भोपाल, मध्यप्रदेश। एटीएस (आतंकवादी निरोधक दस्ता) के कई अधिकारी प्रदेश की विभिन्न बस्तियों की खाक छान रहे हैं। कुछ बस्तियों में बीतें कई दिनों एजेंसी के अधिकारी अपना ठिकाना बनाकर रह रहे है। आतंकियों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर बस्तियों में स्थित मकानों में रहने वालों की गतिविधियों में लगातार नजर रखी जा रही है। बताया जा रहा है कि एटीएस के पास प्रदेश में सक्रिय जमात-उल-मुजाहिद्दीन के स्लीपर सेल के सदस्यों के कुछ नाम हैं, जिनकी जांच करने के लिए अधिकारियों का दल बस्तियों में रहवासियों के रूप में यहां तैनात हैं।
एटीएस ऐशबाग, करोंद, विदिशा से पकड़े गए आतंकियों से लगातार पूछताछ कर रही है। इस दौरान हर रोज नई जानकारी मिलने पर जांच एजेंसी उसका परीक्षण करने में जुटी है। एसटीएस के सामने सबसे बड़ी चुनौती स्लीपर सेल के नेटवर्क को तोड़ना है। स्लीपर सेल के नेटवर्क को तोड़ने के लिए एटीएस ने कई टीम को प्रदेश के विभिन्न संदिग्ध इलाकों में तैनात किया है। पकड़े गए आतंकियों से अलग-अलग कई अधिकारी पूछताछ कर रहे हैं, अभी तक की पूछताछ में उनको बांग्लादेश से भारत भेजा गया है, वह कई राज्यों जैसे असम,त्रिलंगा, उत्तरप्रदेश में रह चुकें है। उनके जैसे कई संदिग्धों को भारत भेजा जा रहा है। इसके अलावा भी कई ऐसी जानकारियां एटीएस को मिली जिसे सर्वजानिक नहीं किया जा सकता है। दूसरी ओर आईबी और रॉ भी पकड़े गए आतंकियों से मिल रही जानकारियों को अपने स्तर पर परिक्षण कर रही है।
एटीएस की रिमांड मांगने की तैयारी :
एटीएस के पास 28 मार्च तक का समय है उसके बाद आरोपियों को कोर्ट में पेश करना होगा। एटीएस 14 दिन की रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद पुन: कोर्ट से रिमांड मांगने की तैयारी कर रही है। एसटीएस पकड़े गए आंतकियों से गहन और लंबी पूछताछ कर सभी जानकारी लेना चाहती है। एटीएस का मानना है कि बांग्लादेश का प्रतिबंधित संगठन जमात-उल-मुजाहिद्दीन ने मप्र सहित देश के अन्य राज्यों में स्लीपर सेल तैयार करने के लिए बड़ा नेटवर्क बनाया है।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।