश्चित मानी जा रही थी, लेकिन नेता प्रतिपक्ष से उनकी मुलाकात के बाद नए राजनैतिक समीकरण बने हैं। सूत्रों के माने तो भाजपा के साथ कांग्रेस में भी उनकी बराबर चर्चा चल रही है।
वे पिछोर से एक बार फिर विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। अभी यह सवाल बना हुआ है कि वे भाजपा कांग्रेस या अन्य किसी दल से चुनाव मैदान में होंगे। ऐसा बताया जा रहा है कि पिछोर विधानसभा से अजेय उम्मीदवार केपी सिंह यदि लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए राजी हो गए, तो प्रीतम लोधी कांग्रेस के टिकट पर पिछोर विधानसभा से उम्मीदवार हो सकते हैं,लेकिन ऐसा नहीं होने पर वे इसी विधानसभा से भाजपा के टिकट पर एक बार फिर से अपनी किस्मत अजमा सकते हैं, जिसकी संभावना अधिक नजर आ रही हैं, क्योंकि लगातार पिछोर से चुनाव जीतते आ रहे हैं केपी सिंह लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए राजी होंगे, इसकी संभावना कम ही नजर आ रही है। कुल मिलाकर एक बात तो तय नजर आ रही है विवादों के बाद प्रीतम अंचल के पिछड़े और दलितों के बड़े नेता बनकर उभरे हैं, जिन पर दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दल दांव खेलना चाह रहे हैं। अब वे किसका दामन थामेंगे, इसके लिए कुछ दिन और इंतजार करना होगा।
ऐसे चर्चा में आए थे प्रीतम...
उमा भारती के खास माने-जाने वाले ग्वालियर निवासी प्रीतम कुछ महीनों पहले तब चर्चा में आए थे, जब शिवपुरी जिले में रानी अवन्ति बाई की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में दिया गया उनके भाषण का वीडियो वायरल हो गया था, इसमें वे लोगों से कथावाचकों से सावधान रहने के लिए आगाह करते नजर आ रहे थे। इसमें बोले गए शब्द ब्राह्मणों को नागवार गुजरे और उनमे गुस्सा भड़क उठा। इस गुस्से में उबाल तब आ गया, जब कथावाचक शास्त्री ने अपने प्रवचनों में लोधी पर सीधा हमला बोलते हुए उन्हें मसल देने तक की बात तक कही। इसके बाद प्रीतम और शास्त्री के बीच जमकर बयान युद्ध हुआ। ब्राह्मणों के विरोध के बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने उन्हें नोटिस दिया तो लोधी ने उनसे मिलकर माफीनामा भी दिया, लेकिन शर्मा ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था, जिसके बाद उन्होंने दलित और पिछड़ों को साथ लेक सभा कर लगातार अपना जनाधार बढ़ाने का काम किया।
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