भोपाल एम्स की लगातार बढ़ती लापरवाही को लेकर एनएसयूआई में आक्रोश Social Media
मध्य प्रदेश

भोपाल एम्स की लगातार बढ़ती लापरवाही को लेकर एनएसयूआई में आक्रोश

नर्सिंग स्टाफ की समस्या को लेकर एनएसयूआई ने केंद्र स्वास्थ्य मंत्रालय और मानव अधिकार आयोग को पत्र लिखा।

Author : Krishna Sharma

राजएक्सप्रेस। भोपाल एम्स की लापरवाही लगातार बढ़ती जा रही है वहां एक चिंता का विषय है इसको लेकर एनएसयूआई मेडिकल विंग के प्रदेश समन्वयक रवि परमार ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और मानव अधिकार आयोग को पत्र लिखा। पत्र में भोपाल एम्स की लापरवाही के बारे में का जिक्र करते हुए रवि परमार ने कहा कि भोपाल एम्स के लिए बहुत ही चिंता का विषय है कि चार नर्सिंग स्टाफ कोरोना प्रोजेक्टिव आने के बाद भी अन्य जो स्टाफ ड्यूटी कर रहा है उनकी सुरक्षा के लिए कोई भी पुख्ता इंतजाम एम्स प्रशासन द्वारा नहीं किया गया जो कि बहुत निंदनीय है।

रवि ने पत्र में लिखा कि कोरोना संक्रमण के बीच एम्स में बड़ी लापरवाही बढ़ती जा रही है एक 13 वर्ष की किशोरी की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद जब जांच शुरू हुई तो उसका पहले तो मोबाइल नंबर नहीं लगा उसके बाद रिकॉर्ड में दर्ज पता भी गलत निकला वहीं 13 वर्ष की किशोरी की उम्र सूची में 30 साल दर्ज कर दी इसका खुलासा तब हुआ जब किशोरी को चिरायु अस्पताल में भर्ती कराया गया इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि एम्स प्रशासन कोरोनावायरस को लेकर कितना लापरवाह है।

परमार ने पत्र में एम्स के नर्सिंग स्टाफ की समस्या का जिक्र करते हुए बताया कि भोपाल एम्स जिससे मध्य प्रदेश की समस्त जनता की बहुत ज्यादा उम्मीदें जुड़ी हैं वहीं एम्स प्रशासन आज विफल होता दिखाई दे रहा है भोपाल एम्स में जो स्टाफ कार्यरत है, उनकी सुरक्षा की बात करें तो उसके लिए प्रशासन ने कुछ भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई है।

स्टाफ को एक सैनिटाइजर और हाथ धोने के लिए साबुन के लिए भी वार्डन से लड़ना पड़ता है तब जाकर थोड़ा बहुत सामान दिया जाता है। कोरोना से संक्रमित मरीजों का सैंपल लेने के लिए स्वास्थय मंत्रालय के निर्देशानुसार इएन टी विभाग के JR और SR को निर्देशित किया गया है इसके बावजूद हमारी पारंगतता व पर्याप्त जानकारी नहीं होने के बाद भी हमें धमकाया गया और सैंपल लेने के लिए बाध्य किया गया कि अगर नहीं लेंगे तो कार्यवाही की जाएगी।

भोपाल एम्स में मरीजों की देखभाल से संबंधित कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है जब भी ड्यूटी डाक्टर बदलते हैं दिशानिर्देश और नियम बदल जाते हैं परमार ने बताया कि स्टाफ अपने स्वास्थ्य को लेकर अत्यधिक चिंतित हैं लेकिन उसके बावजूद भी स्टाफ को लगातार वहां से निकालने और कार्यवाही करने की धमकी दी जा रही है परमार ने जांच कर कार्रवाई की मांग की।

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