राजीव गांधी तकनीकी शिक्षा विश्वविद्यालय Social Media
मध्य प्रदेश

आरजीपीवी सीएस विभागध्यक्ष के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच कई माह बाद भी बेनतीजा

प्रो.चौरसिया विवि की (यूनियन) तकनीकी शिक्षक संघ के अध्यक्ष हैं और कुलपति और कुलसचिव के करीबी कहे जाते हैं, इसलिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने की जगह विवि उन्हें उपकृत कर रहा है।

Author : Rakhi Nandwani

भोपाल, मध्यप्रदेश। राजीव गांधी तकनीकी शिक्षा विश्वविद्यालय के कंपयूटर विभाध्यक्ष प्रो. उदय चौरसिया की शैक्षणिक योग्यता के दस्तावेजों पर लंबे अर्से से सवाल उठ रहे हैं। जिसकी शिकायत एआईसीटीई, मंत्रालय और ईओडब्ल्यू में भी दर्ज है। उनकी शासन व विवि स्तर पर जांच भी चल रही हैं, लेकिन सभी जांच बेनतीजा है। उनकी नियुक्ति किस आधार पर की गई, इसको लेकर भी सवाल है। इसके बाद भी विवि ने श्री चौरसिया को विभाध्यक्ष पद पर बनाए हुए है।

विवि के अधिकारियों-कर्मचारियों का कहना है कि प्रो.चौरसिया विवि की (यूनियन) तकनीकी शिक्षक संघ के अध्यक्ष हैं और कुलपति और कुलसचिव के करीबी कहे जाते हैं, इसलिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने की जगह विवि उन्हें उपकृत कर रहा है। असिटेंट प्रोफेसर के पद से नियुक्त हुए श्री चौरसिया अब एसोसिएट प्रोफेसर बन चुके हैं। सीनियरटी लिस्ट में काफी नीचे होने के बावजूद इन्हें सीएस विभाग का विभाध्यक्ष और डिप्टी रजिस्ट्रार के पद से नवाजा गया है। नाम ना छापने की शर्त पर विवि के अधिकारियों-कर्मचारियों ने बताया कि शीर्ष अधिकारियों के लिए श्री चौरसिया संकटमोचन बने हुए हैं। संवादाता द्वारा जांच अधिकारी प्रो. भदौरिया को जानकारी के लिए फोन लगाया गया, लेकिन उनका फोन रीसिव नहीं हुआ।

सर्विस रिकार्ड में डाक्यूमेंट उपलब्ध नहीं

सूत्र बताते हैं कि प्रो. चौरसिया के सर्विस रिकार्ड और नियुक्ति के लिए जमा किए गए डाक्यूमेंट में कहीं भी इनकी 10वीं, 12 वीं और बेचलर की डिग्री का ना ही जिक्र है, ना ही साक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं। इनके द्वारा सर्विस रिकार्ड में केवल एमटेक की डिग्री दर्ज है। यूआईटी आरजीपीवी द्वारा एआईसीटीई को प्रतिवर्ष कालेज के अप्रूवल के लिए प्रस्तुत किए गए दस्तावेज में चौरसिया के बेचलर्स डिग्री की जगह एमसीए की डिग्री दी गई है और मास्टर्स में एमटेक की डिग्री प्रस्तुत की गई है, जबकि दोनों ही डिग्री मास्टर्स की हैं।

डिग्री पर सवाल

आरजीपीवी का आडिनेंस-8 कहता है कि एमटेक में प्रवेश के लिए एआईसीटीआई द्वारा मान्यता प्राप्त बेचलर या समकक्ष डिग्री होना आवश्यक है, लेकिन इनके द्वारा अर्जित की गई एमसीए और एमएससी दोनों ही डिग्री एआईसीटीआई अप्रूव नहीं हैं। साथ ही दोनों डिग्री एक ही साल-2001 में पूरी हुई है, जो नियमविरूद्ध है। वहीं इन्होंने भोज विवि से एमसीए पास करने की डिग्री समिट की है, उक्त विवि श्री चौरसिया के पास आडट वर्ष में एआईसीटीई से अप्रूव नहीं था।

शिकायत पर चल रही है जांच

आरटीआईकर्ता व शिकायतकर्ता रोहित अग्रवाल ने इनकी डिग्रियों और नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए इनकी नियुक्ति खारिज करने की अपील की है। एआईसीटीई के कहने पर विवि स्तर पर जून 2022 से जांच चल रही है, उसजांच कमेटी के अध्यक्ष प्रो. सुधीर सिंह भदौरिया है। ईओडब्ल्यू के आदेश पर मंत्रालय स्तर पर अक्टूबर 2022 से एक जांच चल रही है। जिसके जांच अधिकारी शासकीय महिला पॉलिटेक्नीक महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. केवी रॉव हैं।

विवि को तीन रिमाइंडर भेजे, जवाब का है इंतजार

प्रो. उदय चौरसिया के खिलाफ जांच चल रही है। दस्तावेज के लिए विगत डेढ़ माह में विवि को तीन रिमाइंडर भेजे जा चुके हैं, जिसका जवाब नहीं दिया जा रहा है। जवाब मिलने पर रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजेंगे। - डॉ. केवी रॉव, जांच अधिकारी

एमटेक, नियुक्ति और प्रमोशन सभी सवाल के घेरे में

मैं कुछ साल पहले संविदा पर आरजीपीवी में बतौर प्रोफेसर कार्यरत था, प्रो. चौरसिया सभी संविदा कर्मियों को प्रताडि़त करते थे लेकिन तब शिकायत नहीं कर पाए। अब एक डेढ़-साल से शिकायत कर रहा हूं, लेकिन विवि जांच कमेटी द्वारा जांच के नाम पर बुलाकर मुझे ही परेशान किया जाता है। आरटीआई से दस्तावेज मिले हैं, जिसमें इनकी दो डिग्री एक साल में पास करने का साक्ष्य है। एमटेक में प्रवेश के लिए एआईसीटीई अप्रूव डिग्री चाहिए जो इनके पास नहीं है। इसलिए एमटेक, नियुक्ति और प्रमोशन सभी सवाल हैं। - रोहित अग्रवाल, शिकायतकर्ता

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