खरगोन, मध्यप्रदेश। खरगोन जिले के भीकनगांव अनुविभाग क्षेत्र में बाघ के हमले में मृत युवक के परिजनों ने खंडवा के शासकीय जिला अस्पताल में उचित इलाज नहीं किए जाने का आरोप लगाया है। वहीं वन विभाग बाघ को ढूंढने के लिए काफी प्रयास कर रहे हैं।
मृतक संतोष भास्करे के चचेरे भाई योगेश भास्करे ने बताया कि घायल होने के बाद संतोष को पंधाना के शासकीय अस्पताल ले जाया गया था। वहां से प्राथमिक उपचार के उपरांत रेफर किये जाने पर रात्रि में खंडवा के शासकीय जिला अस्पताल (मेडिकल कॉलेज) में भर्ती कराया गया था। उन्होंने बताया कि एडमिट करने के बाद डॉक्टरों द्वारा शुरुआती उपचार आरंभ किया गया। कुछ देर उसे आराम हुआ लेकिन सुबह 3:00 बजे तकलीफ बढऩे लगी और वहां उपस्थित नर्सों को इसकी सूचना दी गई।
उन्होंने बताया कि चिकित्सकों ने सुबह नौ बजे आने का कहा, जिसके चलते हम लोग उसे वहां हिंदुजा अस्पताल में ले गए, जहां 2 घंटे के इलाज के बाद चिकित्सकों ने इंदौर ले जाने के लिए कहा। हम उसे खंडवा के जिला अस्पताल ले आए, जहां एंबुलेंस से इंदौर ले जाने के लिए निकले, लेकिन रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि खंडवा के जिला अस्पताल में उचित उपचार मिल जाता तो शायद उसकी मृत्यु न होती। उन्होंने बताया कि वह माता-पिता का एकमात्र पुत्र था और उसे उचित मुआवजा मिलना चाहिए।
जिला अस्पताल खंडवा के सिविल सर्जन डॉक्टर ओपी जुगतावत ने बताया कि संतोष को एडमिट करने के बाद जनरल सर्जन डॉक्टर एम एल कलमें और उसके बाद डॉ. तन्मय कुलकर्णी ने उसका विधिवत उपचार आरंभ किया। उन्होंने कहा कि उसके समस्त शारीरिक अवयव अच्छे से काम कर रहे थे इसलिए तत्काल आवश्यकता नहीं होने के चलते उसका सीटी स्कैन नहीं किया गया था। डॉ जुगतावत ने बताया कि सुबह बिना अनुमति के वे उसे एक अन्य निजी अस्पताल ले गए। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज द्वारा पोस्टमार्टम करवा कर शव सौंप दिया गया था। उन्होंने इलाज में लापरवाही के आरोपों को गलत बताया।
उधर खंडवा के हिंदूजा हॉस्पिटल के संचालक डॉक्टर जी एल हिंदूजा ने बताया कि सन्तोष को 10:40 पर एडमिट किया गया था और 12:50 पर डिस्चार्ज कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि वह बेहोशी की स्थिति में लाया गया था और उसका ब्लड प्रेशर भी रिकॉर्ड नहीं किया जा सकता था। उसके बचाए जाने की संभावना बहुत कम थी लेकिन परिजनों द्वारा उसे हायर सेंटर तक ले जाने के लिए सेटल करने के आग्रह पर एक फिजीशियन और एक सर्जन द्वारा कोशिश की गई। सन्तोष के परिजनों द्वारा एंबुलेंस की व्यवस्था कर लिए जाने के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया था।
मृतक संतोष का पोस्टमार्टम करने वाले मेडिकल कॉलेज खंडवा के मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर आलोक शरण ने बताया कि उसे मस्तिष्क में अंदरूनी चोट थी और अतिरिक्त खून वह जाने के चलते वह हेमोरेजिक शॉक में आ गया था, जिसके चलते उसकी मृत्यु हो गई।
बुधवार रात्रि पंधाना के विधायक राम डंगोरे भी जिला अस्पताल पहुंचे और उन्होंने आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने बाद में मुख्यमंत्री से मृतक के परिजनों को उचित सहायता की मांग का एक पत्र भी प्रेषित किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट के माध्यम से संतोष की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया है।
भीकनगांव के अनुविभागीय अधिकारी वन दिनेश वास्केल ने बताया कि संतोष पर हमला करने वाले बाघ ने भीकनगांव अनुविभाग के गवला ग्राम से दक्षिण पूर्व दिशा की ओर यावल वाइल्डलाइफ सेंचुरी की ओर जाते हुए चिरिया वन परिक्षेत्र के भावसिंहपुरा स्थित एक खेत में बंधे बछड़े का आज तड़के शिकार किया और खंडवा सीमा की ओर निकल गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि फिलहाल बाघ के पग मार्क देखे गए हैं लेकिन उसकी सही लोकेशन नहीं मिल पा रही है। उन्होंने बताया कि रात्रि में बाघ के मूवमेंट का पता करने के लिए कैमरा ट्रैप स्थापित किए जा रहे हैं।
ग्रामीणों में बाघ को लेकर दहशत होने की बात पर खरगोन के वनमंडलाधिकारी प्रशांत सिंह ने बताया कि वन अमले ने ग्रामीणों को सचेत रहने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि भोपाल के वाइल्डलाइफ वार्डन से फिलहाल बाघ को रेस्क्यू करने के निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि बाघ के महाराष्ट्र के जलगांव क्षेत्र में स्थापित यावल वाइल्डलाइफ सेंचुरी में वापस चले जाने की उम्मीद है।
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