इंदौर। जीएसटी में यदि समय पर कर का भुगतान करके रिटर्न फाइल नहीं किया जाता है तो उस पर ब्याज देय होता है। विभाग द्वारा इस देरी पर 18 प्रतिशत की दर से ब्याज की वसूली की जाती है जो बाजार में प्रचलित ब्याज की दर से बहुत ज्यादा है, इसलिए आवश्यकता है कि समय पर कर का भुगतान किया जाए। जीएसटी के अंतर्गत ब्याज के भुगतान संबधित इन्ही प्रावधानों पर चर्चा के लिए टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन और सीए इंदौर शाखा की ओर से शुक्रवार को सेमिनार आयोजित किया गया।
क्रेडिट से भुगतान पर नहीं देना होगा कोई ब्याज
मुख्य वक्ता सीए अंकित करनपुरिआ ने कहा जीएसटी में धारा 50 के प्रावधानों के अनुसार यदि किसी करदाता द्वारा रिटर्न फाइल करने में देरी होती है तो उसके द्वारा कैश में किए भुगतान पर ही ब्याज लगेगा अर्थात क्रेडिट से भुगतान पर कोई ब्याज नहीं देना होगा। यदि कोई करदाता किसी व्यव्हार को संबंधित माह के रिटर्न में नहीं दिखाकर उसे किसी दूसरे माह में दिखाकर भुगतान करता है तो उस दशा में क्रेडिट से भुगतान करने पर भी ब्याज के प्रावधान लागू होंगे । इसी प्रकार विभाग द्वारा धारा 73 एवं 74 में नोटिस जारी करने के बाद कर का भुगतान किया जाता है तो क्रेडिट लेजऱ में राशि होने के बावजूद उस पर ब्याज लगेगा। किसी करदाता द्वारा अपने सप्लायर को समय पर भुगतान नहीं करने पर क्रेडिट रिवर्स करने व उस पर ब्याज के संबंध में उन्होंने कहा कि धारा 16(2) के अनुसार सप्लायर को 180 दिन में बिल का भुगतान नहीं करने पर प्राप्तकर्ता द्वारा पहले ली गई क्रेडिट को रिवर्स करके जिस माह में क्रेडिट ली थी उस माह से उस पर ब्याज भी देना होगा। इसी प्रकार करदाता द्वारा करयोग्य एवं कर मुक्त सप्लाई की दशा में भी कॉमन क्रेडिट का भुगतान 1 अप्रैल के बाद करने पर ब्याज देय होगा ।
तर्कसंगत नहीं है ब्याज देना
उन्होंने यह भी बताया कि करदाता द्वारा गलती से क्रेडिट लेने पर उसका उपयोग करने पर ही ब्याज लगेगा । जीएसटी में ब्याज से संबंधित विसंगति पर ध्यान दिलाते हुए उन्होंने कहा कि कैश लेजऱ में पैसा जमा होने के बावजूद करदाता को देरी से रिटर्न फाइल करने पर कैश लेजऱ में उस जमा राशि पर भी ब्याज देना होता है जो तर्कसंगत नहीं है।
रिफंड में देरी पर देते हैं 6 प्रतिशत ब्याज
टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र सोलंकी ने कहा सरकार द्वारा करदाता से देरी से भुगतान पर 18 प्रतिशत ब्याज लिया जाता है जो बहुत ज्यादा है । इसके अलावा रिफंड में देरी पर विभाग द्वारा सिर्फ 6 प्रतिशत ही ब्याज दिया जाता है जो न्यायसंगत नहीं है । कार्यक्रम का संचालन सीजीएसटी सचिव सीए कृष्ण गर्ग ने किया। आभार प्रदर्शन मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने किया।
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