हाईलाइट :
सिंध-चंबल नदी ने बाढ़ के पानी ने डेढ़ सैकड़ा से अधिक घरों को किया बेघर, अब जीवन जीने का हो रहा संकट खड़ा, पीड़ितों को राहत देने के लिए जल्द से जल्द सरकार कदम उठाए।
बाढ़ के कारण लोगों के खाने-पीने का सामान, वर्षभर का गल्ला, गृहस्थी का सामान, मवेशियों के लिए रखा भूसा-चारा हो गया नष्ट।
भिण्ड, मध्य प्रदेश। सिंघ- चंबल नदी में बाढ़ की बासदी से जिले के 150 से ज्यादा गांव मजर, टोली में भयंकर नुकसान है। एक हजार से ज्यादा कच्चे मकान टूटे हैं। 500 सौ से ज्यादा पक्के मकान रहने लायक नहीं बचे हैं। पहले कम बारिश से खरीफ फसल की बोवनी नहीं हो पाई थी। अब बाढ़ के कारण खेत बोवनी के लायक नहीं बचे हैं।
करीब 70 हजार हेक्टेयर फसल का नुकसान है। करीब 20 पुलियां टूटकर बह गई हैं। पांच पुल और पुल की एप्रोच रोड क्षतिग्रस्त हैं। पीडब्ल्यूडी की करीब 30 सड़कें और 50 से ज्यादा सड़कें पीएम गारंटी की बह गईं या क्षतिग्रस्त हैं। आधारभूत ढांचा शिक्षा, आंगनवाड़ी केन्द्र, बिजली, सड़कों की सुविधाएं अस्त व्यस्त हैं। लोगों के खाने- पीने का सामान, वर्षभर का गल्ला, गृहस्थी का सामान, मवेशियों के लिए रखा भूसा-चारा नष्ट हो चुका है।
यह बात भिंड विधायक संजीव सिंह संजू ने शहर के सर्किट हाउस पर शनिवार को प्रेसवार्ता के दौरान कही। उन्होंने कहा लोगों को तत्काल राहत देने के लिए करीब 500 करोड़ रुपए की राहत की जरूरत है। राज्य सरकार से मांग है भिंड जिले के बाढ़ प्रभावित गांवों में पुनर्वास के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की जाए।
बाढ़ की त्रासदी से जिले में यह नुकसान :
विधायक संजीव सिंह संजू ने कहा बाढ़ की त्रासदी से जूझ रहे ज्यादातर किसानों, लोगों के घरों में वर्षभर के लिए गल्ले का इंतजाम किया जाता है, लेकिन इस बार बाढ़ ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। लोगों के खाने-पीने का सामान, गल्ला, गृहस्थी का सामान, पशुधन, पशुओं के लिए रखा भूसा चारा सब नष्ट हो चुका है। कच्चे मकानों के साथ-साथ क मकान क्षतिग्रस्त हैं।
बाढ़ पीड़ित परिवारों के लिए राहत देने के लिए अलग से बनाया जाए पैकेज :
विधायक ने कहा बाढ़ पीड़ित परिवारों के लिए राहत देने के लिए अलग से पैकेज बनाया जाए, जिसमें उनके खाने-पीने का सामान, पशुधन क्रय करने के लिए राशि, घर- मकान में हुए नुकसान की पूर्ति के लिए राशि भी दी जाए। बाढ़ में जिन लोगों के कच्चे मकान टूटे हैं या पक्के मकान क्षतिग्रस्त हैं, उन्हें सभी नियमों को शिथिल कर तत्काल पीएम आवास का लाभ दिया जाए।
ताकि बाढ़ प्रभावित लोगों की सिर पर छत आ सके। जिले में इस बार एक लाख हेक्टेयर में खरीफ फसल की बोवनी का लक्ष्य था। बारिश देर से होने से करीब 40 हजार हेक्टेयर में बोवनी हो सकी थी। बाढ़ में करीब 30 हजार हेक्टेयर खेती ऐसी है, जहां बोवनी की तैयारी थी, लेकिन अब बाढ़ के कारण खेतों में पत्थर गंदगी जमा होने से बोवनी प्रभावित होगी।
फसल बीमा योजना एवं सरकार के खजाने से जल्द राहत की रखी मांग :
विधायक संजीव सिंह संजू ने कहा कलेक्टर जिलेभर में फसल के नुकसान का आंकलन कराएं। प्रभावित हुए किसानों को तत्काल फसल बीमा योजना और सरकार के खजाने से राहत दिलवाई जाए, ताकि नुकसान की भरपाई हो सके।
बाढ़ में जिले में दो पुल टूटे, सड़कें खराब :
बाढ़ में जिले में जखमौली, इंदुर्खी दो पुल टूटे हैं। इनके अलावा तीन पुल की एप्रोच रोड क्षतिग्रस्त हैं। जखमौली में सिंध नदी पर बने पुल का एक स्लैब गिर गया है। पुल आवागमन के लिए पूरी तरह से बंद है। कालिका माता मंदिर के पास बहादुरपुरा, अतरसूमा पुल की एप्रोच रोड क्षतिग्रस्त हुई है। गोरई अडोखर पुल के चार मिड स्पैन नदी में गिर गए हैं। ऊमरी में सिंध नदी पर बना मेहंदा पुल क्षतिग्रस्त है। परायच अमायन पुत्र की सड़क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुई है। करीब 20 पुलिया टूटकर वह गई हैं। पीडब्ल्यूडी की करीब 30 सड़कें टूटकर बह गईं हैं। पीएम गारंटी की 50 से ज्यादा सड़के बह गई या क्षतिग्रस्त हो गईं हैं।
पुल-पुलिया और सड़कें टूटने से गांवों का मुख्यालय से संपर्क टूट :
भिंड विधायक संजीव सिंह संजू ने कहा पुल-पुलिया और सडक़ें टूटने से गांवों का मुख्यालय से संपर्क टूट चुका है। लोगों को आवागमन में भारी परेशानी हो रही है। ऐसे में यहां जल्द से जल्द कार्य शुरू कराए जाएं। इसके लिए सरकार अलग से बजट स्वीकृत कर संबंधित विभागों और निर्माण एजेंसियों को दे। साथ ही निर्माण कार्यों के पूरा होने की समयावधि तय की जाए। किए निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की गारंटी निर्धारित की जाए। सिंध और चंबल नदी का पानी उतरने से बाढ़ का खतरा अब कम हो रहा है, लेकिन बाद में बहकर आए मृत मवेशियों, गंदगी से बीमारी फैलने का खतरा बढ़ गया है। इसके लिए प्रत्येक बाढ़ प्रभावित गांव में में सप्ताहभर के लिए मेडिकल कैंप लगाए जाए। दवा का छिडक़ाव कराया जाए ताकि बाद में बहकर आए मृत मवेशियों, गंदगी से पनप रहे मच्छरों से कोई गंभीर बीमारी नहीं फैलने पाए।
बाढ़ प्रभावित गांवों में बिजली की लाइनें टूटी :
जिलेभर में बाढ़ प्रभावित गांवों में बिजली की लाइनें टूट गई है। कई गांवों में बाढ़ में ट्रांसफार्मर टूट गए या बह गए हैं। बिजली के खंभे टूट गए हैं। बाढ़ का खतरा टलने के बावजूद बिजली नहीं होने से लोगों का जीवन नरकीय बना हुआ है। बाढ़ प्रभावित गांवों में विशेष पैकेज के बिजली कंपनी अतिरिक्त कर्मचारियों- अधिकारियों को लगाकर बिजली व्यवस्था बहाल करे।
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