International Cheetah Day Social Media
मध्य प्रदेश

प्रदेशवासी लें संकल्प, वन्य प्राणियों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सहयोग करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे: CM

International Cheetah Day की शुभकामनाएं देते हुए सीएम शिवराज ने कहा कि, धरती के संतुलन के लिए वन्यप्राणी उतने ही आवश्यक हैं, जितने कि इंसान।

Author : Priyanka Yadav

International Cheetah Day 2022: आज अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस है, बता दें, चीता धरती का सबसे तेज दौड़ने वाला स्तनपायी जानवर है, बिल्ली के कुल में आने वाला चीता अपनी अदभुत फुर्ती और रफ्तार के लिए पहचाना जाता है।

सीएम ने दी अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस की शुभकामनाएं

इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर लिखा है कि, आपको International Cheetah Day की शुभकामनाएं! यह दिन हम मध्यप्रदेश वासियों के लिए अपार गर्व और आनंद का दिन है, क्योंकि अब हमारा टाइगर स्टेट चीता स्टेट भी बन गया है। इस गौरवशाली दिन के लिए माननीय प्रधानमंत्री के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

धरती के संतुलन के लिए वन्यप्राणी उतने ही आवश्यक हैं, जितने कि इंसान: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने कहा कि, धरती के संतुलन के लिए वन्यप्राणी उतने ही आवश्यक हैं, जितने कि इंसान। अत: International Cheetah Day पर हम समस्त मध्यप्रदेशवासी संकल्प लें कि वन्य प्राणियों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सहयोग करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

नरोत्तम मिश्रा ने भी दी चीता दिवस की शुभकामनाएं

मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट कर लिखा- समस्त देशवासियों को विश्व चीता दिवस की शुभकामनाएं। आदरणीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश में दशकों बाद चीतों की वापसी हुई है और मध्य प्रदेश की धरा को उनका निवास बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। विश्व चीता दिवस पर आइए संकल्प लें कि विश्व के लिए उदाहरण बने चीतों के संरक्षण और संवर्धन के इस शुभ अभियान की सफलता को और आगे ले जाने में हम भी बढ़-चढ़कर योगदान करें।

बताते चलें कि, भारत में चीता आखिरी बार 1947 में देखा गया था और 1952 में चीते को भारत में लुप्त घोषित कर दिया गया था। ऐसे में चीतों को दोबारा भारत में बसाया गया। बीते दिनों मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए 8 चीतों में से 2 को 50 दिन बाद बड़े बाड़े में छोड़ा गया था। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि, दशकों पहले, जैव-विविधता की सदियों पुरानी जो कड़ी टूट गई थी, विलुप्त हो गई थी, हमें उसे फिर से जोड़ने का मौका मिला है।

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