“टेलीविजन : कल आज और कल विषय” पर आयोजित इस वेबीनार की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति माननीय प्रो. के.जी. सुरेश ने की। इस अवसर पर कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर के पूर्व कुलपति एवं वेबीनार के विशिष्ट अतिथि प्रो. (डॉ.) मानसिंह परमार ने दूरदर्शन दिवस को टेलीविजन के इतिहास में बहुत ही महत्वपूर्ण दिन बताया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद रेल, पोस्ट ऑफिस और रेडियो महत्वपूर्ण संगठक रहे हैं, जिन्होंने देश के विकास में बहुत ही अहम भूमिका निभाई है।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर बात करते हुए प्रो.परमार ने मीडिया काउंसिल ऑफ इंडिया के गठन पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने देश में मीडिया शिक्षा पर एक केंद्रीय संचार विश्वविद्यालय भी खोले जाने की बात कही। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र नई दिल्ली के सदस्य सचिव एवं वेबीनार के मुख्य अतिथि डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने वेबीनार के विषय को रोचक, सामयिक एवं महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने टेलीविजन को हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर से जोड़ते हुए कहा कि यह तकनीक भी है और सामग्री भी है। उन्होंने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि आज 222 मिलियन लोग टीवी देख रहे हैं। जबकि सोशल मीडिया पर फेसबुक के 346 मिलियन यूजर्स हैं।
डॉ. जोशी ने सोशल मीडिया से टीवी को गहरा आघात होने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमारे हाथ में रहने वाला मोबाइल, टेलीविजन को बहुत रिप्लेस कर रहा है। उन्होंने आने वाले समय को मीडिया के लिए चुनौतीपूर्ण बताया, लेकिन साथ ही उम्मीद जताई कि यह रचनात्मक भी होगा ।
राज्यसभा टीवी के पूर्व सीईओ एवं वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने बीज वक्तव्य देते हुए मीडिया के विद्यार्थियों से कहा कि आप भाग्यशाली हैं कि आपको विकसित तंत्र मिला है। उन्होंने वर्तमान टेलीविजन समाचार चैनलों पर कहा कि मीडिया ने अपनी साख दांव पर लगा दी है। पत्रकार राजेश बादल ने इसके लिए बाजारवाद को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन साथ ही आने वाले कल पर भरोसा जताते हुए इस स्थिति के खत्म होने की भी बात कही।
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