कोरोना काल में जी-तोड़ मेहनत की, चार माह से तरस रहे वेतन के लिए सांकेतिक चित्र
मध्य प्रदेश

Indore : कोरोना काल में जी-तोड़ मेहनत की, चार माह से तरस रहे वेतन के लिए

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान एमटीएच, सुपर स्पेशलिटी और एमआरटीबी में एचएलएल कंपनी के माध्यम से आउटसोर्स पर तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को गत चार माह का वेतन नहीं मिला है और वो हैरान-परेशान हैं।

Mumtaz Khan

इंदौर, मध्यप्रदेश। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान एमटीएच, सुपर स्पेशलिटी और एमआरटीबी में एचएलएल कंपनी के माध्यम से आउटसोर्स पर तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने मरीजों की सेवा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। इसके बाद भी इन कर्मचारियों को गत चार माह का वेतन नहीं मिला है और वो हैरान-परेशान हैं, क्योंकि तमाम विरोध के बाद भी उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

पिछले दिनों इन आक्रोशित निजी कंपनी के कर्मचारियों ने एमवायएच में हंगामा कर दिया था और आक्रोश में कुछ जूनियर डॉक्टर्स के साथ हाथपाई भी कर दी थी, जिसके कारण इनके खिलाफ एफआईआर हो गई थी। इसके बाद से इन कर्मचारियों का आंदोलन ठंडा पड़ गया और 400 से अधिक यह कर्मचारी चार माह से वेतन न मिलने के बाद भी अपनी पीड़ा किसी को बता नहीं पा रहे हैं।

राखी पर नहीं दे पाए बहनों को कपड़े-मिठाई :

इन कर्मचारियों का कहना है कि हमें हर माह औसतन 6 हजार से 8 हजार वेतन मिलता है। इस वेतन में 8 से 12 घंटे तक कड़ी मेहनत से हम काम करते हैं। इतने कम वेतन में एक माह का गुजारा ही मुश्किल से होता है, ऐसे में गत 4 माह से वेतन न मिलने से क्या हालत हो रहे होंगे, समझा जा सकता है। अब तो हालत यह है कि भूखे मरने की नौबत आ गई है, क्योंकि किराना, दूधवालों आदि ने उधार देना भी बंद कर दिया है। राखी जैसा त्योहार भी सूना निकल गया। रुपए न होने के कारण बहनों को कपड़े, मिठाई तक नहीं दे पाए और उनसे मुंह छुपाते रहे। घर में भी छोटे बच्चों को भी नए कपड़े त्योहार के मौके पर नहीं दिला पाए। एचएलएल कंपनी के स्थानीय जिम्मेदारों का कहना है कि जब ऊपर से ही रुपया जारी नहीं हो रहा है, तो हम वेतन कैसे दें। यह परेशान कर्मचारी वेतन न मिलने के बाद भी अपना काम कर रहे हैं। इन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर वो क्या करें कि उनकी आवाज भोपाल में बैठे जिम्मेदारों तक पहुंच सके। पिछले दिनों आंदोलन करा, तो उल्टे उनके खिलाफ ही एफआईआर दर्ज हो गई।

कंपनी का 9 करोड़ बकाया है :

मिली जानकारी के मुताबिक इन कर्मचारियों को निजी कंपनी वेतन इसलिए नहीं दे रही है, क्योंकि एमजीएम मेडिकल कॉलेज से करीब 9 करोड़ रुपए बकाया हो गया है, जो भोपाल स्थित मुख्यालय से रिलीज होता है। इतना अधिक बकाया होने के कारण कंपनी ने वेतन देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। सूत्रों का कहना है कि ऐसा कोई दिन नहीं होता है, जब निजी कंपनी के ऑफिस पर कर्मचारी अपनी वेतन का तकाजा करने न पहुंचते हैं। कई कर्मचारियों की तो वेतन का तकाजा करते हुए आंसू तक निकल पड़ते हैं, लेकिन इसके बाद भी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

एक-दिन में जारी हो जाएगी राशि :

इस संबंध में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित से चर्चा की गई, तो उन्होंने बताया कि अभी कंपनी के मद में 90 लाख रुपए जारी किए हैं। जल्द करीब एक करोड़ राशि ओर जारी होने वाली है। मोहर्रम आदि के अवकाश होने के कारण थोड़ी डिले हुई है। हम लगातार भोपाल स्थित मुख्यालय से संपर्क कर रहे हैं।

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