जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में आरोप लगाया गया है कि उसकी पत्नि चार माह की गर्भवती थी, अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण उसकी मौत हुई थी। नियम अनुसार जो सुविधाएं होनी चाहिए वह अस्पताल में नहीं है। जांच में स्पष्ट होने के बावजूद भी मैटरनिटी अस्पताल संचालित हो रहा है और लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहा है। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
बुरहानपुर निवासी भगवान दास पासी की ओर से दायर की गयी याचिका में कहा गया कि उसकी पत्नी चार माह की गर्भवती थी। उसका इलाज आरोग्य सेवा मंडल द्वारा संचालित मातृ सेवा सदन हॉस्पिटल में चल रहा था। इलाज में लापरवाही के कारण 11 मई 2022 को मौत हो गयी थी। जिसके खिलाफ उसने सीएचएमओ से शिकायत की थी। शिकायत पर तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गयी थी। जांच कमेटी ने पाया था कि डॉक्टर व स्टॉफ की लापरवाही के कारण उसकी गर्भवती पत्नी की मौत हुई है।
जांच रिपोर्ट के आधार पर अस्पताल पर कार्यवाही करने की मांग करते हुए उसने सीएचएमओं से पुन: शिकायत की थी। शिकायत पर जांच के लिए पुन कमेटी का गठन किया गया था। जांच कमेटी ने पाया था कि अस्पताल में फायर सेफ्टी उपकरण नहीं है, स्टॉफ अप्रशिक्षित, लेबर रूम खुला होना, प्रसव रूम में गंदगी, इलेक्ट्रिक वायर खुले होना सहित अन्य खामियां पाई गयी थी। इसके बावजूद भी अस्पताल के संचालन पर रोक नहीं लगाई गयी। जिसके कारण उक्त जनहित याचिका दायर की गयी है।
याचिका में प्रमुख सचिव स्वास्थ एव परिवार कल्याण विभाग, कलेक्टर, सीएचएमओ, पुलिस अधीक्षक, मातृ सेवा सदन हॉस्पिटल तथा आरोग्य सेवा मंडल को अनावेदक बनाया गया था। याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता धर्मेन्द्र सोनी ने पैरवी की।
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