भोपाल, मध्यप्रदेश। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि योग और आयुर्वेद के लिए भारत दुनियाभर में जाना जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से आज दुनिया के 180 देशों में योग को अपनाया गया है। आयुर्वेद देश एवं दुनिया के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उपयोगी है। कोविड काल में प्रदेश में बड़ी संख्या में योग एवं आयुर्वेद के माध्यम से लोगों ने स्वास्थ्य लाभ लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिक से अधिक लोगों को आयुर्वेद के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ मिल सके तथा प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले हमारे भाई-बहनों को रोजगार एवं आजीविका मिल सके, इसके उद्देश्य से देवारण्य योजना बनाई गई है। इस योजना का तीव्र गति से क्रियान्वयन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने मंत्रालय में अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों के निवासियों के लिए रोजगार सृजन और आजीविका के साधनों की मजबूती के लिए आयुष आधारित आर्थिक उन्नयन योजना देवारण्य संबंधी कार्यशाला को संबोधित किया। चौहान ने कहा कि हमारे जंगलों में जहां औषधियों का अमूल्य खजाना है, वही जनजातीय भाई-बहन इनका महत्व एवं उपयोग समझते हैं। हमें एक ओर हमारे औषधियों के इस खजाने को संरक्षित एवं संवर्धित करना है, वहीं जनजातीय वर्ग के इस पारंपरिक ज्ञान को आगे बढ़ाकर लोगों को स्वास्थ्य लाभ देना है।
आयुष औषधियों के उत्पादन की पूरी वैल्यू चेन :
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम प्रदेश में देवारण्य योजना के माध्यम से आयुष औषधियों के उत्पादन की एक पूरी वैल्यू चेन का विकास करेंगे। इस कार्य में स्व-सहायता समूहों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसमें कृषि उत्पादक संगठन, आयुष विभाग, वन, ग्रामीण विकास, उद्यानिकी, पर्यटन, कृषि, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन एवं जनजातीय कार्य विभाग मिलकर मिशन मोड में कार्य करेंगे।
गांव के वैद्य रघुवीर प्रसाद का उल्लेख किया :
मुख्यमंत्री ने अपने गांव के वैद्य रघुवीर प्रसाद का उल्लेख करते हुए कहा कि वे नाड़ी देखकर रोग जान लेते थे और दवा देते थे। हमें अपने पारम्परिक ज्ञान को आगे बढ़ाना होगा। चौहान ने कहा कि मप्र में वेलनेस टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन भारत में ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडीशनल मेडिसिन्स बनाने जा रहा है। ऐसे प्रयास किए जाएंगे कि यह मप्र में बने। भोपाल में खुशीलाल आयुर्वेद अस्पताल अद्भुत कार्य कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 360 से अधिक नये आयुष हेल्थ और वेलनेस सेंटर्स की स्थापना की जा रही है। इंदौर और भोपाल में आयुष सुपर स्पेशिलिटी अस्पतालों का निर्माण हो रहा है।
डिमांड एवं सप्लाई चेन को मजबूत बनाएंगे :
राज्य नीति एवं योजना आयोग के उपाध्यक्ष प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि प्रदेश में अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों के निवासियों के रोजगार सृजन एवं आजीविका के संसाधनों को मजबूती प्रदान करने के लिए आयुष आधारित योजना बनाई गई है। इसके तहत औषधीय एवं सुगंधित पौधों तथा उनसे बनाई जाने वाली दवाओं की डिमांड एवं सप्लाई चेन को मजबूत बनाया जाएगा।
भारत चीन के बाद सबसे बड़ा निर्माता :
केन्द्रीय आयुष सचिव राजेश कुटेचा ने कहा कि विश्व में आयुष दवाओं का बहुत बड़ा बाजार है। इस क्षेत्र में भारत चीन के बाद सबसे बड़ा निर्माता है। वर्तमान में इसके लिए कच्चे माल अर्थात औषधीय और सुगंधित पौधों की बहुत मांग है। उद्योगों ने इसका एडवांस ऑर्डर दिया हुआ है। जनजातियाँ यह जानती हैं कि इन पौधों का संरक्षण और उत्पादन कैसे बढ़ाया जाए।
आंवले की अत्यधिक मांग :
डाबर इंडिया के सीईओ मोहित मल्होत्रा ने कहा कि आयुर्वेदिक औषधियों के लिए आंवले की अत्यधिक मांग है। मप्र से बड़ी मात्रा में इसकी आपूर्ति होती है। औषधीय फसलों को बढ़ावा दिए जाने के साथ यदि इन फसलों का जैविक प्रमाणीकरण करा लिया जाए तो यह अत्यंत लाभकारी होगा। कार्यशाला को इमामी हेल्थ केयर के गुलराज भाटिया, आयुर्वेद गु्रप ऑफ हॉस्पिटल्स, बैंगलुरू के सीईओ राजीव वासुदेवन, वनवासी कल्याण आश्रम के हितरक्षा प्रमुख गिरीश, धूतपापेश्वर लिमिटेड, मुंबई के रंजीत पुराणिक, सेण्टर फॉर रिसर्च एंड स्ट्रेटेजिक प्लानिंग फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट पुणे के अध्यक्ष गजानन डांगे, आयोग्य भारती के अशोक वार्ष्णेय ने भी संबोधित किया।
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