मध्यप्रदेश में इस समय 2 केन्द्रीय यूनिवर्सिटी और 24 राज्य यूनिवर्सिटीज हैं।
प्रदेश में करीब 50 निजी विश्वविद्यालय हैं।
सागर में स्थित डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी है।
मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय के मामले में देश में तीसरे स्थान पर है।
राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा के क्षेत्र में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। सरकार द्वारा भी उच्च शिक्षा में सुधार के लिए लगातार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। बड़ी संख्या में दूसरे प्रदेशों के युवा भी शिक्षा हासिल करने के लिए मध्यप्रदेश का रुख कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में आ रहे इस बदलाव के पीछे प्रदेश की सरकार और प्राइवेट यूनिवर्सिटी का बड़ा योगदान है। खासकर इंजीनियरिंग के लिए प्रदेश में सैकड़ों की संख्या में संस्थान हैं। इनमें से कई संस्थानों का नाम बेहद लोकप्रिय भी है, जहां पढ़ने-पढ़ने के लिए बच्चे दूर-दूर से पहुँचते हैं। मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा के स्तर में आ रहे सुधार को देखते हुए यहां आए दिन नई-नई यूनिवर्सिटी खोलने के लिए आवेदन भी किए जा रहे हैं।
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में इस समय 2 केन्द्रीय यूनिवर्सिटी जबकि 24 राज्य यूनिवर्सिटीज हैं। इसके अलावा प्रदेश में करीब 50 निजी विश्वविद्यालय भी हैं। सागर में स्थित डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी है। इसकी स्थापना साल 1946 में डॉक्टर हरिसिंह गौर द्वारा की गई थी। वह दिल्ली विश्वविद्यालय के पहले कुलपति रहे थे।
मध्यप्रदेश में ऐसे कई विश्वविद्यालय हैं, जिनका नाम पूरे देश में जाना जाता है। इनमें राजीव गाँधी प्रोद्योगिकी विश्व विद्यालय भोपाल, देवी अहिल्या विश्व विद्यालय इंदौर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर, मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान भोपाल, महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्व विद्यालय उज्जैन, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान भोपाल, रानी दुर्गावती विश्व विद्यालय जबलपुर, डॉ. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय सागर, बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च भोपाल प्रमुख हैं। एशिया की सबसे अच्छी यूनिवर्सिटी की रैंकिंग ‘एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2022’ में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर का नंबर 87वां है।
वर्तमान में मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय के मामले में देश में तीसरे स्थान पर है। हालांकि आने वाले कुछ सालों में मध्यप्रदेश देश में पहले स्थान पर पहुंच सकता है। इसका कारण यह है कि करीब 22 निजी विश्वविद्यालय और खोलने के लिए आवेदन किए जा चुके हैं। ऐसे में अगर इन्हें अनुमति मिलती है तो अगले शिक्षा सत्र तक मध्यप्रदेश में कुल 72 प्राइवेट यूनिवर्सिटी हो सकती है।
दरअसल वर्तमान में प्रदेश में कई ऐसे निजी कॉलेज हैं जो किसी विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं। किसी विश्वविद्यालय से संबद्ध होने के चलते निजी कॉलेज अपने स्तर पर फीस निर्धारण नहीं कर सकते हैं। यही कारण है कि बड़ी संख्या में ऐसे कॉलेज विश्वविद्यालय खोलना चाहते हैं।
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