Transfer of Indian Gaur : प्रदेश में करीब 5 हजार बायसन यानी भारतीय गौर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (Satpura Tiger Reserve) में है, प्रशासन अब इनमें से कुछ बायसन को संजय गाँधी टाइगर रिजर्व (Sanjay Gandhi Tiger Reserve) में भेजने वाला है। संजय टाइगर रिजर्व में ये भारतीय गौर विलुप्त हो चुके थे। इसके बाद इन्हे दोबारा बसाने के लिए इस प्रोजेक्ट को लागू किया जा रहा है।
इसके लिए केवल सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व ही नहीं बल्कि कान्हा नेशनल पार्क (Kanha National Park) से भी करीब 50 बायसन भेजने की तैयारी है।एक नर बायसन के साथ तीन मादा बायसन को रखने की योजना है। जिसके चलते एक महीने के अंदर सतपुड़ा रिजर्व से 15 और कान्हा टाइगर रिजर्व से 35 बायसन भेजे जाएंगे। बायसन के लिए पार्क में अनुकूल वातावरण भी है। भारतीय बायसन को समतल मैदान, बड़े-बड़े चारागाह, पीने के लिए पानी बारामासी नदियों और घास के मैदान की आवश्यकता होती है।
1998 में हो गए थे विलुप्त :
संजय टाइगर रिजर्व में साल 1998 से बायसन विलुप्त हो गए थे। जिसके बाद बायसन एसटीआई में नहीं दिखे। 25 साल बाद अब पार्क में बायसन नजर आने वाले हैं। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और कान्हा के बायसन पार्क का गौरव बढ़ाएंगे। भारतीय गौर की आबादी को पुनर्जीवित करने के लिए संजय दुबरी टाइगर रिजर्व में फिर से बायसन को लाया जा रहा है।
भारतीय गौर :
भारतीय गौर को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) रेड लिस्ट में असुरक्षित के रूप में चिह्नित किया गया है। जंगली भैंस की तरह ये काफी बड़े व मोटे होते हैं। ये प्रजाति अधिकतर झुंड में रहना पसंद करती है। टाइगर, तेंदुआ, शेर अक्सर बायसन का शिकार करते हैं। पर्यावरण की दृष्टी से यह काफी महत्वपूर्ण प्रजाती है। खाद्य जाल में इनकी अहम भूमिका है।
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