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मध्य प्रदेश

BIG NEWS: नगर पालिक निगम में 10 करोड़ तक की संपत्ति बेच या किराये से दे सकेगी मेयर-इन-काउंसिल

अब सरकार ने निकायों की आमदनी बढ़ाने के लिए बड़ा दांव लगाया है। अब निकाय अपनी संपत्ति बेचकर, किराये पर देकर तो बंधक रखकर अपनी आमदनी बढ़ा सकेंगे,इसके लिए सरकार ने निकायों को अधिकार दे दिए हैं।

राज एक्सप्रेस

भोपाल (कन्हैया लोधी )। मध्यप्रदेश के नगरीय निकाय आर्थिक रूप से कमजोर हैं। ऐसे में सरकार को जब-तब निकायों को सहायता राशि देने की नौबत आती है। कभी अधोसरंचना के लिए तो कभी बिजली बिल चुकाने के लिए तो कभी वेतन-भत्ते के लिए सरकार को मदद करना पड़ता है। अब सरकार ने निकायों की आमदनी बढ़ाने के लिए बड़ा दांव लगाया है। अब निकाय अपनी संपत्ति बेचकर, किराये पर देकर तो बंधक रखकर अपनी आमदनी बढ़ा सकेंगे। इसके लिए सरकार ने निकायों को अधिकार दे दिए हैं।

5 लाख से अधिक आमदनी वाले नगर पालिक निगम में दो करोड़ रुपए से 10 करोड़ रुपए तक की संपत्ति को बेचने या फिर किराये पर देने का अधिकार अब मेयर इन काउंसिल को होगा। राज्य सरकार ने संपत्ति को बेचने, किराये से देने या फिर बंधक रखने की प्रक्रिया भी तय कर दी है। राज्य सरकार ने इसके लिए मप्र नगर पालिका अचल संपत्ति का अंतरण अधिनियम 2016 में संशोधन कर दिया है। अब नए संशोधन के हिसाब से 5 लाख से अधिक आमदनी वाले नगर पालिक निगम में 2 करोड़ रुपए की संपत्ति को बेचने या फिर भाड़े, दान या बंधक रखने का अधिकार आयुक्त को होगा।

इसी तरह 2 से 10 करोड़ रुपए तक की संपत्ति के मामले में ये अधिकार मेयर-इन काउंसिल को होगा। 10 करोड़ रुपए से अधिक और 20 करोड़ रुपए तक की संपत्ति के मामले में ये अधिकार नगर पालिक निगम को होगा। इसी क्रम में 20 करोड़ रुपए से अधिक और 50 करोड़ रुपए तक की सीमा वाली संपत्ति के बारे में स्वीकृति देने का अधिकार आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास के पास होगा, वहीं 50 करोड़ रुपए से अधिक की निकायों की संपत्ति को बेचने या किराये से देने का अधिकार राज्य सरकार के पास होगा।

5 लाख से कम आमदनी वाले ननि के लिए भी सीमा तय

5 लाख से कम आमदनी वाले नगर पालिक निगम की संपत्ति को बेचने या किराये से देने के बारे में निर्णय लेने का अधिकार भी तय कर दिया गया है। अब 40 लाख रुपए तक की संपत्ति के मामले में ये अधिकार आयुक्त को होगा। इसी तरह 40 लाख से अधिक और 2 करोड़ रुपए तक की सीमा के मामले में ये अधिकार मेयर- इन-काउंसिल को होगा। 2 करोड़ रुपए से अधिक और 5 करोड़ तक की संपत्ति के बारे में निर्णय लेने का अधिकार नगर पालिक निगम को होगा। इसी क्रम में 5 करोड़ रुपए से अधिक और 10 करोड़ रुपए तक की संपत्ति को बेचने या गिरवी रखने का अधिकार आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास के पास होगा, वहीं 10 करोड़ रुपए से अधिक संपत्ति के मामले में निर्णय लेने का अधिकार केवल राज्य सरकार के पास होगा।

नगर पालिका में इस तरह होगा अधिकार

नगर पालिका परिषद में 2 करोड़ रुपए तक की संपत्ति को बेचने का अधिकार प्रेसिडेंट- इन -काउंसिल के पास होगा। इसी तरह 2 करोड़ से अधिक और 5 करोड़ तक की संपत्ति को बेचने का अधिकार परिषद के पास होगा। 5 करोड़ से अधिक और 10 करोड़ तक संपत्ति के मामले में आयुक्त नगर नगरीय प्रशासन एवं विकास और 10 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की संपत्ति के मामले में राज्य सरकार निर्णय करेगी।

नगर परिषद की संपत्ति की बेची जा सकेगी

नगर निगम और नगर पालिका के साथ नगर परिषद की संपत्तियों को भी बेचने, किराये पर देने या फिर बंधक रखकर अपनी आर्थिक सेहत बेहतर किया जा सकेगा। इस क्रम में रुपए 50 लाख तक की संपत्ति बेचने का अधिकार प्रेसिडेंट इन काउंसिल के पास होगा। 50 लाख से अधिक और एक करोड़ तक की संपत्ति के लिए परिषद अनुमति दे सकेगी। इसी तरह एक करोड़ रुपए से अधिक और 10 करोड़ रुपए तक की संपत्ति के मामले में आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास और 10 करोड़ रुपए से अधिक संपत्ति के मामले में निर्णय लेने का अधिकार केवल राज्य सरकार के पास होगा।

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