भोपाल, मध्यप्रदेश। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोरोना काल में प्रारंभ वर्चुअल कक्षाओं का संचालन विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ है। सामान्य स्थितियों में भी इसका उपयोग होना चाहिए। मप्र को ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में आदर्श बनाएं। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 100 संस्थानों में 200 स्मार्ट क्लास के संचालन का सराहनीय है।
यह बात मंत्रालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान कही। इस दौरान जानकारी दी गई कि प्रदेश में 100 उच्च शिक्षा संस्थानों में 459 पाठ्यक्रम के संचालन की मंजूरी दी गई है। इनमें 282 प्रमाण-पत्र और 177 डिप्लोमा पाठ्यक्रम शामिल हैं। विद्यार्थियों के लिए ये पाठ्यक्रम जीवन की राह पर आगे बढ़ने में सहयोगी होंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में प्रदेश में 85 विषय के लिए परिणाम आधारित पाठ्यक्रम का निर्माण किया गया है। प्रदेश के 200 महाविद्यालयों में वर्चुअल क्लास रूम की स्थापना का कार्य भी चल रहा है।
बिना उद्देश्य के डिग्री बेरोजगारों की फौज तैयार करने का काम :
मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा, विद्यार्थियों के कॅरियर निर्माण, ज्ञान प्राप्ति और रोजगार चुनने में मददगार है। उच्च शिक्षा में पर्याप्त रुचि रखने वाले छात्र-छात्राओं के लिए यह अत्यंत उपयोगी है। यदि विद्यार्थी बिना उद्देश्य के शिक्षण परिसर में जीवन के महत्वपूर्ण पांच-छह साल सिर्फ डिग्री के लिए व्यतीत करें तो हम बेरोजगारों की फौज तैयार करने के अलावा कुछ हासिल नहीं कर पाते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पाठ्यक्रमों को रोजगारमूलक बनाएं।
सीएम ने यह निर्देश भी दिए :
रोजगार देने वाले कोर्सेस को बढ़ावा दिया जाए।
स्मार्ट क्लास बन जाने के बाद उनका उपयोग बढ़ाएं।
ऐसा मैकेनिज्म बनाएं कि यह भी ज्ञात हो कि इन सुविधाओं का लाभ विद्यार्थियों को मिल रहा या नहीं।
थर्ड पार्टी निरीक्षण प्रभावी हों। वास्तव में निष्पक्ष रूप से थर्ड पार्टी बनेए निरीक्षण में कॉलेज के ही प्रतिनिधि न हों।
कॉलेजों को प्लेसमेंट में सहयोगी केंद्र बनाएं। वर्तमान जरूरतों के अनुरूप हों पाठ्यक्रम।
ग्रामीण क्षेत्र तक वर्चुअल क्लास का लाभ पहुंचाने का प्रयास हो।
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