पन्ना, मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों के उजड़ चुके संसार को पुन: आबाद करने में सालों की कड़ी मेहनत लगी, लेकिन अब फिर बाघों की संख्या में लगातार कमी दर्ज हो रही है। पन्ना टाइगर रिजर्व में कहने को 70 के करीब बाघ हैं, लेकिन अधिकांश बाघों का पलायन हो रहा है, विगत दिनों पार्क से निकल कर सतना जिले में पहुंचे पन्ना के एक बाघ हीरा का शिकार किया गया, इस मामले को अभी अधिक समय नहीं बीता था कि आज एक और बाघिन की मौत की खबर ने हड़कम्प मचा दिया है।
उपलब्ध जानकारी के मुताबिक पन्ना टाइगर रिजर्व की बाघिन पी-213 (63) की मौत हुई है। पन्ना टाइगर रिजर्व में जन्मी व पली बढ़ी बाघिन पी-213 (63) उम्र 3 वर्ष थी। 10/11/2021 को लगभग 1:00 बजे गश्ती के दौरान परिक्षेत्र अमानगंज बफर की बीट रमपुरा बफर के कक्ष क्रमांक 1357 में मृत अवस्था में पाई गई। मृत्यु की सूचना प्राप्त होते ही क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व, उप संचालक, पन्ना टाइगर रिजर्व एवं वन्यप्राणी चिकित्सक एवं राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रतिनिधि मौके पर पहुंचे निरीक्षण किया गया। पार्क प्रबंधन का कहना है कि मौके पर अवैध गतिविधि के कोई साक्ष्य नहीं पाये गये। मृत बाघिन को पोस्ट मार्टम उपरान्त क्षेत्र संचालक की उपस्थिति में दाह संस्कार किया गया। प्रथम दृष्ट्या बाघिन की मृत्यु प्राकृतिक प्रतीत हुई। गौरतलब है कि तीन साल की युवा बाघिन की प्राकृतिक मौत अपने आप में कई सवाल खड़े करती है। बाघिन की मौत पार्क के कोर क्षेत्र के बाहर बफर जोन में हुई है। बताया जाता है कि इस क्षेत्र के आसपास कई गांव हैं, ऐसे में शिकार की आशंका भी बनी हुई है। हालांकि की बाघिन के शरीर पर कोई घाव नहीं होने के कारण शिकार की संभावना को नकारा जा रहा है। लेकिन लोगों का कहना है कि जहर आदि से भी शिकार के मामले सामने आते हैं, ऐसे में बाघिन की मौत पर शिकार की संभावना भी जताई जा रही है। लेकिन पार्क प्रबंधन इसे नकार रहा है।
सवालों के घेरे में पार्क प्रबंधन :
पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन पर बाघिन की मौत सवाल खड़े हो रहे हैं, विदित हो कि सतना जिले में मारे गए बाघ में रेडियो कॉलर होने के बाद भी प्रबंधन को उसकी मौत की खबर 18 दिनों के बाद हुई थी। आज मृत पाई गई बाघिन में भी रेडियो कॉलर था, जिसकी मॉनिटरिंग का दावा किया गया है। बावजूद इसके युवा बाघिन की अचानक मौत हो जाना कई सवाल खड़े करता है। पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों का पार्क क्षेत्र के बाहर विचरण सुरक्षित नहीं है, बफर क्षेत्र में असुरक्षा का ही परिणाम है कि इस तरह बाघिन की मौत हो गई।
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