राज एक्सप्रेस। अरिहंत वाटर प्लांट पर एसडीएम के आदेश के बाद भी संबंधित विभाग के उज्जैन से आए अधिकारी जांच नही करते हुए प्लांट को सील कर चले जाने का मामला अब गरमाने लगा है। अधिकारी ने प्लांट की सील खोलने का मामला एसडीएम के पाले में डालते हुए पल्ला झाड़ रहे हैं। एसडीएम ने इस बात को लेकर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि उनके विभाग का मामला है कार्यवाही उन्हें ही करना है। मुझे आवेदन स्वीकार करने का अधिकार नहीं है। इससे यह साफ है कि संबंधित विभाग के अधिकारी RO प्लांट संचालक को बचाकर शहर को लोगों के स्वास्थ्य के साथ थोड़े से लाभ-शुभ के लिए खिलवाड़ कर रहे हैं।
अरिहंत वाटर प्लांट के संचालक ने अपना साम्राज्य (मोनोपाली) करने के लिए शहर के 80 प्रतिशत RO वाटर प्लांट टेकओवर कर लिए। तब से ही प्लांट संचालक नियमों को ताक में रखकर प्लांट का संचालक करने की शिकायत अधिकारियों को मिल रही है। शिकायतों को लेकर एसडीएम आरपी वर्मा ने खाद्य अपमिश्रण अधिकारी बसंत दत्त शर्मा को उज्जैन से बुलाकर प्लांट की जांच करने को कहा। उनके साथ एक चार का गार्ड व नायब तहसीलदार को भी भेजा। दल के पहुंचने के पूर्व ही प्लांट पर आगे से ताला लगा दिया और संचालक भाग गया। मोबाईल भी अटैंड नही किया। तो शर्मा ने अधिकारों का उपयोग नही करते हुए सिर्फ वहां ताले पर सील लगाकर चले गए।
तो ताला तोड़कर कर सकते थे जांच
जबकी नियमानुसार अधिकारी को पूरा अधिकार होता है कि यदि कही जांच करने गए है और संबंधित संचालक वहां नही पहुंचता है तो पंचनामा बनाकर ताला तोड़कर टीम अंदर घुसकर जांच कर सकती है। लेकिन शर्मा ने ऐसा नहीं किया। जबकी मजिस्ट्रेट के पॉवर के साथ नायब तहसीलदार के साथ चार पुलिसकर्मी भी उपस्थित थे। तीन घंटे इंतजार शर्मा ने इसलिए करवाया की प्लांट संचालक आ रहा है, पर कार्यवाही नहीं की। इनकी कार्यप्रणाली की चर्चा शहर में चल रही है।
पूर्व में भी ऐसा ही किया था विभाग के अधिकारियों ने
बुधवार को प्लांट सील कर दिया। अब सील करने वाले अधिकारी बसंत दत्त शर्मा ने पूरी तरह पल्ला झाड़ते हुए गेंद एसडीएम वर्मा के पाले में डालते हुए बताया कि हमने तो सील कर दिया है अब वह प्लांट संचालक एसडीएम को आवेदन दे आगे की कार्यवाही एसडीएम के आदेश के बाद ही की जाएगी। जबकी इस मामले मे एसडीएम वर्मा ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि उनके विभाग का मामला है कार्यवाही उन्हीं को करना है। मुझे आवेदन लेने का कोई अधिकार नहीं है। पूर्व में भी इसी तरह प्लांट को सील किया था और जानकारी दिए बिना ही विभाग के अधिकारियों ने सील खोल दी थी।
जबकी अनुमति ही नहीं है
इस बार भी ऐसा ही लग रहा है कि विभाग के अधिकारी प्लांट संचालक के इशारे पर ही काम कर रहे हैं। जो भाषा वो बोल रहे हैं इससे ऐसा लगता है कि प्लांट संचालक को पूरी तरह बचाने में लगे हुए हैं। पूर्व में भी काफी शिकायतों के बाद सिर्फ प्लांट सील किया था और एसडीएम के बिना जानकारी व बिना जांच करे ही प्लांट की सील खोल दी थी। पानी की गुणवत्ता तो अपनी जगह पर अधिकारियों को शिकायत मिली थी की प्लांट पर बिजली चोरी व नदी में से पानी चोरी भी किया जा रहा है। खुली टंकियां आयसर गाड़ियों में रखकर घर-घर में खुला पानी सप्लाई किया जा रहा है। जबकी इसकी अनुमति है कि नहीं इसकी जानकारी अधिकारियों को भी नहीं है।
इनका कहना
हम कार्यवाही करने गए थे, प्लांट संचालक मौके पर नहीं आए, चौकीदार ने भी दरवाजा नहीं खोला तो हमने बाहर से प्लांट सील कर दिया। अब आगे की कार्यवाही एसडीएम के हाथ में है। संचालक उन्हें आवेदन दे तो वह निर्णय लेंगे कि आगे की कार्यवाही क्या करना है।बसंत दत्त शर्मा, इंसपेक्टर, खाद्य अपमिश्रण विभाग, उज्जैन
मामला खाद्य अपमिश्रण विभाग का है। हम तो कार्यवाही में उनका सहयोग करते है। आवेदन लेने का अधिकार मुझे नहीं है। उन्हें निष्पक्ष कार्यवाही करना चाहिए। पूर्व में भी कार्यवाही की जगह प्लांट सील किया था। मुझे बिना जानकारी दिए बिना ही खोल दिया गया था।आरपी वर्मा एसडीएम नागदा
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