इंदौर, मध्य प्रदेश। जूनी इंदौर स्थित एक निजी अस्पताल में एक 55 वर्षीय महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। मृतिका के बेटे ने आरोप लगाया था कि उसकी मां की मौत अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण हुई। इस मामले में सीएमएचओ सहित अन्य अधिकारियों को शिकायत की गई थी। इस मामले में सीएमएचओ द्वारा तीन सदस्यी जांच कमेटी बनाई गई थी, जिसने बुधवार को अपनी रिपोर्ट सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जडिय़ा को सौंपी।
रिपोर्ट में जांचकर्ताओं ने माना कि जिस समय महिला की तबियत आईसीयू में बिगड़ी, उस दौरान वहां पर कोई भी एमबीबीएस डिग्रीधारी या अन्य योग्य चिकित्सक नहीं था, जो महिला की जान बचा सके। इस लापरवाही के लिए अस्पताल प्रबंधन जिम्मेदार है। अब इस रिपोर्ट के आधार पर सीएमएचओ द्वारा अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
चार बिंदुओं पर शुरू की गई थी जांच :
तीन बिंदुओं पर जांच की गई, जो इस प्रकार थे- मृतिका जोगेश्वरी देवी की बीमारी की प्रकृति क्या थी एवं उसे आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत थी? दूसरा-इलाज कर रहे चिकित्सक द्वारा क्या उनकी बीमारी का सही निदान कर इलाज शुरू किया गया था? तीसरा-वेदांत अस्पताल में आईसीयू में जरूरी चिकत्सक योग्यता के चिकित्सक मौजूद थे? और अंतिम बिंदु- जब मरीज की तबीयत ज्यादा खराब होने से हृदय गति रुकने पर हरीश मंगलानी द्वारा उन्हें अटेेंड किया गया? उक्त तीनों बिंदुओं पर जांच समिति में शामिल डॉक्टर्स डॉ. एमएस मंडलोई, सर्जिकल विशेषज्ञ, डॉ. संतोष वर्मा, सिविल सर्जन, डॉ. संतोष सिसोदिया, जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी।
इलाज कर रहे चिकित्सक को नहीं ठहराया दोषी :
अपनी जांच रिपोर्ट में तीनों चिकित्सकों ने लिखा है कि मृतिका जागेश्वरी देवी के मस्तिष्क में खून की नलियों मे रुकावट थी, जो एक गंभीर अवस्था है एवं ऐसे मरीज को आईसीयू में रखना जरूरी होता है। इलाज कर चिकित्सक डॉ. हरीश मंगलानी द्वारा मरीज के भर्ती होने के बाद सिर का एमआरआई करवा लिया गया था, जिसके आधार पर उनकी बीमारी का निदान कर उपचार शुरू कर दिया गया था। वेदांत अस्पताल संचालक द्वारा स्वीकार किया गया कि आईसीयू में घटनमा वाले दिन कोई भी आवश्यक योग्यताधारी चिकित्सक ड्यूटी पर नहीं था एवं बीएचएमएस चिकित्सक डॉ. देवीलाल ड्यूटी पर था। मरीज की तबीयत ज्यादा खराब होने एवं हृदय गति रुक जाने पर ड्यूटी पर उपस्थित बीएचएमएस चिकित्सक द्वारा ही संपूर्ण इलाज किया गया। यह बात उक्त चिकित्सक द्वारा अपने कथन मे स्वीकार की गई है। डॉ. मंगलानी ने अपने कथन में कहा है कि उन्हें पहले नहीं बुलवाया गया। मरीज की मृत्यु के बाद उन्हें सूचना दी गई, लेकिन मरीज के रिश्तेदारों द्वारा तोडफ़ोड़ एवं हिंसा की आशंका को देखते हुए अस्पताल में उपस्थित नहीं हुए। उक्त संपूर्ण प्रकरण में वेदांत अस्पताल के आईसीयू में योग्यताधारी चिकित्सक की अनुपस्थिति स्पष्टयता लक्षित है, जो कि अनुचिति है।
यह था मामला :
जोगेश्वर हार्डिया (55 वर्ष) निवासी मुराई मोहल्ला की तबियत बिगड़ने पर जूनी इंदौर स्थित मेदांत अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान महिला की 25 जुलाई को मौत हो गई थी। इस मामले को लेकर अस्पताल में हंगामा और तोडफ़ोड़ भी हुई थी। मृतिका का बेटे त्रिलोक हार्डिया ने इलाज में लापरवाही के कारण अपनी मां की मौत होना बताया था। इस संबंध में सीएमएचओ को शिकायत की गई थी। इस पर जांच कमेटी बनाकर जांच शुरू की गई थी।
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