भोपाल, मध्यप्रदेश। कुलयुग की कालकोठरी में 152 कन्हैया और राधा का बचपन पल रहा है, इनकी परवरिश अपने अपराध की सजा काट रही मां और जेल प्रशासन कर रहा है। मां की मंशा अपने कन्हैया और राधा को अच्छा इंसान बनाने की है। कन्हैया और राधा भी कालकोठरी में रहते हुए शिक्षा, संस्कार और इंसानियत का पाठ पढ़ने में लगे है। मप्र की केंद्रीय जेल में कुल 152 बच्चे नई उड़ान की तैयारी कर रहे हैं।
जेल में बंद विभिन्न प्रकार के अपराध की सजा काट रही महिलाओं के साथ बच्चे भी इसी परिवेश में रहकर अपनी ज़िन्दगी का सबसे अच्छा समय (बचपन) बिता रहे है। जेल में रह रहे बच्चों की मां ऐसी बंदी है जिन्होंने कई गंभीर अपराध किए है। इनके अलावा जेल में बंद अन्य महिला कैदियों के साथ भी इनका मौसी का रिश्ता बनता है। अपराधियों के बीच पल-बढ़ रहे बच्चों के सामने ज़िन्दगी की कई चुनौतियां है। पहली स्वयं को जेल में रहते हुए इंसान बने रहने की और दूसरी समाज में अपना नाम बनाने की। बीतें वर्षो में जेल में रहने वाले बच्चों में कुछ बच्चों ने उच्च शिक्षा ग्रहण कर नामी कंपनियों में रोजगार प्राप्त किया है।
पांच साल तक मां के साथ जेल में, फिर बाहर :
जन्म से या पांच साल तक के उम्र के बच्चों को जेल में मां के साथ रहने का प्रावधान है। बहुत जरूरी हुआ तो एक साल (6 वर्ष) की अवधि बढाई जा सकती है। उसके बाद बच्चे को बाल कल्याण गृह में भेज दिया जाता है। जहां बच्चें की शिक्षा से लेकर सभी खर्च शासन वहन करता है। इससे पहले पांच साल के उम्र के बच्चों को जेल में उनकी मां के साथ रखकर अंदर ही बेसिक शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा टीकाकरण सहित जरूरी देखरेख होती है। जेल के भीतर रहने वालों बच्चों की परवरिश ठीक वैसे ही की जाती है जैसे की माता-पिता करते है।
केंद्रीय जेल में बच्चें :
भोपाल में 19
इंदौर में 11
ग्वालियर में 10
जबलपुर में 02
रीवा में 08
सतना में 04
उज्जैन में 08
सागर में 06
नरसिंहपुर में 06
बड़वानी में 02
होशंगाबाद (खण्ड -अ) में 05
होशंगाबाद (खण्ड -ब) में 00
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कुल बच्चे : 81
मप्र की जिला जेल में बच्चों की संख्या :
अलीराजपुर में 01
खण्डवा में 06
छतरपुर में 02
छिंदवाड़ा में 05
झाबुआ में 00
टीकमगढ़ में 02
दतिया में 01
दमोह में 02
बैतूल में 00
राजगढ़ में 03
शहडोल में 03
रतलाम में 02
शाजापुर में 00
धार में 09
सिवनी में 00
सीधी में 01
मंदसौर में 03
मुरैना में 00
बालाघाट में 00
गुना में 00
शिवपुरी में 03
सीहोर में 01
देवास में 02
भिण्ड में 00
पन्ना में 00
विदिशा में 01
खरगौन में 03
रायसेन में 02
मण्डला में 01
कटनी में 01
नीमच में 01
अशोकनगर में 08
श्योपुरकला में 0
बैढन में 04
उमरिया में 00
हरदा में 00
डिण्डौरी में 00
आगर में 00
अनूपपुर में 03
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कुल बच्चे : 70
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सब जेल
हटा में 01
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कुल बच्चे : 152
प्रदेश की जेलों में ओवर क्राउडिंग :
कुल जेल की संख्या : 132
कुल आवास क्षमता : 29675
कुल बंदी संख्या : 47580
क्षमता से अधिक बंदियों की संख्या : 17905
ओव्हर क्राउडिंग का प्रतिशत : 60.34 फीसदी (अधिक)
इनका कहना है :
जेल में बच्चों को बैसिक शिक्षा देने के साथ -साथ बेहतर इंसान बनाने पर जोर दिया जाता है। जेल के भीतर रहने वाले बच्चों ने बहुत कुछ अच्छा किया है। पांच साल की उम्र तक बच्चों को जेल में मं के साथ रखा जाता उसके बाद बाल कल्याण गृह में भेज दिया जाता है। वहां उनकी पढ़ाई और अन्य खर्च शासन की तरफ से किया जाता है।दिनेश नरवागे, जेल अधीक्षक, सेंट्रल जेल सागर
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