जबलपुर, मध्यप्रदेश। नाबालिग बच्चियों से दुराचार कर उनका गर्भपात करवाने के मामले में भोपाल जिला न्यायालय ने प्यारे मियां सहित चार आरोपियों को सजा से दण्डित किया था। सजा के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। अपील की सुनवाई के दौरान सजा से दण्डित डॉ. हेमंत मित्तल में उपचार के लिए अस्थाई जमानत प्रदान करने आवेदन दायर किया था। हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस डीडी बसंल ने सुनवाई के बाद उक्त आवेदन को खारिज कर दिया।
गौरतलब है कि नाबालिग बच्ची से बलात्कार तथा उसका गर्भपात करवाने के अपराध में भोपाल जिला न्यायालय ने मार्च 2022 को प्यारे मियां व उवैस को आजीवन कारावास की सजा से दण्डित किया था। न्यायालय ने यौन शोषण में दोषियों का सहयोग करने और पीड़िता का गर्भपात कराने के लिए एक महिला आरोपी को 20 वर्ष तथा डॉ. हेमंत मित्तल को पांच वर्ष के सश्रम कारावास की सजा से दण्डित किया था। सजा के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। अपील की सुनवाई के दौरान डॉ. मित्तल ने उपचार के लिए अस्थाई जमानत के लिए आवेदन दायर किया था। युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि डॉ. मित्तल की बीमारी गंभीर प्रवृत्ति की नहीं है। उनका उपचार जेल में रहते हुए किया जा सकता है। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अस्थाई जमानत आवेदन को खारिज कर दिया।
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