होशंगाबाद, मध्यप्रदेश। प्रधानमंत्री आवास योजना में बंदरबांट और आर्थिक अनियमितताओं के लिए प्रदेश स्तर पर बदनामी का सेहरा अपने सिर पर बांधे नगर पालिका में तत्कालीन अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच सांठगांठ के नए-नए कारनामे सामने आ रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास आवंटित करने और पात्र हितग्राहियों को वंचित रखने के कई मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन अब ताजा घोटाला स्वीकृत आवासों में हितग्राहियों को मनमर्जी से किश्तों की राशि देने का सामने आया है। बताया जाता है कि कई हितग्राही ऐसे है जिनके नाम पर आवास ही आवंटित नहीं है और कलेक्ट्रेट से लेकर नगरपालिका के रिकॉर्ड तक में जिनके नाम नहीं है, उन्हें भी पीएम आवास की किस्त दे दी गई है। जाहिर है इसके पीछे एक बड़ा खेल खेला गया है। जिसमें ऐसे व्यक्तियों के खाते में भी राशि डाल दी गई जिनके नाम पर पीएम आवास आवंटित ही नहीं है।
कलेक्ट्रेट से लेकर नपा कार्यालय तक जिनका रिकार्ड तक नहीं, ऐसे सौ लोगों को लगभग 1 करोड़ 45 लाख रुपये बाँट दिये गये हैं और अब मामले को रफा दफा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। जबकि ऐसे ही 36 हितग्राहियों को लोगों किश्त के अलावा भी अलग से किश्त के 45 लाख रुपये अधिक रुपए दिये गये हैं। जबकि वसूली के लिये नपा कर्मचारी घूम वार्ड दर वार्डघूम रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ हितग्राही का कहना है कि हमे ज्यादा पैसा मिला तो वापिस क्यों दें, हमने पार्षदों और अधिकारियों को भी 25-25 हजार रुपये दिये हैं। जिन सौ लोगों को एक करोड़ 45 लाख रुपये बांटा गया है, उन हितग्राहियों का कहीं कोई रिकार्ड ही नहीं हैं, इससे स्पष्ट है कि इन सौ हितग्राहियों को रूपये देने में तत्कालीन अधिकारियों ने सांठगांठ की है। अंदेशा है कि उन अधिकारियों ने इन हितग्राहियों से 50-50 परसेंट पर सांठगांठ कर लाभ पहुंचाया है। जिन सौ लोगों को यह रूपये दिये गये हैं उनकी फाइल पर किसी भी अधिकारी के कोई हस्ताक्षर नहीं हैं। बड़ी बात यह है कि जिस शीट के आधार पर आवास का पैसा डाला गया है उसमें सिर्फ रूपये लेने वाले का नाम उसके पिता का नाम और बैंक डिटेल डली है उसमें न तो पता डाला गया है और न ही आधार कार्ड की डिटेल डाली गई है।
जांच का जिम्मा भ्रष्टाचार के आरोपी अफसर को :
प्रधानमंत्री आवास योजना की जांच उसी अधिकारी को दी गई है जिसके कार्यकाल में भ्रष्टाचार हुआ है। इसके लिए नगर पालिका सीएमओ ने एक टीम बनाई है जिसमें आरआई, लेखापाल,ख् कर्मचारी व अन्य लोगों को शामिल किया गया है जो हर वार्ड में जाएंगे और पता लगाएंगे कि किस व्यक्ति को लोन दिया गया है। जांच की ओपचारिकता मजबूरी में यह सिर्फ इसलिए किया जा रहा है इसकी जांच लोकायुक्त और मुख्यमंत्री और नगरी प्रशासन से चल रही है। प्रशासन को जवाब देने के लिए यह कहा जा रहा है कि हम लोग जांच कर रहे हैं जिससे इस मामले की लीपापोती की जा सके।
नपा के कर्मचारियों को जबरन थमाया सर्वे का काम :
इस पूरे मामले में सहायक यंत्री आरसी शुक्ला द्वारा किये गये भ्रष्टाचार में जांच के नाम पर लीपापोती की जा रही है और शासन का ध्यान भटकाने के लिये महज औपचारिक तौर पर नपा में कार्यरत दो दर्जन से अधिक राजस्व निरीक्षक, सहायक यंत्री के अलावा सहायक वार्ड प्रभारी, समयपाल सहित अन्य कर्मचारियों को फर्जी हितग्राहियों को चिन्हित करने के लिये लगाया है। जबकि करोड़ों रुपये सीधे खाते में पहुंचे हैं, यह सिर्फ औपचारिकता बनी हुई है। कुल मिलाकर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास चल रहा है।
इनका कहना :
इस पूरे मामले में जांच चल रही है नगरपालिका के कर्मचारियों की टीम गठित कर अपात्र लोगों को चिन्हित करने के लिये वार्ड स्तर पर तैनात किया है।शैलेन्द्र बड़ोनिया, प्रभारी सीएमओ
पीएम आवास योजना में हुए घोटाले की नगरीय प्रशासन मंत्री से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक की गई है, लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। सिर्फ जांच के नाम पर लीलापोती की जा रही है। अधिकारी को बचाया जा रहा है। कार्यपालन यंत्री रमेशचंद्र शुक्ला पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिये, इस पूरे मामले का मास्टर माइंड यही है।प्रशांत श्रीवास, शिकायतकर्ता
नपा में पीएम आवास योजना में जो बड़ा घोटाला हुआ है, उसमें मुझे जबरन दोषी करार देते हुए एफआईआर दर्ज कराई गई थी, जबकि पूरे मामले में कार्यपालन यंत्री रमेशचंद्र शुक्ला द्वारा सीधे तौर पर आर्थिक लाभ लिया गया है। जबकि यह अभी भी पीएम आवास योजना के नोडल अधिकारी बने हुए हैं, जबकि जांच इन्हें ही सौंपी है, जो नियम विरुद्ध है। प्रशासन को श्री शुक्ला से पीएम आवास का प्रभार वापिस लेकर अलग से जांच कराई जाना चाहिये।सुनील राजपूत, पूर्व दैवेभो कर्मचारी, नपा
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