राहुल सांकृत्यायन की 129 वीं जयंती Priyanka Yadav-RE
मध्य प्रदेश

आज Rahul Sankrityayan की जयंती, मुख्यमंत्री शिवराज ने ट्वीट कर किया श्रद्धेय प्रणाम

भोपाल, मध्यप्रदेश। आज राहुल सांकृत्यायन की 129 वीं जयंती है। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने भी उन्हें याद कर नमन किया है।

Priyanka Yadav

भोपाल, मध्यप्रदेश। “हमारी नागरी लिपि दुनिया की सबसे वैज्ञानिक लिपी है” हिंदी यात्रा साहित्य के पितामह, अद्भुत तर्कशक्ति के धनी, युगपरिवर्तनकारी साहित्यकार तथा महापंडित राहुल सांकृत्यायन की आज जयंती हैं। राहुल सांकृत्यायन का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के पंदहा गाँव में 9 अप्रैल 1893 को हुआ था। उनके बाल्यकाल का नाम केदारनाथ पाण्डेय था। राहुल सांकृत्यायन की 129 वीं जयंती के अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने भी उन्हें याद कर नमन किया है।

सीएम शिवराज ने Rahul Sankrityayan को किया याद

Rahul Sankrityayan की जयंती पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर लिखा- "महान स्वाधीनता सेनानी, सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं यात्रा साहित्य के जनक महापंडित राहुल सांकृत्यायन जी की जयंती पर उन्हें सादर नमन। साहित्य जगत को "किन्नर देश की ओर" तथा "यात्रा के पन्ने" जैसी कृतियां देने वाले महान कलमकार के रूप में आप सदैव स्मरणीय रहेंगे"

गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी किया ट्वीट

मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) ने ट्वीट कर कहा- कमर बांध लो भावी घुमक्कड़ों, संसार तुम्हारे स्वागत के लिए बेकरार है: राहुल सांकृत्यायन हिंदी यात्रा साहित्य के पितामह, घुमक्कड़ी के पर्याय, महान इतिहासविद्, पद्म भूषण से सम्मानित महापंडित राहुल सांकृत्यायन जी की जयंती पर शत-शत नमन।

हिंदी के विशिष्ट साहित्यकार थे राहुल सांकृत्यायन :

बताते चलें कि, राहुल सांकृत्यायन जिन्हें महापंडित की उपाधि दी जाती है हिंदी के एक प्रमुख साहित्यकार थे। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद् थे और बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत/यात्रा साहित्य तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। वह हिंदी यात्रासाहित्य के पितामह कहे जाते हैं। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिंदी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। इसके अलावा उन्होंने मध्य-एशिया तथा कॉकेशस भ्रमण पर भी यात्रा वृतांत लिखे जो साहित्यिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं।

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