हाइलाइट्स :
कोर्ट के समक्ष रखे प्रकरण का बिना देरी तय तारीख पर निराकरण हो।
लगातार स्थगन से प्रकरण का उद्देश्य खत्म सा हो जाता है।
एनजीटी की सेंट्रल बेंच अगली सुनवाई 20 सितंबर को करेगी।
भोपाल। कलियासोत और केरवा डेम के आसपास अवैध निर्माणों के मामले में एनजीटी की ने अफसरों की को सख्त समझाइश दी है। कहा है कि कोर्ट व ट्रिब्यूनल केवल स्थगन और तारीख देने के लिए नहीं है। इस तरह के गंभीर प्रयास करना चाहिए कि कोर्ट के समक्ष रखे प्रकरण का बिना देरी तय तारीख पर निराकरण हो सके। खास तौर से पर्यावरण से जुड़े मामलों में तुरंत एक्शन की जरूरत होती है ताकि लोगों को इसके नुकसानों से बचाया जा सके। लगातार स्थगन से प्रकरण का उद्देश्य खत्म सा हो जाता है। एनजीटी की सेंट्रल बेंच ने सुनवाई में यह बात कही है।
सुनवाई में प्रकरण से जुड़ी जानकारी पेश न कर पाने, और समय मांगने पर बेंच ने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, नगरीय विकास प्रमुख सचिव समेत अन्य अफसरों को फटकार लगाई थी। पांच लाख रुपए की कॉस्ट जमा करने पर एक महीने की मोहलत दे दी। एक हफ्ते में यह राशि मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा करने के आदेश दिए थे। साथ ही मुख्य सचिव को उस विभाग या एजेंसी की जिम्मेदारी तय करने के लिए कहा , जो बेंच के समक्ष अपेक्षित शपथ पत्र पेश नहीं कर पाई।
यहां बता दें कि पर्यावरणविद सुभाष सी पांडेय और राशिद नूर खान ने कलियासोत व केरवा डेम से सटकर हुए अतिक्रमणों व निर्माणों को लेकर एनजीटी में याचिका लगाई है। सहायता के लिए मौजूद रहें सीएस, पीएस बेंच ने यह भी स्पष्ट आदेश दिया है कि अगली सुनवाई 20 सितंबर को सीएस और पीएस ट्रिब्यूनल की सहायता के लिए वर्चुअली मौजूद रहें ताकि उसी दिन निर्णय लिया जा सके। फिर से स्थगन की स्थिति न बने। वहीं प्रकरण में अतिक्रमणों के लिए पक्ष बनाए गए निजी व्यक्तियों को अगली सुनवाई तक बात रखने का समय दिया है।
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