जबलपुर, मध्यप्रदेश। उच्च न्यायालय ने प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से इंकार करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। पंचायत चुनावों के खिलाफ दायर पांच याचिकाओं की सुनवाई आज मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमठ तथा न्यायमूर्ति विजय शुक्ला की युगलपीठ द्वारा की गयी। युगलपीठ ने चुनाव याचिका पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है।
भोपाल निवासी मनमोहन नागर तथा गाडरवारा निवासी संदीप पटेल की ओर से दायर याचिका सहित अन्य पांच याचिकाओं में तीन चरणों में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को चुनौती दी गयी थी। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने पूर्व की तरह आरक्षण लागू कर चुनाव करवाने के संबंध में अध्यादेश पारित किया है। सरकार द्वारा उक्त अध्यादेश कांग्रेस शासनकाल में निर्धारित आरक्षण को निरस्त कर लागू किया गया है। प्रदेश सरकार का ये अध्यादेश पंचायत चुनाव एक्ट का उल्लंघन करता है।
याचिका में कहा गया कि पंचायत एक्ट में रोटेशन व्यवस्था का प्रावधान है। पूर्व की तरफ आरक्षण करना इस व्यवस्था के खिलाफ है। इसके अलावा 2018 में निवाड़ी जिले का गठन किया गया है। बिना सीमांकन किये नये जिले में पंचायत चुनाव नहीं करवाये जा सकते।
युगलपीठ ने लगभग 40 मिनट सुनवाई करने के बाद चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई सात जनवरी को निर्धारित की है। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा, पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर व हिमांशु मिश्रा ने पैरवी की।
श्री तन्खा ने बताया कि मप्र उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस संबंध में वे सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करेंगे।
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