MP Lok Sabha Election 2024 Raj Express
मध्य प्रदेश

MP Lok Sabha Election 2024 : 9 सीट पर मतदान, कौन किस पर भारी, भाजपा-कांग्रेस ने झोंकी ताकत

Author : gurjeet kaur

हाइलाइट्स :

  • 7 मई को तीसरे चरण का मतदान।

  • वोटर्स ईवीएम में दर्ज करेंगे अपना मत।

  • विदिशा, ग्वालियर बनी चुनाव की हॉट सीट।

MP Lok Sabha Election 2024 : मध्यप्रदेश। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के लिए 7 मई को मतदान है। इसके पहले भाजपा - कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। जीत के लिए साम - दाम - दंड - भेद सभी तरीके अपनाए जा रहे हैं। तीसरे चरण में मध्यप्रदेश की 9 सीट पर मतदान है। 9 की 9 सीट पर मुकाबला देखने लायक होगा। कई सीट ऐसी हैं जिन पर वर्षों से भाजपा का कब्जा है। वहीं कुछ सीट ऐसी है जहां कांग्रेस का पक्ष मजबूत है। अंतिम फैसला 7 मई को मतदाता ईवीएम में दर्ज करेंगे। इससे पहले जानते हैं मध्यप्रदेश की 9 सीटों का हाल और कौन - सा उम्मीदवार किस सीट से लड़ रहा है चुनाव...।

बैतूल लोकसभा सीट :

साल 1996 से इस सीट पर भाजपा की जीत बरकरार है। भाजपा ने दुर्गादास उइके को दोबारा मौका दिया है। उनके सामने कांग्रेस ने रामू टेकाम को मैदान में उतारा है। 2019 के चुनाव में भी दोनों प्रत्याशी आमने - सामने थे। दुर्गा दास उइके ने रामू टेकाम को करीब 4 लाख मत के अंतर से हराया था। आखिरी बार इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी 1991 में जीते थे। इसके बाद भाजपा के विजय खंडेलवाल, हेमंत खंडेलवाल और ज्योति धुर्वे इस सीट से सांसद बने। दुर्गादास उइके 2019 के लोकसभा चुनाव में विजयी हुए थे। दूसरे चरण में इस सीट पर मतदान था लेकिन बसपा उम्मीदवार की मृत्यु के बाद मतदान तीसरे चरण में हो रहा है। यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। 2019 में इस सीट पर 17 लाख से अधिक मतदाता थे। इस सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में इनमें से 6 भाजपा और 2 कांग्रेस ने जीती थी।

बैतूल लोकसभा सीट : दुर्गादास उइके बनाम रामू टेकाम

मुरैना लोकसभा सीट :

मुरैना लोकसभा सीट से भाजपा ने शिवमंगल सिंह तोमर और कांग्रेस ने सत्यपाल सिंह सिकरवार (नीतू) को मैदान में उतारा है। 2019 में नरेंद्र सिंह तोमर इस सीट से जीते थे। वे वर्तमान में मध्यप्रदेश विधानसभा के स्पीकर हैं। शिवमंगल सिंह तोमर, नरेंद्र सिंह तोमर के करीबी बताए जाते हैं। वहीं कांग्रेस के सत्यपाल सिंह सिकरवार को मैदान में उतारा है। सत्यपाल सिंह सिकरवार भाजपा के पूर्व नेता रहे हैं। पार्टी विरोधी गतिविधि के कारण उन्हें निष्कासित कर दिया गया था। 1996 से इस सीट पर भाजपा का कमल खिलता आया है। आखिरी बार कांग्रेस के बारेलाल जाटव 1991 में इस सीट से विजयी हुए थे। शिवमंगल सिंह तोमर और सत्यपाल सिंह सिकरवार के बीच इस बार मुकाबला देखने लायक होगा। इस सीट के अंदर 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें से पिछले विधानसभा चुनाव में 5 कांग्रेस और 3 भाजपा ने जीती थी।

मुरैना लोकसभा सीट : शिवमंगल सिंह तोमर बनाम सत्यपाल सिंह सिकरवार

भिंड लोकसभा सीट :

भिंड से कांग्रेस ने इस बार फूल सिंह बरैया को उम्मीदवार बनाया है। वहीं बीजेपी ने संध्या राय को मैदान में उतारा है। ये सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। यहां आखिरी बार कांग्रेस 1984 में जीती थी। 1996 से इस सीट पर भाजपा प्रत्यशी जीतते आए हैं। संध्या राय ने 2019 का चुनाव भी इसी सीट से जीता था। उन्हें तब 54.93 प्रतिशत वोट मिले थे। उनके सामने कांग्रेस ने भांडेर विधायक फूल सिंह बरैया को चुनाव लड़ने का मौका दिया है। भिंड में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में 4 सीट कांग्रेस और 4 भाजपा ने जीती थी।

भिंड लोकसभा सीट : फूल सिंह बरैया बनाम संध्या राय

ग्वालियर लोकसभा सीट :

ग्वालियर में भाजपा के भरत सिंह कुशवाह और कांग्रेस के प्रवीण पाठक के बीच मुकाबला है। 2004 में आखिरी बार कांग्रेस ये सीट जीती थी। यशोधरा राजे सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर इस सीट से सांसद रह चुके हैं। 2019 में विवेक शेजवलकर यहां से सांसद चुने गए थे। भरत सिंह कुशवाह भाजपा के दिग्गज नेता हैं उनके सामने कांग्रेस ने प्रवीण पाठक को मैदान में उतारा है। प्रवीण पाठक पिछला विधानसभा चुनाव ग्वालियर ग्रामीण से लड़े थे और काफी कम मतों से हार गए थे। ग्वालियर सीट में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें से 4 सीट भाजपा और 4 कांग्रेस के पास है।

ग्वालियर लोकसभा सीट : भरत सिंह कुशवाह बनाम प्रवीण पाठक

गुना लोकसभा सीट :

सिंधिया परिवार की सीट कही जाने वाली गुना लोकसभा में भाजपा ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को उम्मीदवार बनाया है। सिंधिया पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। 1952 में पहली बार यह सीट हिन्दू महासभा के वीजी देशपांडे ने जीती थी। इसके बाद कुछ साल कांग्रेस इस सीट पर जीती। 1967 में विजया राजे सिंधिया इस सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार खड़ी हुई थीं और जीती भी थीं। इसके बाद माधवराव सिंधिया एक बार भाजपा, एक बार स्वतंत्र और एक बार कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से विजयी हुए। इसके बाद विजया राजे सिंधिया लगातार चार बार इस सीट से सांसद रहीं। उनके बाद माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के टिकट पर विजयी हुए।

कांग्रेस ने यादवेंद्र सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया है। यादवेंद्र सिंह यादव बीजेपी छोड़कर कांग्रेस के साथ हो गए थे। यादवेंद्र सिंह यादव के भाजपा छोड़ने की वजह ज्योतिरादित्य सिंधिया की भाजपा में एंट्री थी। यादवेंद्र सिंह यादव के पिता ने 2002 का उपचुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ BJP की टिकट पर लड़ा था। इस तरह 22 साल बाद अब उनका बेटा सिंधिया के खिलाफ कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ेगा। गुना में विधानसभा की 8 सीट है इनमें से 6 सीट भाजपा और 2 कांग्रेस के पास है।

गुना लोकसभा सीट : ज्योतिरादित्य सिंधिया बनाम यादवेंद्र सिंह यादव

सागर लोकसभा सीट :

सागर लोकसभा सीट से इस बार भाजपा की लता वानखेड़े और कांग्रेस के चंद्र भूषणसिंह बुंदेला उर्फ़ गुड्डू राजा बुंदेला आमने सामने हैं। यह सीट 1996 से भाजपा के पास है। वीरेंद्र खटीक 4 बार इस सीट से सांसद रह चुके हैं। 2019 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के राजबहादुर सिंह ने जीता था। इस बार उनकी जगह भाजपा ने महिला उम्मीदवार को खड़ा किया है। विधानसभा चुनाव से पहले गुड्डू राजा बुंदेला ने बसपा छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ली थी। बुंदेलखंड की राजनीती में उनका अच्छा खासा दबदबा है। सागर में विधानसभा की 8 सीट है इनमें से सभी पर भाजपा जीती है सिर्फ एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी।

सागर लोकसभा सीट : गुड्डू राजा बुंदेला बनाम लता वानखेड़े

विदिशा लोकसभा सीट :

विदिशा इस लोकसभा चुनाव में सबसे हॉट सीट है। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 20 साल बाद दोबारा मैदान में हैं। ये सीट भाजपा का गढ़ है। सिर्फ दो बार कांग्रेस यहां से जीती है। पहली बार 1980 और दूसरी बार 1984 में। विदिशा से भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और सुषमा स्वराज जैसे दिग्गज नेता सांसद रहे हैं। 1991 का उपचुनाव में पहली बार शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव लड़ा था। उसके बाद 2004 तक वे लगातार जीतते आए थे। 2024 में उन्हें भाजपा ने एक बार फिर मैदान में उतारा है। उनके सामने कांग्रेस ने प्रताप भानु शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा हर चुनाव यहां से रिकॉर्ड मतों से जीतती आई है। विदिशा लोकसभा क्षेत्र में 8 सीट आती है। इनमें से सिलवानी को छोड़कर सभी पर भाजपा विजयी हुई थी।

विदिशा लोकसभा सीट : शिवराज सिंह चौहान बनाम प्रताप भानु शर्मा

भोपाल लोकसभा सीट :

भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने 1984 के बाद कभी जीत का मुँह नहीं देखा। यहां 1989 से भाजपा जीतती आई है। इसे भाजपा का गढ़ कहना गलत नहीं। इस बार मुकाबला भाजपा के आलोक शर्मा और कांग्रेस के अरुण श्रीवास्तव के बीच है। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती इस सीट से सांसद रह चुकी हैं। 2014 और 2019 दोनों चुनाव में भाजपा ने उम्मीदवार बदला था। 2019 में मुकाबला दिग्विजय सिंह साध्वी प्रज्ञा के बीच था। प्रज्ञा को 61.54 और दिग्विजय सिंह को 35.63 प्रतिशत वोट मिले थे। इस सीट में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें से 6 भाजपा और दो (भोपाल उत्तर, भोपाल मध्य) कांग्रेस के पास है।

भोपाल लोकसभा सीट : आलोक शर्मा बनाम अरुण श्रीवास्तव

राजगढ़ लोकसभा सीट :

तीसरे चरण के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर मुकाबला देखने लायक होगा। 2019 में भोपाल लोकसभा सीट से हार का स्वाद चखने के बाद दिग्विजय सिंह को इस बार कांग्रेस ने राजगढ़ से मैदान में उतारा है। इस सीट पर कांग्रेस - भाजपा का आना जाना लगा रहता है। अधिकतर कांग्रेस ये सीट जीती है। बीजेपी ने रोडमल नागर को उम्मीदवार बनाया है। 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव रोडमल नागर ने जीता था। इस बार भी पार्टी ने उनपर भरोसा जताया है। इस सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा क्षेत्र हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में 2 सीट ही कांग्रेस जीत पाई थी, 6 भाजपा के खाते में गई थी।

राजगढ़ लोकसभा सीट : दिग्विजय सिंह बनाम रोडमल नागर

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