ग्वालियर, मध्य प्रदेश। बिजली कंपनी में बाबुओं के अधिकारों का हनन हो रहा है। बाबुओं को दिए गए सीसी-फोर (करंट बिल करेक्शन) क्रेडिट के अधिकार का उपयोग कनिष्ठ यंत्री (जेई) कर रहे हैं। कनिष्ठ यंत्रियों ने भिण्ड व मुरैना में कई अपात्र उपभोक्ताओं को उनके बिलों में सीसी-फोर क्रेडिट दे दी, जिससे कंपनी को व्यापक स्तर पर नुकसान हुआ है। इसकी जानकारी जब कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय को लगी तो वहां से जांच अधिकारी जांच के लिए भेजे गए हैं।
बिजली कंपनी में एनजीबी (नेक्स्ट जेनरेशन बिलिंग) सॉफ्टवेयर काम कर रहा है। इससे पहले सीसीएनबी एवं आरएमएस सॉफ्टवेयर काम करते थे। एनजीबी सॉफ्टवेयर में उपभोक्ताओं को उनके बिलों में सीसी फोर क्रेडिट देने का अधिकार केवल क्लर्क (बाबू) को होता है। बाबू उनको अपनी आईडी से सिस्टम में डालता है और सहायक यंत्री उसको मंजूर करता है। इसमें कनिष्ठ यंत्री को कोई अधिकार नहीं है। कनिष्ठ यंत्रियों को जब इसकी जानकारी लगी तो उन्होंने इस अधिकार का हनन करना शुरु कर दिया तथा बाबुओं से उनकी आईडी व पासवर्ड लेकर उपभोक्ताओं को सीसी-फोर क्रेडिट देने लगे। बात यहां तक सीमित रहती तो गनीमत थी लेकिन जब अपात्र उपभोक्ताओं को व्यापक स्तर पर सीसी-फोर क्रेडिट देने का मामला कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय को लगा तो मुख्य महाप्रबंधक ने भिण्ड व मुरैना में अपने कार्यालय से जांच अधिकारियों को इस मामले की जांच करने भेजा है।
यह है पूरा मामला :
यह पूरा मामला कंपनी के बाबुओं के अधिकारों के हनन का है तथा अपात्र लोगों को सीसी-फोर क्रेडिट का लाभ देने से भ्रष्टाचार का बन गया है। भिण्ड-मुरैना में इसका सबसे अधिक दुरपयोग हुआ है। अधिकारियों के आगे बाबुओं की नहीं चली तथा वह चुपचाप अपने साथ हो रहे इस अन्याय को देखते रहे। उन्हें डर लग रहा था कि अगर उन्होंने इस बात का विरोध किया तो उनके खिलाफ षणयंत्र रचकर उन्हें निलंबित कर दिया जाएगा। इस मामले में मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय ने केएन यादव लेखाधिकारी ओएण्डएम ग्वालियर तथा केआर कनोजिया सेक्शन ऑफीसर को इस मामले की जांच करने मुरैना भेजा है। इसी प्रकार आरसीएस चौहान लेखाधिकारी, मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय को भिण्ड जिले की जांच करने भेजा है।
ग्वालियर सर्किल में घट चुकी घटना :
अपात्र उपभोक्ताओं को क्रेडिट देने की घटना ग्वालियर सिटी सर्किल में चार साल पहले घट चुकी है। उस समय महाप्रबंधक अरुण शर्मा थे। इस मामले में महाप्रबंधक अरुण शर्मा की जानकारी के बगैर बाबुओं की आईडी व पासवर्ड का उपयोग बाबुओं के अधीन काम करने वाले केपीओ (कीपंच ऑपरेटर) करते रहे तथा अपात्र उपभोक्ताओं को क्रेडिट दी गई। जब महाप्रबंधक अरुण शर्मा को पता लगा तो उन्होंने सभी बाबुओं को जिनमें से कुछ सेवानिवृत्त हो गए थे रिकवरी का आदेश दिया तथा कुछ को निलंबित भी कर दिया। इस मामले में 70 लाख रुपए की क्रेडिट दी गई थी। बाद में उपभोक्ताओं से क्रेडिट दी गई राशि की वसूली की गई, लेकिन इसके बावजूद इस मामले में दोषी मानते हुए महाप्रबंधक अरुण शर्मा को चार्ज शीट थमा दी गई थी।
इनका कहना :
यह बात सही है कि हमने भिण्ड व मुरैना में आपके द्वारा बताए गए अधिकारियों को रुटीन जांच के लिए भेजा है। अब आप बता रहे हैं तो मैं इस मामले की जानकारी लेकर दिखवाता हूं।जीके भरदया, मुख्य महाप्रबंधक, ग्वालियर रीजन, मक्षे विवि कंपनी, ग्वालियर
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