इंदौर, मध्यप्रदेश। शहर में लॉकडाउन लगने के बाद तिपहिया वाहन चालकों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। लॉकडाउन बढ़ने और संक्रमण के डर से कई चालक तो घर लौट गए हैं, वहीं मौजूद चालकों में से किसी को घर के खर्च की चिंता है तो कोई किस्त भरने को परेशान है। राज एक्सप्रेस ने शनिवार को चालकों का हाल जाना :
दैनिक आमदनी न के बराबर :
ऑटो चालक पाण्डे का कहना है लोन पर तिपहिया यह सोचकर लिया था कि परिवार का पालन-पोषण हो सकेगा। पिछले साल लॉकडाउन फिर इस साल भी महामारी के प्रकोप के चलते फिर लॉकडाउन ने चिंता बढ़ा दी है। सड़कों पर सवारियां नहीं होने से दैनिक आमदनी न के बराबर है। कोई आमदनी नहीं होने से बच्चों की फीस, ऑटो की किस्त चुकाने की चिंता सताने लगी है। बुजुर्ग मां, पत्नी, ब'चों की जिम्मेदारी है। इस समय ऑटो की किस्त तक नहीं निकल पा रही है। रोजाना का खाना खर्चा अलग से ही। यदि इसी तरह कुछ दिन औ
र र लॉकडाउन बढ़ गया तो भूख मरने की स्थिति पैदा हो सकती है।
रमजान में घर खर्च चलाना हुआ मुश्किल :
ऑटो चालक इमरान का कहना हैं लॉकडाउन की वजह से सवारी नहीं मिल रही है। रमजान के दिन चल रहे हैं ऐसे में आमदनी नहीं होने से काफी परेशानी हो रही है। हम लोगों को घर खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है। मैं भी घर से नहीं निकलना चाहता, लेकिन परिवार का पेट पालने के लिए निकलना मजबूरी हो जाता है। सरकार को हम लोगों की मदद के लिए कुछ कदम उठाना चाहिए। सरकारी ऑटो चालकों को आर्थिक मदद दें जिससे कुछ राहत मिल सके।
इस बार तनख्वाह भी नहीं मिलेगी :
गणेश नगर निवासी हेमा का कहना हैं पारिवारिक जिम्मेदारी निभाने के लिए घरों में घरेलू सहायिका का काम करती हूं। लॉकडाउन में कई समस्याएं खड़ी हो गई है। जिन घरों में काम के लिए जाती हूं उन्होंने पिछली बार तो बगैर काम पर गए तनख्वाह दे भी दी थी, लेकिन इस बार इंकार कर दिया गया है। लॉकडाउन की वजह से अब सारा काम बंद हैं। जिस दिन काम के लिए मना हुआ था उस दिन एक घर से पैसे मिल गए थे और एक घर ने बाद में पैसे ले जाने के लिए कहा था। अब परिवार में पैसों की तंगी शुरु हो गई है। इस पर कोई उधार देने को भी तैयार नहीं है। वहीं बाहर कुछ काम भी नहीं है।
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