डॉक्टर की लापरवाही से माँ और बच्चे की मौत, भड़के परिजन  Sudhir Sharma
मध्य प्रदेश

डॉक्टर की लापरवाही से माँ और बच्चे की मौत, भड़के परिजन

शहडोल। जिला अस्पताल में डॉक्टरो की लापरवाही से प्रसूता ने दम तोड़ दिया, इलाज न मिलने और उचित देखरेख नहीं होने से जन्में नवजात की भी मौत हो गई।

Sudhir Sharma

हाइलाइट्स :

  • 48 घंटे पहले ही आईसीयू में नवजात की हो गई थी मौत, हंगामे से बचने रचा षडयंत्र

  • परिजनों का भड़का आक्रोश, प्रसूता सुधा के बाद नवजात ने तोड़ा दम

  • एसडीएम और प्रशासनिक अमले को सौंपा ज्ञापन

  • हत्या का मामला दर्ज

राज एक्सप्रेस। शहडोल जिला अस्पताल में डॉक्टरो की लापरवाही से प्रसूता ने दम तोड़ दिया, इलाज न मिलने और उचित देखरेख नहीं होने से जन्में नवजात की भी मौत हो गई। जिसके बाद प्रशासन की नींद उड़ गई, नवजात शिशु की मौत की खबर लगते ही एसडीएम सोहागपुर धर्मेन्द्र मिश्रा मृतक के परिजनों से मिलने पहुंच गए। गौरतलब है कि बीते 22 अक्टूबर की रात खैरहा निवासी प्रभात गुप्ता ने अपनी पत्नी सुधा गुप्ता को प्रसव पीड़ा होने पर जिला अस्पताल में भर्ती करवाया था। जहां पर प्रसूता ने अगली सुबह बेटे को जन्म दिया और कुछ देर के बाद डॉक्टरों की लापरवाही से और दर्द से सुधा गुप्ता की मौत हो गई। जन्म के बाद से ही बच्चे की हालत नाजुक थी और उसे डॉक्टरों ने आईसीयू में भर्ती करवा दिया। सिविल सर्जन डॉ. उमेश नामदेव की निगरानी में नवजात का इलाज चलता रहा, तमाम प्रयासों के बाद भी डॉक्टर नवजात की जान नहीं बचा सके।

हत्या का मामला हो दर्ज

परिजनों ने डॉ. उमेश नामदेव पर साजिश का आरोप लगाया है, उनका कहना है कि बच्चा शहडोल अस्पताल के आईसीयू में ही मृत हो चुका था, लेकिन हंगामे से बचने के लिए उमेश नामदेव ने सहयोगी कर्मचारी और अधिकारियों के साथ मिलकर षड़यंत्र रचाऔर मृत बच्चे को जबलपुर मेडिकल कालेज के लिए रेफर कर दिया। इस पूरे मामले में परिजनों ने उमेश नामदेव पर घटनाक्रम में लीपापोती का आरोप लगाया है। एसडीएम धर्मेन्द्र मिश्रा को व्यथा सुनाते हुए परिजनों ने लिखित आवेदन सौंपते हुए डॉक्टरों के कार्यशैली पर जमकर सवालिया निशान उठाया , परिजनों का आरोप है कि जिन डॉक्टरों की ड्यूटी अस्पताल प्रशासन द्वारा लगाई गयी थी, उन्होंने हंगामे के भय से जानबूझ कर नवजात के मृत होने की बात छुपाई, मामले से पल्ला झाड़ने के लिए साजिश की गई।

मृत बच्चे को किया रेफर

बच्चे को अस्पताल से बाहर भेज दिया गया, लेकिन जब बच्चे को उमरिया अस्पताल में भर्ती किया गया तो डॉक्टरो ने मृत घोषित कर दिया। इसके बाद भी परिजन संतुष्ट नही हुए, वे जबलपुर के लिए निकल पड़े रास्ते मे कटनी में भी डॉक्टर नवजात को मृत ही बताया, इसके बाद भी परिजनों ने हिम्मत नही हारी और वे जबलपुर के अस्पतालों में बच्चे की जांच करवाई, जहां पर डॉक्टरों ने उसे लगभग 48 घंटे पहले मृत होने की बात कही। यही नहीं परिजनों का कहना है कि मेडिकल कालेज जबलपुर के डॉक्टरों ने उमेश नामदेव के कहने पर बच्चे के जांच संबंधी दसतावेज नहीं दिये।

जांच कराने सौपा ज्ञापन

उक्त मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए एवं दोषी डॉक्टरों पर अपराध दर्ज हो, इसके अलावा कई अन्य विषयों को लेकर परिजनों ने प्रशासन को ज्ञापन सौपा है।

जांच कराने सौपा ज्ञापन

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