राज एक्सप्रेस। एक ओर जहां सरकार द्वारा नई खनिज नीति लाकर सभी रेत भंडारण निरस्त कर सशर्त एक माह के लिये रेत परिवहन करने की बात कही गई है, जिसके आवेदक कुछ कागजों की पूर्ति कर ईटीपी जारी करवा सकता है। फिलहाल कलेक्टर छतरपुर द्वारा त्रिमूर्ति व ए एस के नाम से मात्र दो डंपो की ही ईटीपी जारी की गई है, किंतु इन दो वैध रेत भण्डारणोंं के सहारे लगभग एक दर्जन रेत डंपो से रात दिन हर रोज हजारों ट्रक रेत (Sand Business) भर कर यूपी सीमा पार होते हैं।
सीमा पार एक विधायक के दम पर होती है ट्रकों की निकासी :
ज्ञात हो कि, यूपी सरकार ने मध्यप्रदेश से खनिज के परिवहन पर रोक लगा दी थी, किन्तु यूपी में सीमा क्षेत्र के एक विधायक की सांठ-गांठ से यहाँ के माफियाओं ने ताल-मेल बनाते हुये प्रति ट्रक पांच हजार रुपये में मामला सेट कर कारोबार को संचालित करवाया है। बताते चले कि, जब बाँदा के एक बड़े अधिकारी ने मध्यप्रदेश द्वारा जारी ईटीपी को बेकार व फर्जी बताते हुये निकासी पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी, तो फिर अब ऐसा क्या हो गया कि, साहब को वही ईटीपी सही व असली लगने लगी इस तरह का दोहरा चरित्र यह साफ जाहिर करता है कि, साहब और माफियाओ का गठजोड़ चरम पर है।
खनिज विभाग को नही है कोई सरोकार :
एक तरफ स्थानीय राजस्व व पुलिस अमला इस मामले को सह देकर मोटी कमाई कर रहा है, तो वहीं खनिज विभाग के अधिकारी/कर्मचारी लक्ष्मी की धमक के आगे बौने बने हुये हैं। सवाल दर सवाल हम बात करें, तो सबसे बड़ा सवाल यहींं है कि, क्यों इतने बड़े पैमाने में हो रहे रेत कारोबार को देखने की जरूरत नहींं समझी जा रही है। जब 24 घंटे में 700 से 800 ट्रक रेत हर रोज भरकर जाते हैं, तो फिर दो भंडारण की ईटीपी और रेत दोनों समाप्त हो जानी चाहिये, क्योंकि पांच दिन से ज्यादा का समय हो गया मसलन पांच हजार ट्रक रेत निकल गई। स्थिति साफ है कि, डंप में रेत 2 हजार ट्रक थी, जिसको बिना माप के कागजों में सीधे तौर पर 8 से 9 हजार ट्रक कर दिया गया। तभी दो रेत भंडारण की ईटीपी से दर्जनभर रेत भंडारण संचालित है, यह खनिज विभाग के तकनीकी जोड़-तोड़ का ही हिस्सा है कि, 2 को 5 बना कर कैसे जेबे भरी जाये।
कलेक्टर को किया जा रहा गुमराह :
नई खनिज नीति में यह स्पष्ट था कि, 1 लाख घनमीटर तक के रेत भंडारण मालिक सागर से पर्यावरणीय सहमति लेकर कलेक्टर कार्यालय से आदेश प्राप्त कर ईटीपी जारी होने के दिनांक से 30 दिवस के अंदर रेत को हटाये अगर 30 दिन में रेत नहीं हटाई जाती, तो रेत को राजसात कर शासन अपने कब्जे में ले लेगी, किन्तु इस नई नीति में भी सेंध मारते हुए माफिया और विभाग के लोगो द्वारा नया फार्मूला तैयार कर लिया गया है, जिसमे क्रमश: एक दो डंप की ईटीपी खुलवा कर सभी डंप से रेत परिवहन करने का खेल-खेला जा रहा है। माफियाओं द्वारा यह जुगाड़ विभाग के कुछ नामी अधिकारियों की रजामंदी से किया जा रहा है। अब ऐसे में तो रॉयलिटी शेष रह जायेगी और रेत साफ हो जायेगी, यानि आम के आम गुठलियों के दाम साथ ही रामपुरघाट के खेतों में उपलब्ध रेत से उन डंपो को रिचार्ज कर लिया जाएगा और ईटीपी जारी होने के बाद वैध तरीके से फिर सप्लाई की जाएगी। इस पूरे ताने-बाने को बुनने में विभागीय अधिकारियों की विशेष भूमिका है।
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