शराब संबंधी मामलों में नियमों का सख्ती से पालन कराने सभी जिलों को निर्देश Social Media
मध्य प्रदेश

शराब संबंधी मामलों में नियमों का सख्ती से पालन कराने सभी जिलों को निर्देश

राज्य सरकार ने आज सभी जिलों के कलेक्टर और एसपी को निर्देश भेजते हुए कहा कि मध्यप्रदेश विष अधिनियम 1919 तथा इससे संबंधित वर्ष 2014 में अधिसूचित विष नियम के प्रावधानों को सख्ती से पालन कराया जाए।

Author : News Agency

भोपाल, मध्यप्रदेश। प्रदेश में पिछले कुछ माहों में अनेक जिलों में जहरीली शराब के सेवन के कारण दर्जनों नागरिकों की मृत्यु की घटनाओं के बीच राज्य सरकार ने आज सभी जिलों के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश भेजते हुए कहा कि 'मध्यप्रदेश विष अधिनियम 1919' तथा इससे संबंधित वर्ष 2014 में अधिसूचित 'विष नियम' के प्रावधानों को सख्ती से पालन कराया जाए।

गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने इस संबंध में सभी कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को निर्देश भेजते हुए पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में कहा कि राज्य में हाल के वर्षों में शराब के अवैध निर्माण के दौरान मिथेनॉल और अन्य रसायनों के उपयोग से विषैली (जहरीली) शराब से मृत्यु होने की कतिपय घटनाएं हुई हैं। श्री राजौरा ने मध्यप्रदेश विष अधिनियम 1919 और इससे संबंधित अधिसूचित विष नियमों की प्रतिलिपि पत्र के साथ भेजते हुए निर्देश दिए कि इनका सख्ती से निरंतर और सतत रूप से पालन कराना सुनिश्चित किया जाए।

डॉ. राजौरा ने बताया कि मुरैना, उज्जैन और मंदसौर जिलों में जहरीली शराब में मिथेनॉल की मात्रा पायी गयी थी। इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए राज्य सरकार की ओर से अनेक ठोस कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि नियमों में अधिसूचित समस्त प्रकार के विष पदार्थों के विक्रय के लिए जिला कलेक्टर से अनुज्ञप्ति (लायसेंस) प्राप्त करना बंधनकारी है। अनुज्ञप्ति में विक्रय स्थल, विषैले पदार्थ के स्टोर की अधिकतम मात्रा, सुरक्षा उपाय, किनको विक्रय जा सकेगा, विषैले पदार्थ को स्टोर करने की विधि, स्टॉक पंजी एवं विक्रय पंजी के संधारण की अनिवार्यता और विष के परिवहन आदि के दौरान आवश्यक ऐहतियाती उपाय जैसे कदम उठाना आवश्यक किया गया है। इसके अलावा अनुज्ञप्ति की शर्तों का पालन भी सुनिश्चित कराना आवश्यक है।

डॉ. राजौरा ने कहा कि जिला कलेक्टर इस तरह के परिसरों की जांच के लिए 'सर्च वारंट' जारी कर सकेंगे। सहायक उप निरीक्षक या नायब तहसीलदार स्तर के अधिकारी स्टॉक और विक्रय पंजी की जांच तथा अवलोकन कर सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि विष अधिनियम या विष नियम के प्रावधानों का पालन नहीं करने पर एक वर्ष की सजा का प्रावधान है।

जहरीली शराब के मामले सामने आने पर सत्तारुढ़ दल को विपक्षी दलों की आलोचनाओं और आरोपों का भी शिकार होना पड़ा है। पिछले कुछ माहों में अनेक जिलों में जहरीली शराब के कारण नागरिकों की मृत्यु की घटनाओं के बाद सरकार ने डॉ. राजौरा की अध्यक्षता में समिति का भी गठन किया था और उसने जांच के बाद सरकार को अनेक सुझाव दिए थे। इसके आधार पर पहले ही कुछ कदम उठाए गए हैं।

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