बस्ते के बोझ से बच्चों को मिलेगी मुक्ति सांकेतिक चित्र
मध्य प्रदेश

अब कलम नहीं, माउस से सीबीएसई स्कूलों में छोटे बच्चों के असेसमेंट

एनईपी लागू होते ही प्रधानमंत्री ने भी कहा था कि बच्चों को बस्ते के बोझ से मिलना चाहिए मुक्ति। नये सत्र से देश के 28 हजार स्कूलों में शुरूआत, मप्र के 1400 स्कूलों में होगा दक्षता का विकास।

राज एक्सप्रेस

भोपाल, मध्यप्रदेश। नई शिक्षा नीति को प्रभावी बनाने के लिए देश के प्रधानमंत्री की अपेक्षाओं पर नवाचार के साथ काम शुरू हो गया है। नीति के अंतर्गत बच्चों को बस्ते के बोझ से मुक्ति दिलाते हुए मौजूदा युग की ऑनलाइन पद्धति से पढ़ाना भी है। नतीजतन पूरे देश में अब नर्सरी से कक्षा दूसरी (प्री-प्रायमरी) तक ऑनलाइन एसेसमेंट (टेस्ट) शुरू किए जाएंगे।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय की गाइडलाइन जारी होते ही हर राज्य में काम प्रारंभ हो गया है। नेशनल एज्युकेशन पॉलिसी (एनईपी) के तहत होने वाले इस कार्य में पूरे देश के 28 हजार स्कूल इस पद्धति से जुड़ रहे हैं। राज्य में भी डेढ़ हजार स्कूलों में काम प्रारंभ हो रहा है। प्रधानमंत्री का फोकस खासकर उन क्षेत्रों में है। जहां पर ऑनलाइन संसाधनों की कमी है। ऐसे क्षेत्रों में ऑनलाइन संसाधनों को मजबूत किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि ऑनलाइन असेसमेंट सुनने में जरूर जटि प्रक्रिया लग रही है, लेकिन बच्चों को सिखाने की आसान विधियां भी तलाशी नहीं है। नर्सरी से कक्षा दूसरी तक छोटे बच्चों को कैसे तनावमुक्त और बस्ते से दूर रहकर शिक्षा दी जाए। इसके विकल्प खोजे गए हैं। नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत बाकायदा छोटे बच्चों का एक पोर्टल भी तैयार किया गया है।

पहले बच्चों की रूचि का पता किया जाएगा :

अधिकारियों का कहना है कि बच्चों को यह बताया भी नहीं जाएगा कि कंप्यूटर पर बैठकर उन्हें ऑनलाइन एसेसमेंट करना है। बच्चों को सिखाने की सहज और सुगम विधियों के अंतर्गत पहले उनसे यह पूछा जाएगा कि आप कंप्यूटर कैसे खोलते हैं। बच्चों को बताया जाएगा कि कंप्यूटर खोलें। फिर उन्हें बताया जाएगा कि वे निर्धारित बिंदु तक कैसे पहुंचे। इस पद्धति में उन्हें कंप्यूटर खोलने से लेकर माउस चलाना, की-बोर्ड पर उंगलियां बैठाने जैसी प्रैक्टिस दी जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि आगामी शिक्षण सत्र से यह काम प्रारंभ कर दिया जाएगा। इस नई टेक्नोलॉजी के अंतर्गत सीबीएसई स्कूलों में होने वाले इस बड़े प्रोग्राम में बच्चों की पढ़ाई से लेकर उनके प्रत्येक स्वभाव और इच्छाओं को परख जाएगा।

संसाधनों की कमी पर पूरा फोकस :

वर्ष 2023 में जैसे ही शिक्षा का नवीन सत्र प्रारंभ होगा। ठीक वैसे ही स्कूलों में होने वाली मासिक त्रैमासिक से माही और वार्षिक एसेसमेंट की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी। अधिकारियों के मुताबिक बड़े शहरों में तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जब दूरस्थ ग्रामीण अंचलों के सीबीएसई स्कूल है वहां पर ऑनलाइन संसाधनों की कमी है अफसरों का कहना है कि अगर ऑनलाइन पद्धति ऐसे क्षेत्रों में सफल नहीं हुई तो मैनुअल तरीके से बच्चों को असेसमेंट कराए जाएंगे।

इनका कहना :

पूरे देश के 28 हजार स्कूलों में नवीन शिक्षण सत्र से ऑनलाइन असेसमेंट प्रारंभ किए जा रहे हैं। यह प्रक्रिया सिर्फ नर्सरी से कक्षा दूसरी तक के बच्चों के लिए होगी। इसके लिए संसाधनों का परीक्षण किया जा रहा है।
डा. इमेन्युअल जोसफ, नेशनल एकेडमिक डायरेक्टर, सीबीएसई, नई दिल्ली
असेस्मेंट एक प्रकार का टेस्ट है। जो अभी तक लिखित में कराया जाता था। भारत सरकार की मंशा है कि रटने और बस्ते के बोझ से दूर करने की मंशा पर उपयोगी सिद्ध होगा। मप्र में 1400 स्कूलों में इस पर काम होगा।
पीके पाठक, वाइस प्रेसीडेंट, भोपाल सहोदया ग्रुप, मप्र

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