राज एक्सप्रेस। कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ आज अपना 76वां जन्मदिन मना रहे हैं। 18 नवंबर 1946 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे कमलनाथ की गिनती देश के बड़े नेताओं में होती है। खासकर कांग्रेस जब भी मुसीबतों से घिरी हुई होती है तो डैमेज कंट्रोल करने के लिए कमलनाथ वहां मौजूद होते हैं। कमलनाथ को गाँधी परिवार के सबसे भरोसेमंद नेताओं में से एक माना जाता है। एक समय देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा तक कह दिया था।
संजय गाँधी ने कराई थी राजनीति में एंट्री :
वकील महेंद्र नाथ के बेटे कमलनाथ देहरादून के दून स्कूल के छात्र रहे हैं। यहां पढ़ाई के दौरान ही उनकी मुलाकात संजय गाँधी से हुई थी। जल्दी ही कमलनाथ और संजय गाँधी के बीच गहरी मित्रता हो गई। संजय गाँधी के जरिए ही कमलनाथ ने राजनीति में एंट्री ली थी। सियासत में भी संजय गाँधी और कमलनाथ की दोस्ती हमेशा बनी रही।
संजय गाँधी के लिए जेल तक जा चुके है :
संजय गाँधी और कमलनाथ की दोस्ती कितनी गहरी थी, इसे आप एक मशहूर किस्से से समझ सकते हैं। दरअसल आपातकाल के बाद संजय गाँधी को एक मामले में तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। इस पर इंदिरा गाँधी को जेल में संजय गाँधी की सुरक्षा की चिंता होने लगी। ऐसे में अपने दोस्त संजय से मिलने के लिए कमलनाथ जानबूझकर एक जज से भिड़ गए। इसके चलते जज ने अवमानना के आरोप में कमलनाथ को भी 7 दिनों के लिए तिहाड़ जेल में भेज दिया। इस तरह जेल में 7 दिनों तक वह संजय गाँधी के साथ ही रहे।
इंदिरा गाँधी ने कहा था तीसरा बेटा :
एक बार लोकसभा चुनाव में इंदिरा गाँधी खुद कमलनाथ के लिए प्रचार करने छिन्दवाड़ा आई थीं। इस दौरान उन्होंने छिन्दवाड़ा की जनता को संबोधित करते हुए कहा था कि, ‘कमलनाथ मेरा तीसरा बेटा है। कृपया उसे वोट दीजिए।’ तब से अब तक कमलनाथ 9 बार छिन्दवाड़ा से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं।
कई पदों पर रह चुके है कमलनाथ :
अपने राजनीतिक जीवन के दौरान कमलनाथ कई पदों पर रह चुके है। साल 1991 में वह केंद्र सरकार में राज्य पर्यावरण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बने, जबकि साल 1995 में टेक्सटाइल (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री का पदभार ग्रहण किया। साल 2004 से लेकर साल 2014 तक मनमोहन सिंह की सरकार में कमलनाथ ने कई विभागों के मंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली। साल 2018 में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने मध्यप्रदेश विधानसभा में जीत दर्ज की और वह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने। हालांकि साल 2020 में कांग्रेस में टूट के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।
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