ग्वालियर,मध्यप्रदेश। नई आबकारी पॉलिसी आने के बाद से यह लगने लगा था कि दुकानदार शायद नवीनीकरण में दिलचस्पी न दिखाएं, लेकिन ऐसा दिखाई कम दिया, क्योंकि ठेकेदारो ने उन्ही दुकानो का रिन्युवल कराया है जो सस्ती थी। जो दुकाने महंगी है उनको लेकर ठेकेदार अब मोनोपॉली बनाने में जुट गए है ओर इससे आबकारी विभाग के अधिकारियो की टेंशन बढ़ गई है, क्योंकि उनके सामने 31 मार्च तक सभी शराब दुकानो के ठेके देने का टारगेट है ओर अगर ठेकेदार आगे नहीं आएं तो फिर दुकानो का संचालन आबकारी विभाग को ही स्वंय करना होगा या फिर उनकी लायसेंस फीस कम करना होगी।।
नया वित्तीय साल आते ही आबकारी विभाग के अधिकारी चिंतित हो जाते है क्योंकि उन्हें इस बात की संभावना रहती है कि आखिर शराब ठेकेदार कही मोनोपॉली बनाकर दुकान लेने से पीछे न हट जाएं, क्योंकि ऐसा कई बार हो चुका है। वैसे नई आबकारी पॉलिसी के प्रावधानों में शराब दुकानों का रिन्युवल कराने पर 10 प्रतिशत फीस बढाकर ली जा रही है। ग्वालियर जिले मेंं पहली किस्त में करीब 75 फीसदी दुकानो का रिन्युवल करा लिया गया है, लेकिन कुछ महंगी दुकाने है जिनको अभी तक रिन्युवल नहीं हो सका है। यह मामला सिर्फ ग्वालियर का नहीं बल्कि प्रदेश के कई जिलो का है।
इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि शराब ठेकेदार अहातो से जो कमाई करते थे वह नए वित्तीय साल में बंद हो जाएगी, क्योंकि नई नीति के तहत अहाते बंद कर देने का आदेश हो चुका है ऐसे में ठेकेदारो को नुकसान होने की चिंता सता रही है। सरकार ने भले ही 5 फीसदी फीस रिन्युवल में कम कर ठेकेदारो का ध्यान रखा है, लेकिन ठेकेदार सरकार की मंशा से खुश नजर नहीं आ रहे है ओर महंगी दुकानो को लेने से कतरा रहे है। चालू वित्तीय साल मे कई जिलो की महंगी दुकानो को सोम ग्रुप ने अपने हाथो में लिया था, लेकिन इस बार सोम ग्रुप ने भी अपने हाथ पीछे खींच लिए है जिसके कारण विभाग टेंशन इस बात को लेकर बढ़ गई है कि आखिर महंगी दुकाने किस तरह से ठेके पर जाएं।
फीस कम करने का दवाब बना रहे ठेकेदार....
प्रदेश के कई जिलो में अधिकांश महंगी शराब दुकाने अभी तक टेंण्डर से दूर बनी हुई है, क्योकि उन दुकानो को लेने में ठेकेदार कोई रुचि नहीं दिखा रहे है। विभागीय सूत्र का कहना है कि प्रदेशभर के कुछ बड़े ठेकेदारो ने अब हाथ मिला लिया है ओर मोनोपॉली के तहत आगे का काम करने की तैयारी कर ली है इसके तहत ठेकेदार या तो उन दुकानो को लेने से पीछे रहेंगे या फि र ई टेण्डर होगा उसमें फीस करीब 15 से 20 प्रतिशत कम ही भरेगें। इसके पीछे कारण यह है कि विभाग को जब फीस कम के टेण्डर मिलेगे तो वह दुकाने से देने से पीछे हटेगा तो ऐसे मेंं दुकानो की लायसेंस फीस कम करने का दवाब रहेगा ओर अगर ऐसा नहीं किया तो फिर विभाग को ही दुकानो का संचालन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
अब विभाग कब तक दुकानो का संचालन कर सकेगी इसको लेकर विभाग के अधिकारी भी कुछ कहने से बच रहे है। यही कारण है कि विभागीय अधिकारी अब ठेकेदारो को समझाने में लगे हुए है कि नुकसान की भरपाई के लिए पहले ही 5 प्रतिशत फीस सरकार ने कम कर दी है ओर ऐसे में दुकान लेने से कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन यह बात ठेकेदार समझगें इसको लेकर संशय बना हुआ है। वैसे ग्वालियर-चंबल संभाग के 8 जिलो में करीब 80 से 85 प्रतिशत तक दुकानो का नवीनीकरण हो चुका है, लेकिन जो शेष दुकाने बची है वह महंगी बताई जा रही है ओर उनको लेकर विभाग के अधिकारी अब टेंशन में है कि ठेके दार कैसे उन दुकानो को लेने के लिए आगे आएंगे, क्योंकि ठेकेदारो द्वारा मोनोपॉली बनाए जाने की सूचना विभाग के आला अधिकारियो तक पहुंच चुकी है।
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