इंदौर स्मार्ट सिटी के बजाए ड्रग एडिक्ट सिटी तो नहीं बनता जा रहा? Syed Dabeer Hussain - RE
मध्य प्रदेश

इंदौर स्मार्ट सिटी के बजाए ड्रग एडिक्ट सिटी तो नहीं बनता जा रहा?

प्रदेश में पहली बार 70 करोड़ की 70 किलो एमडी की खेप इंदौर में पकड़ी गई। इस धर-पकड़ ने इंदौर शहर पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि कहीं इंदौर स्मार्ट सिटी के बजाए ड्रग एडिक्ट सिटी तो नहीं बनता जा रहा?

Author : Pradeep Chauhan

हाइलाइट्स :

  • कहीं ड्रग एडिक्ट तो नहीं बनते जा रहे है इंदौरी

  • 50 से ज्यादा ड्रग्स डीलर्स सलाखों के पीछे

इंदौर, मध्य प्रदेश। लाक डाउन के बाद अनलाक के दौरान सितंबर माह के दूसरे पखवाड़े में मुंबई की माडल को इवेंट के बहाने बुलवाने के बाद उन्हें नशा देकर बंधक बनाया और जबरदस्ती भी की गई। उनके वीडियो बना लिए गए। ये मामला पुलिस तक पहुंचा इनवेस्टीगेशन हुआ तो जो सच सामने आया उससे पुलिस भी हैरान रह गई। शहर में ड्रग्स देकर बंगलादेशी बालाओं से जिस्मफरोशी का पर्दाफाश होने के बाद ड्रग्स रैकेट का पर्दाफाश हुआ। उसके बाद ड्रग्स डीलर्स के राज खुलने लगे, ऐसा लगने लगा कि इंदौर स्मार्ट सिटी के बजाए ड्रग एडिक्ट सिटी बनता जा रहा है। हालात तो इतने खराब हैं कि महिला सहित चार आरोपी ऐसे पकड़े गए जो कम उम्र की बालिकाओं को बहला-फुसलाकर ब्राउन शुगर का आदी बनाते थे और बाद में उन बालिकाओं का यौन शोषण होता था। इसके साथ ही बेहद घातक ड्रग्स एमडी के साथ पकड़े आरोपियों ने तो होश ही उड़ा दिए। संभवत: प्रदेश में पहली बार 70 करोड़ की 70 किलो एमडी की खेप पकड़ी गई। इस ड्रग्स गैंग के तार तो अंडरवर्ल्ड से भी जुड़े मिले। इन गैंग के सदस्यों से जो पूछताछ हुई उसने इस बात की चुगली कर दी है कि शहर में ऐसी कई गैंग सक्रिय है जो रईसजादों से लेकर स्कूली बच्चों को भी ड्रग्स एडिक्ट बनाने का षडयंत्र रच रही है। ड्रग्स के कारोबार को समूल नाश करने की मंशा मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान जता चुके हैं लेकिन जिस तरह ड्रग्स गैंग के खुलासे हो रहे हैं उसे देखकर ये काम किसी चुनौती से कम नहीं है। करीब 5 माह में तीन बड़े मामलों में 50 से ज्यादा ड्रग डीलर्स पकड़े जा चुके हैं, इनकी गिरफ्तारी अभी भी जारी है।

कौन रच रहा है साजिश :

कुछ अरसा पहले ये चर्चा सामने आई थी कि ड्रग्स माफिया के टारगेट पर स्कूली बच्चे रहते हैं। वे उन्हें चाकलेट आदि में बहुत कम मात्रा में इस तरह का नशा देकर पहले उन्हें इसका आदी बना देते हैं। स्पेशल चाकलेट या स्पेशल कुल्फी के नाम पर उन्हें नशे का डोज दिया जाता है। धीरे-धीरे उन्हें नशेड़ी बना दिया जाता है। क्या शहर में इस तरह का कोई गैंग सक्रिय है जो इस तरह की साजिश कर रहा है, इस बात की भी उच्च स्तरीय जांच होना बेहद जरुरी है। इसके साथ ही कालेज जाने वाले छात्र-छात्राओं को भी कुछ तत्व नशे के लिए उकसाते हैं। ये भी कहा जाता है कि ये ऐसे युवक होते हैं जो आवारा किस्म के होते हैं। ड्रग्स डीलर्स इन्हें लालच देकर अपने साथ मिला लेते हैं। उसके बाद इन्हें ड्रग एडिक्ट बनाकर उनसे ही नशे का कारोबार करवाया जाता है। यदि इस तरह के ड्रग डीलर्स सक्रिय हैं तो इनको भी तलाशा जाना चाहिए।

अपने बच्चों पर पैनी नजर रखें :

स्कूल एवं कालेज जाने वाले बच्चों को नशेड़ी बनने से बचने के लिए उनके माता-पिता को भी जागरुक होना बेहद जरुरी है। वे बच्चों की हर गतिविधि पर नजर रखें। उनके दोस्तों के बारे में भी समय-समय पर पता लगाते रहे हैं कि वे किसी गलत सोहबत में तो नहीं है। अक्सर छोटी सी लापरवाही से बड़ा नुकसान हो जाता है इसलिए यदि माता-पिता अपने बच्चों को लेकर अलर्ट रहेंगे तो वे नशे से बच जाएंगे। ये भी पता करते रहे कि कहीं बच्चे पढाई के बहाने किसी हुक्का बार या अन्य स्थान पर तो नहीं जा रहे हैं।

झुग्गी-बस्ती के आसपास सक्रिय :

झुग्गी बस्ती या बेहद गरीब बच्चे अक्सर अपराध करने लग जाते हैं। नाबालिग लड़कियां काल गर्ल तक बन जाती हैं। इनमें से ज्यादातर नशे के आदी होते हैं। इन्हें नशेड़ी बनाने वाले गुंडे-बदमाश भी हो सकते हैं। इस तरह के गुंडे पहले बच्चों को नशे की लत लगवा देते हैं उसके बाद उनसे अपराध करवाते हैं। कुछ समय पहले पुलिस ने ऐसे कुछ गुंडों का पर्दाफाश भी किया था। कहीं इस तरह के गुंडे अभी भी सक्रिय नहीं है।

दिल दहलाने वाले तीन मामले :

ड्रग्स डीलर्स के हाल ही में कुछ मामले सामने आए हैं जो चिंता में डालने वाले हैं। छोटी उम्र की किशोरियों से लेकर रईसजादों के बीच भी नशे का रोग फैलता जा रहा है। एक पीड़िता ने जो कहानी सुनाई उसने पुलिस के भी होश उड़ा दिए। पीड़िता को एक ड्रग्स डीलर महिला के घर ले जाया गया वहां उसे पहले नशे का आदी बनाया उसके बाद उसकी इज्जत लूट ली।

पहला मामला - रिहेब सेंटर में खुला राज

पुलिस को सूचना मिली कि स्कीम 78 में कम उम्र के युवा-युवतियों को ब्राउन शुगर का नशा कराया जा रहा है । इसके बाद ब्राउन शुगर पीने वालों की लिस्टिंग कर कई युवक युवतियां जो नशे के आदी थे उन्हें रिहैब सेंटर भेज काउंसलिंग करवाई गई। रिहेब सेंटर में इलाज उपरांत उनके स्वास्थ्य में सुधार होने तथा काउंसलिंग के दौरान नशे से पीड़ित एक 15 वर्षीय किशोरी ने बताया कि वह अपने घर से खेलने के लिए मंदिर गई थी तब उसे उसके पड़ोस में रहने वाले परिचित दो युवकों द्वारा बहला-फुसलाकर घुमाने के बहाने एक महिला के घर ले जाया गया और उसे ब्राउन शुगर व शराब का नशा करवाया गया था। उस महिला के घर कई नशेड़ी भी आते थे। उन नशेड़ियों में से दो ने उसे नशा करवाकर उससे जबरदस्ती भी की। अब शहर में ऐसे ठिए हैं तो फिर युवा पीढ़ी को बर्बादी से कैसे रोका जाए..? इस पर मंथन होना बेहद जरुरी है।

दूसरा मामला - बांग्लादेशी बालाओं से जिस्म फरोशी और ड्रग्स का खतरनाक गठजोड़ :

विजयनगर में माडल को इंदौर बुलवाकर उनको नशा देकर जबरदस्ती कर उनके वीडियो के मामले की छानबीन के बाद जिस्म फरोशी और ड्रग्स रैकेट का ऐसा पर्दाफाश हुआ कि वह चौकाने वाला था। बंगला देश से नाबालिगों को बहला फुसलाकर लाने के बाद उन्हें नशे का आदी बनाकर जिस्म फरोशी में उतारने वाले मास्टर माइंड सागर जैन को उसके भाई के साथ बंदी बनाया। उससे पूछताछ हुई तो ड्रग्स रैकेट का पर्दाफाश हो गया और ड्रग्स वाली आंटी की कहानी सामने आई कि वह रईसजादों को ड्रग्स सप्लाय करती थी। इस गैंग से जुड़े करीब तीन दर्जन आरोपियों को पुलिस ने बंदी बनाया। इनमें से कई खुद ड्रग एडिक्ट निकले। वे नशे के खर्च की पूर्ति के लिए ही ड्रग्स बेचने लग गए। इस मामले में अभी भी जांच चल रही है। गैंग से जुड़े कई आरोपी अभी भी फरार हैं।

तीसरा मामला - एमडी गैंग के अंडरवर्ल्ड से भी जुड़े तार :

क्राइम ब्रांच ने 70 करोड़ की घातक कही जाने वाली ड्रग्स एमडी की 70 किलो की खेप पकड़ी। ये ड्रग्स विदेश भेजी जाने वाली थी। पुलिस ने हैदराबाद के वेद प्रकाश व्यास, दिनेश अग्रवाल उसके बेटे अक्षय अग्रवाल और मंदसौर में रहने वाले भतीजे को रंगेहाथ गिरफ्तार किया। इनसे 13 लाख से ज्यादा नकदी और दो कारें भी जब्त की गई। इनसे पूछताछ हुई तो कई ड्रग्स डीलर्स के बारे में सुराग मिले। क्राइम ब्रांच ने इंदौर ही नहीं मुंबई, पुणे, नासिक, राजस्थान, मंदसौर, गुजरात जाकर भी इनवेस्टीगेशन किया। मुंबई में तो अंडरवर्ल्ड के तार भी इस ड्रग्स गैंग्स से जुड़े मिले। सीरियल बम ब्लास्ट के आरोपी अयूब पिता इब्राहिम कुरैशी को ईस्ट मुंबई से गिरफ्तार किया। गुलशन कुमार हत्याकांड के आरोपी रहे वसीम उर्फ बाबूजी उर्फ असलम खान के मुंबई के ठिकाने पर पड़ताल की तो पता चला कि वह नासिक में है। उसके बाद टीम ने नासिक में मेहनत की और वसीम को पकड़ ही लिया। इन दोनों आरोपियों के तार एमडी की तस्करी से जुड़े हुए हैं। इस गैंग से जुड़े 22 आरोपी अभी तक गिरफ्तार हो चुके हैं, इस गैंग के भी कई आरोपी अभी पुलिस की पकड़ से दूर हैं।

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