नर्मदापुरम। शहर में भवन निर्माण के नाम पर तलघरे में आशियाना बनाने का काम चल रहा है। घपलों घोटालों के लिए बदनाम नगरपालिका के अधिकारी चंद रूपए की लालच में शहर को जोखिम के अंधेरे में झोंकने से भी बाज नहीं आ रहे। पीएम घोटाले के मास्टर माइंड तत्कालीन कार्यपालन यंत्री आरसी शुक्ला ने बिल्डर्स और रसूखदारों को बहुमंजिला भवनों में तलघर बनाने की अनुमति नियम विरूद्ध डे डाली। आलम यह है कि आज शहर में नगरपालिका अधिनियम के विपरीत कई बहु मंजिला मकानों में तलघर बन गए ।
पहले समझा जा रहा था कि यह तलघर बिना अनुमति के अवैध रूप से बनाए गए हैं, इसकी जांच के लिए टीम गठित भी की गई। टीम ने पड़ताल करने के बाद पाया कि सभी तलघरों को नगरपालिका की अनुमति से ही बनाया गया है और यह अनुमति तत्कालीन कार्यपालन यंत्री रमेशचंद्र शुक्ला द्वारा दी गई है। शुक्ला अब सेवानिवृत्त हो गए हैं लेकिन शहर को जोखिम के जाल में धकेल कर चले गए। विदित है कि नर्मदा बेस भूकंप का सेसेंटिव जोन माना जाता है और नर्मदापुरम इसके हाई रिस्क जोन में शामिल है। शहर में नगरपालिका के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री द्वारा बड़े-बड़े बिल्डर और मालवालों को अनुमति दे दी गई जिससे शहर में आलीशान भवनों के नीचे नियम विरूध्द तलघर बना लिए गए। मामले में बताया जाता है कि शहर में लगभग 1 दर्जन से अधिक लोगों ने तलघरों का निर्माण किया है, और यह तलघर बड़े शहरों के लिए है। जबकि नियम के विरुद्ध नगरपालिका के तत्कालीन ईई ने इन्हें परमिशन दे दी।
मालूम हो कि कार्यपालन यंत्री सेवानिवृत्त होने के पहले ही शहर के अधिकांश इलाकों में तलघर बनाने की अनुमति दी गई है, बताया जाता है कि अनुमति तो दी गई लेकिन बताया जाता है कि यह तलघर पूरे के पूरे अवैध रूप से बनाए गए हैं और इनके निर्माण से आने वाले समय में आसपास के रह रहे इलाके के लोगों को भी खतरा है, क्योंकि शहर का अधिकांश क्षेत्र भूकंप से आता है क्योंकि पूर्व में भी यहां भूकंप के झटके आ चुके हैं। ऐसी स्थिति में नगरपालिका ने तलघर बनाने की अनुमति क्यों दी और किसके कारण दी यह एक जांच का विषय है।
बता दें कि यह वही नगरपालिका के कार्यपालन यंत्री हैं जिनका नाम प्रधानमंत्री आवास घोटाले में शामिल है और उक्त अधिकारी के द्वारा ही प्रधानमंत्री आवास के करोड़ों के घोटाले में उक्त अधिकारी भी दोषी है बता दें कि श्री शुक्ला एक माह पूर्व ही रिटायर्ड हुए हैं। मालूम हो कि शहर के अधिकांश बिल्डरों को भी इन्होंने अनापत्ति प्रमाण पत्र भी जारी किया है जो कॉलोनी अवैध है उन्हें भी इन्होंने कॉलोनी बनाने के लिए नगर पालिका से खुद के हस्ताक्षर से अनुमति दी गई है। इस मामले में भी वरिष्ठ अधिकारियों को यहां जांच चल रही है। उक्त अधिकारी की जांच की जाए तो अनेकों ऐसे मामले हैं जो इस अधिकारी ने नगरपालिका ने बैठकर काफी भ्रष्टाचार किया है। उक्त अधिकारी को कुछ सत्ता पक्ष के नेताओं का संरक्षण होने के कारण कार्यवाही नहीं हुई थी, लेकिन इस मामले में अभी भी जांच-पड़ताल चल रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि उक्त अधिकारी प्रधानमंत्री आवास घोटाले में मास्टरमाइंड रहा है उनके ही कार्यकाल में करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ था।
स्टेडियम की दुकानों में बिना अनुमति बन गए तलघरे
स्थानीय गुप्ता ग्राउंड स्टेडियम में बनी नगरपालिका की दुकानों में बिना अनुमति के दुकानों के अंदर तलघरे बना दिए हैं। जबकि एग्रीमेंट के मुताबिक दुकानदार किसी भी प्रकार का निर्माण बिना नगरपालिका की अनुमति से नहीं कर सकता है। लेकिन प्रभावशाली और राजनीतिक संरक्षण के चलते गुप्ता ग्राउंड की सभी दुकानों में बिना अनुमति के बड़े तलघर बना डाले हैं। इस मामले में नगर पालिका और प्रशासन के अधिकारी क्या संज्ञान नही लेते यह गंभीर मामला है। यदि बारीकी से दुकानों की जांच पड़ताल की जाए तो खुलासा हो सकता है।
इनका कहना है
जांच टीम गठित की गई है, जो तलघर की जांच कर रही है, जांच के बाद ही आगे की कार्यवाही की जायेगी।
अनिल पटेल, तहसीलदार
इस मामले में सभी जगह जांच की जा रही है। जांच के बाद ही आगे की कार्यवाही की जावेगी।
महेन्द्र तोमर, सहायक यंत्री नपा
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