हाइलाइट्स :
इंदौर नगर निगम स्कूलों के पास बिकने वाले तंबाकू उत्पाद के खिलाफ चलाएगा मुहिम
तंबाकू विक्रेताओं के लिए सख्त वेंडर लाइसेंस की जरूरत
एकल बीड़ी, सिगरेट की बिक्री पर लगे प्रतिबंध
मध्य प्रदेश में तम्बाकू आपदा को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी नीतियों की आवश्यकता
चबाने वाले तंबाकू एवं अन्य मुद्दों पर परामर्श कार्यक्रम में रखे विशेषज्ञों ने अपने विचार
इंदौर, मध्यप्रदेश। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (जीओटीएस-2016-17) के अनुसार मध्य प्रदेश में 28.1 प्रतिशत वयस्क (38.7 प्रतिशत पुरुष और 16.8 प्रतिशत महिलाएं) (15 वर्ष और उससे अधिक) चबाने वाले (स्मोकलेस) तंबाकू का उपयोग करते हैं। प्रदेश में चबाने वाले तम्बाकू पदार्थों में गुटका और खैनी सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला रूप है। चबाने वाला तंबाकू चिंता का एक प्रमुख कारण है क्योंकि भारत में मुंह के कैंसर के 50 प्रतिशत मामले इससे जुड़े हैं। मध्य प्रदेश सरकार को तंबाकू आपदा को नियंत्रित करने के लिए विशिष्ट नीतियां विकसित करने की आवश्यकता है। यह बात मध्यप्रदेश वालंटरी हेल्थ एसोसिएशन (एमपीवीएचए) द्वारा इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरकुलोसिस एंड लंग डिजीज के सहयोग से आयोजित चबाने वाले तंबाकू एवं अन्य मुद्दों पर परामर्श कार्यक्रम में में कही गई।
अतिरिक्त आयुक्त इंदौर नगर निगम भव्या मित्तल ने कहा की निगम शिक्षण संस्थानों के 100 गज के दायरे में तंबाकू की दुकानों के खिलाफ कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा की हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा की तम्बाकू उत्पाद आसानी से ब'चों को उपलब्ध न हो साथ ही एकल सिगरेट / बीड़ी की बिक्री को विनियमित करने की आवश्यकता है। उन्होंने ब'चों के लिए तंबाकू निषेध केंद्रों की आवश्यकता पर जोर दिया।
डॉ. अशोक डागरिया, क्षेत्रीय संयुक्त निदेशक ने तम्बाकू उपयोगकर्ताओं के मनोवैज्ञानिक उपचार की परामर्श की आवश्यकता पर बल दिया। जिला नोडल अधिकारी डॉ अमित मालाकार ने कहा कि हमें इंदौर में तंबाकू विक्रेताओं के लिए सख्त वेंडर लाइसेंस की आवश्यकता है और लाइसेंस के माध्यम से ही तंबाकू की बिक्री की अनुमति दी जानी चाहिए।
एमपीवीएचए के कार्यकारी निदेशक मुकेशकुमार सिन्हा ने कहा कि मध्य प्रदेश पहला राज्य था जिसने वर्ष 2012 में गुटखा के निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा और मानक (बिक्री पर निषेध और प्रतिबंध) विनियमन (एफएसएसए) का खंड 2.3.4 के अनुसार किसी भी खाद्य उत्पाद और खाद्य उत्पादों में सामग्री के रूप में तंबाकू और निकोटिन प्रतिबंधित है। इसके अलावा मैग्नीशियम कार्बोनेट जैसे पदार्थों का भी उपयोग खाद्य पदार्थों में प्रतिबंधित है। भारत में विभिन्न रा'यों ने एफएसएसए के खंड 2.3.4 के तहत चबाने वाले तम्बाकू पदार्थ जैसे गुटखा, जर्दा, खैनी, पानमसाला आदि को प्रतिबंधित किया गया है।
प्रदेश में चबाने वाले तंबाकू की नीति को लेकर विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने कहा की मध्यप्रदेश को चाहिए कि सभी प्रकार के चबाने वाले तम्बाकू उत्पादों को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए और तम्बाकू उत्पाद की बिक्री के लिए लाइसेंस अनिवार्य किया जाना चाहिए । स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए सभी शिक्षण संस्थानों को तंबाकू मुक्त बनाया जाना चाहिए।
परामर्श में यह भी सुझाव दिया गया कि एकल सिगरेट और बीड़ी की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है और बिक्री की अनुमति केवल पैकेजों में दी जानी चाहिए क्योंकि एकल सिगरेट बीड़ी कम कीमत पर नाबालिगों को आसानी से उपलब्ध है। पंजाब, बिहार, झारखंड आदि राज्यों ने एकल सिगरेट और बीड़ी की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। बाजार में उपलब्ध निकोटिन गम (च्युइंग गम) को भी विनियमित किया जाना चाहिए और उन्हें केवल केमिस्ट की दुकान के माध्यम से बेचने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि बाजार में उपलब्ध निकोटीन गम आसानी से नाबालिगों के लिए सुलभ हैं, इसलिए उनकी बिक्री को भी विनियमित किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर एमपीवीएचए की नयी एम्बुलेंस का शुभारंभ भी किया गया एम्बुलेंस इंदौर शहर में जरूरतमंद परिवारों की जरूरत को पूरा करेगी। परामर्श में अपर आयुक्त इंदौर नगर निगम भव्य मित्तल, संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ अशोक डागरिया, सीएमएचओ डॉ बीएस सेतिया, अध्यक्ष एमपीवीएचए डॉ एचके जैन, डॉ एमएस गुजराल, डॉ एसएस नय्यर, डॉ दिलीप आचार्य, कर्नल धीरज, डेंटल कॉलेज प्रतिनिधि,नागरिक समाज के सदस्य, स्वास्थ्य, शिक्षा, आदि ने सुझाव दिए। इस परामर्श के सुझाव राज्य सरकार को सौंपे जाएंगे।
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