भोपाल। जब किसी बड़ी सड़क परियोजनाओं की योजना आकार लेती है, तो सामान्य तौर पर माना जाता है कि ये परियोजना 4-5 साल से पहले पूरी नहीं होगी। मौजूदा समय में जिस तरह की सड़क परियोजनाओं का काम हो रहा है, उसमें इतनी देरी स्वाभाविक भी है, लेकिन प्रदेश की एक बड़ी सड़क परियोजना इसका अपवाद हो सकती है। इस परियोजना के तहत बन रहा नर्मदा प्रगतिपथ का काम अगले तीन वर्ष के भीतर पूरा हो सकता है। ये इसलिए कि इस प्रगतिपथ की लंबाई भले ही 867 किलोमीटर है, लेकिन जिस तरह से इस प्रगतिपथ का रूट तय किया गया है, उसमें केवल 150 किलोमीटर नई सड़क बनाने की ही नौबत आ रही है।
नर्मदा प्रगतिपथ राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है। इस प्रगतिपथ के माध्यम से प्रदेश की जीवनदायिनी मां नर्मदा के के उद्गम स्थल अमरकंटक से लेकर गुजरात सीमा तक इस सड़क के माध्यम से कनेक्टिविटी बढ़ाना है। ये सड़क नर्मदा नदी के समानांतर बनाया जाना है। नर्मदा प्रगतिपथ प्रदेश की पश्चिमी सीमा पर झाबुआ जिले को पूर्वी सीमा पर नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक से जोड़ता है।
सड़क की लंबाई भी घटी
पहले नर्मदा प्रगतिपथ के तहत कुल 906 किमी सड़कें बनाया जाना था, लेकिन अब अंतिम रूप से जो रूट मेप तैयार किया गया है, उसमें सड़क की लंबाई घट गई है। अब 867 किमी ही सड़क ही परियोजना के तहत बनाया जाना है। इस तरह अब नर्मदा प्रगतिपथ की लंबाई 39 किमी तक घट गई है।
पहले ये रूट किया गया था प्रस्तावित
प्रस्तावित नर्मदा एक्सप्रेस वे एकरेखण कबीर चबूतरा अमरकंटक से शुरू होकर डिंडोरी-जबलपुर-औबेदुल्लागंज-बुधनी-नसरुल्लागंज-संदलपुर-करनावद-इंदौर- धार-सरदारपुर-झाबुआ मप्र और गुजरात सीमा तक प्रस्तावित है जिसकी कुल लंबाई लगभग 906 किमी है। प्रस्ताव अनुसार कबीर चबूतरा से डिण्डोरी तक 76 किमी2 लेन, डिण्डोरी से जबलपुर 155 किमी 2 लेन, जबलपुर बायपास ग्रीनफ ील्ड 18 किमी4 लेन, जबलपुर से औबेदुल्लागंज 269 किमी 4 लेन, औबेदुल्लागंज से बुधनी 32 किमी 4 लेन, बुदनी-रेहटी-नसरूल्लागंज 53 किमी 2 लेन, नसरूल्लागंज से संदलपुर 35 किमी प्रस्तावित 4 लेन, संदलपुर से करनावद 60 किमी 4 लेन, करनावद से इंदौर 33 किमी 4 लेन और इंदौर-धार-झाबुआ-मप्र और गुजरात सीमा 175 किमी 4 लेन रखने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया था।
क्यों पड़ रही महज 150 किमी नई सड़क बनाने की जरुरत
यदि नर्मदा प्रगतिपथ सबसे कम समय में पूरी होने वाली बड़ी सड़क परियेजना बन सकती है तो इसके पीछे वजह भी है। दरअसल इस मार्ग के पश्चिमी छोर गुजरात सीमा से इंदौर तक 4 लेन राष्ट्रीय राजमार्ग पहले से ही बनी हुई है। यहां प्रगतिपथ के लिए अलग से सड़क बनाने की जरुरत नहीं है। इसी तरह इंदौर से संदलपुर तक 4 लेन सड़क का काम पहले ही चल रहा है। यहां भी नई सड़क की जरुरत नहीं है। इसी क्रम में बाड़ी से जबलपुर तक राष्ट्रीय राजमार्ग पहले से ही बनी हुई है, जिसका काम भी हाल ही में पूरा हुआ है। यानी यहां भी नई सड़क बनाने की जरुरत नहीं है। इसी तरह जबलपुर से कबीर चबूतरा जो कि अमरकंटक के करीब है, यहां भी सड़क का काम पहले से ही चल रहा है।
बाड़ी से संदलपुर तक ही सड़क बनेगी
नर्मदा प्रगतिपथ के तहत अब केवल बाड़ी से संदलपुर तक ही नई सड़क बनाने की जरुरत पड़ेगी। अब डीपीआर के हिसाब से बाड़ी से जबलपुर - भोपाल सड़क से नर्मदा प्रगतिपथ अलग हो जाएगी, जो कि औबेदुल्लागंज के बजाय सीधे बुधनी के करीब से गुजरेगी। नसरूल्लागंज से फिर संदलपुर के लिए नई सड़क बनेगी। इस तरह केवल 150 किमी ही नई सड़क तैयार होगी। इसके लिए डीपीआर तैयार कर लिया गया है और अब शीघ्र ही सड़क बनाने का काम शुरू होगा। इस तरह महज 150 किमी नई सड़क बनाने की जरुरत को देखते हुए ही नर्मदा प्रगतिपथ का काम अब सबसे कम समय में पूरा होगा। इस परियोजना के तहत पूरी सड़क तीन वर्ष के भीतर पूरी हो जाएगी।
इनका कहना है
नर्मदा प्रगतिपथ के तहत बाड़ी से संदलपुर तक नई सड़क का काम होगा। इसके लिए डीपीआर तैयार कर लिया गया है। बाकी स्थानों में या तो सड़कों का काम पूरा हो गया है या फिर निर्माणाधीन है।
सुखबीर सिंह, प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग
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